UP: आगरा में किशोरी को बहाने से ले जाकर बनाया बंधक, एक महीने तक झेलनी पड़ी दरिंदगी

आगरा के शाहगंज थाना क्षेत्र से लापता किशोरी की गुमशुदगी ने परिवार और पुलिस को महीनों उलझाए रखा, लेकिन एक महीने बाद खुद पीड़िता के फोन कॉल से मामले का बड़ा खुलासा हुआ।

UP: आगरा में किशोरी को बहाने से ले जाकर बनाया बंधक, एक महीने तक झेलनी पड़ी दरिंदगी

आगरा के थाना शाहगंज के नरीपुरा क्षेत्र से 13 अगस्त को गायब हुई किशोरी को बरामद करने के बाद पुलिस ने पीड़िता की मां की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोप है कि किशोरी को पड़ोस में किराये पर रहने वाली महिला ने ही बहला-फुसलाकर मायके ले जाकर बंधक बना लिया था। यहां किशोरी के साथ एक महीने तक रोजाना दुष्कर्म किया गया। किसी तरह किशोरी की सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसे 11 सितंबर को मुक्त कराया। पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी में लगी है।

यह पूरा मामला तब खुला जब लगभग एक महीने बाद, यानी 11 सितंबर को देर रात एक कॉल आया। इस कॉल ने पूरे परिवार को हिला दिया। यह कॉल खुद पीड़िता किशोरी ने किया था। उसने बताया कि उसे बहाने से पड़ोस में रहने वाली एक महिला अपने मायके ले गई थी। वहां उसे बंधक बना लिया गया था। इस खुलासे के बाद न केवल पुलिस बल्कि पूरा मोहल्ला सकते में आ गया। सवाल उठने लगे कि कोई कैसे अपने ही पड़ोस से बहला-फुसलाकर एक मासूम को इतना बड़ा धोखा दे सकता है।

 

पड़ोसन के बहाने और सिलाई मशीन की कहानी

किशोरी की मां ने बताया कि उसके घर के पास एक महिला किराये पर रह रही थी। धीरे-धीरे उसका घर में आना-जाना शुरू हुआ और परिवार भी उसे जानने लगा। एक दिन उस महिला ने किशोरी से कहा कि वह उसे सिलाई मशीन दिलवाएगी। किशोरी ने भरोसा किया और साथ चल दी। पहले दिन वह मशीन नहीं दिला पाई और वापस छोड़ आई। लेकिन उसके बाद उसी महिला ने 13 अगस्त को फिर से किशोरी को बहाने से घर से बुला लिया। उस दिन किशोरी के माता-पिता दोनों जूता कारखाने में काम करने गए थे और घर में सिर्फ बेटी अकेली मौजूद थी।

महिला ने फिर वही झांसा दिया कि उसे सिलाई मशीन खरीदने ले चले। पहले तो किशोरी ने मना किया, लेकिन महिला ने भरोसा दिलाया कि वह ज्यादा देर नहीं करेगी और जल्दी वापस आ जाएगी। बच्ची महिला की बातों से सहम गई और घर से उसके साथ चली गई। इसके बाद अचानक उसका कोई पता नहीं चला। परिवार हैरान रह गया और उन्हें समझ नहीं आया कि उनकी बेटी कहां गई। यह सब इतना जल्दी हुआ कि किसी को शक तक नहीं हुआ कि मामला इतना गंभीर भी हो सकता है।

 

कैसे बंधक बनाकर गुजरा एक महीना

बाद में किशोरी ने खुलासा किया कि महिला उसे आगरा से बाहर अपने मायके रोहता लेकर गई। वहां उसे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया। कमरे का दरवाजा केवल तभी खोला जाता था, जब उसे खाना देना होता था। हर बार जब दरवाजा खुलता, दरिंदगी का सिलसिला शुरू हो जाता। दरअसल महिला के दो तहेरे भाई, संदीप और मनमोहन, रोजाना उसके साथ दुष्कर्म करते थे। किशोरी ने पुलिस को बताया कि यह सिलसिला लगभग पूरे एक महीने तक चलता रहा।

उस एक महीने के दौरान वह रोज डर और दर्द से जूझती रही। वह बाहर निकलने या मदद मांगने की कोशिश करती, लेकिन चारों तरफ दीवारें और ताले थे। किसी तरह उसने हिम्मत जुटाकर एक रात अपनी मौसी के फोन पर कॉल किया और पूरी कहानी बताई। फोन पर वह रो रही थी और समझा रही थी कि उसे तुरंत बचाया जाए। तभी जाकर परिवार और पुलिस को सच्चाई का पता चला। पुलिस टीम तुरंत सक्रिय हुई और 11 सितंबर की रात किशोरी को मुक्त कराया गया।

 

पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच

किशोरी को मुक्त कराने के बाद पुलिस ने तेजी से कार्रवाई शुरू की। पीड़िता की मां की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी ने जानकारी दी कि किशोरी का मेडिकल कराया गया है और उसके बयान भी दर्ज किए जा रहे हैं। पुलिस की टीम आरोपी महिला और उसके दोनों भाइयों की तलाश में लग गई है।

इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा फैल गया है। पड़ोस में रहने वाली वही महिला जो कभी परिवार का हिस्सा लगती थी, वही सबसे बड़ा धोखा साबित हुई। लोगों का कहना है कि अब भरोसा करना मुश्किल हो गया है। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि आरोपी जल्द ही पकड़े जाएंगे और सख्त कार्रवाई होगी।

 

गांव और परिवार पर असर

इस घटना ने न केवल पीड़िता और उसके परिवार को तोड़ दिया बल्कि पूरे गांव और क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। मोहल्ले के लोग कहते हैं कि उन्होंने पहली बार ऐसा सुना है कि पड़ोस में रहने वाला कोई इतना बड़ा अपराध कर सकता है। परिवार अभी भी सदमे में है। किशोरी की मां लगातार रो रही है और कह रही है कि उसने बेटी को पड़ोसन के भरोसे कभी नहीं छोड़ा होता, अगर उसे थोड़ा सा भी अंदेशा होता।

इस घटना से एक बार फिर यह सवाल खड़ा होता है कि बच्चों की सुरक्षा कितनी गंभीर जिम्मेदारी है। परिवार और समाज को हमेशा सतर्क रहना होगा कि कौन उनके बच्चों से घुल-मिल रहा है और किस प्रकार से बातें कर रहा है। यह घटना एक सबक बन गई है कि हर छोटे-छोटे संकेतों को ध्यान में रखा जाए। क्योंकि कभी-कभी वही संकेत किसी बड़े खतरे की ओर इशारा करते हैं।

आगरा की यह घटना केवल एक आपराधिक कहानी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। यह बताती है कि एक छोटी सी लापरवाही कैसे जिंदगी बदल सकती है। किशोरी को जिस तरह एक महीने तक बंधक रखकर उसके साथ रोज दरिंदगी की गई, उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। पुलिस अब अपनी ओर से कोशिश कर रही है कि सभी आरोपियों को पकड़ा जाए और कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए।

इस बीच समाज और परिवार के लिए यह जरूरी है कि वे बच्चों से संवाद बनाए रखें और उन्हें जागरूक करें कि किसी अजनबी या कम जान-पहचान वाले पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। यह घटना दर्दनाक जरूर है, लेकिन इससे एक सबक लिया जा सकता है कि सतर्कता ही सुरक्षा है। कभी-कभी एक सरल सा सवाल, एक सावधानी और बच्चों से समय-समय पर बातचीत ही किसी बड़ी त्रासदी को रोक सकती है।