Tej Pratap or Tejaswi? चुनावी हलफनामे से खुला बड़ा राज किस भाई के पास है ज्यादा संपत्ति?
Tej Pratap or Tejaswi — बिहार की राजनीति इन दो भाइयों के नाम पर थमी हुई है। हाल ही में दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे में दोनों नेताओं की संपत्ति का खुलासा हुआ है। अब हर कोई जानना चाहता है कि Tej Pratap or Tejaswi में किसके पास है ज्यादा संपत्ति और किसकी राजनीतिक पकड़ है मजबूत।
तेज प्रताप या तेजस्वी? चुनावी हलफनामे ने खोला राज — किसके पास है ज्यादा संपत्ति?
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बिहार की सियासत में इन दिनों सिर्फ सत्ता नहीं, संपत्ति की चर्चा जोरों पर है। नाम वही पुराने – Tej Pratap Yadav और Tejashwi Yadav। दोनों भाई, दोनों यादव परिवार की राजनीतिक पहचान। लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर इन दो भाइयों में कौन ज्यादा अमीर है? चुनावी हलफनामों ने इस राज़ पर से पर्दा हटा दिया है।
परिवार के बीच बढ़ती दूरी और नई कहानी की शुरुआत
कभी एक साथ रैलियों में दिखने वाले दोनों भाइयों में अब दूरी साफ दिखती है। तेज प्रताप अब आरजेडी का हिस्सा नहीं हैं। उन्हें निष्कासित कर दिया गया, उसके बाद उन्होंने नई पार्टी बना ली। कहा कि अब वे अपनी राजनीति अपने दम पर करेंगे। कहानी यहीं दिलचस्प होती है — दोनों मैदान में, दोनों उम्मीदवार, और दोनों की संपत्तियों पर जनता की निगाह।
तेजस्वी यादव – सादगी में सत्ता का चेहरा
Tejashwi Yadav अब बिहार की राजनीति के सबसे बड़े विपक्षी चेहरों में एक हैं। वे 5.85 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन वे खुद को सीमित जीवनशैली में दिखाते हैं। उनके पास एक कार है, कुछ निवेश और पारिवारिक मकानों में हिस्सेदारी। उनकी राजनीति असरदार है, पर पैसों के मामले में वे संयमित दिखते हैं। इसे लोग सादगी कहते हैं या रणनीति, ये देखने की बात है।
तेज प्रताप यादव – संपत्ति में आगे, राजनीति में अकेले
अब आते हैं Tej Pratap Yadav पर। जिन्होंने अपने हलफनामे में लगभग 9.42 करोड़ रुपये की संपत्ति दिखाई। यानी साफ-साफ — वे अपने छोटे भाई से करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये आगे हैं। उनके पास कृषि भूमि, कुछ मकान और कुछ गहने बताए गए हैं। आंकड़े भारी हैं, मगर राजनीतिक वजन अभी थोड़ा हल्का। उन्हें अब अपने दम पर मैदान संभालना है।
जब आंकड़े बताते हैं दिलचस्प अंतर
अगर दोनों के संपत्ति विवरण को रखें पास-पास, तो तस्वीर साफ है। Tej Pratap Yadav संपत्ति में आगे हैं, पर Tejashwi Yadav का जनाधार कहीं बड़ा है। तेज प्रताप के पास कई प्लॉट और गाड़ियाँ, जबकि तेजस्वी के पास सादगी भरा ब्यौरा। पैसा बनाम प्रभाव, यही तुलना इस परिवार का नया अध्याय लिख रही है।
हलफनामे में क्या दर्ज हुआ?
चुनावी दस्तावेज़ों के मुताबिक, तेजस्वी की कुल संपत्ति 5.85 करोड़ रुपये है। चल संपत्ति में बैंक खाते और कार शामिल हैं। वहीं Tej Pratap Yadav ने करीब 9.42 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति घोषित की। इसमें खेती की जमीन, पटना और हाजीपुर की कुछ संपत्तियां और गहनों का कलेक्शन है। चुनाव आयोग को सौंपी गई यह जानकारी अब चर्चाओं का विषय बन चुकी है।
राजनीति में संपत्ति की भूमिका
बिहार में पैसे से ज़्यादा चलता है नाम। और लालू यादव का नाम अब भी जनता के दिल में है। Tejashwi Yadav उसी विरासत को संभाल रहे हैं। वहीं तेज प्रताप अब अपने नए संगठन के भरोसे जनता तक पहुंचने की कोशिश में हैं। संपत्ति चुनाव लड़ने की ताकत देती है, मगर जनता का भरोसा – वही जीत तय करता है।
तेजस्वी – संगठित और रणनीतिक
Tejashwi Yadav ने अब तक अपनी राजनीतिक छवि को मजबूत किया है। महागठबंधन के चेहरे के रूप में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। लोगों को लगता है, वो सुनते हैं। वहीं तेज प्रताप, जो अक्सर अपने बयानों और शैली के कारण सुर्खियों में रहते हैं, अभी स्थायित्व की तलाश में हैं। यानी एक भाई जमीन पर राजनीति खेल रहा है, दूसरा मंच पर आवाज़।
दो भाइयों की राजनीति, दो रास्ते
तेज प्रताप यादव अब ‘लोक हित पार्टी’ के बैनर तले चुनावी अखाड़े में हैं। उन्होंने साफ कहा कि यह “जनता की पार्टी” होगी। जबकि Tejashwi Yadav आरजेडी को अगले स्तर पर ले जाने की रणनीति तैयार कर चुके हैं। परिवार दो धड़ों में बंटा नज़र आता है, पर लालू यादव का साया अब भी दोनों पर है। राजनीति में यह साया ही दोनों की ताकत और कमजोरी दोनों है।
भविष्य की तस्वीर क्या कहती है?
भविष्य अब जनता के हाथ में है। Tejashwi Yadav के पास स्थिरता है, और तराजू की दूसरी तरफ तेज प्रताप का साहस। दोनों भाइयों की संपत्ति की तुलना जितनी दिलचस्प है, उतनी ही उनका राजनीतिक सफर भी। आने वाले चुनाव तय करेंगे कि बिहार की जनता किसे अपनी असली राजनीतिक पूंजी समझती है — पैसा या भरोसा।
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