बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गर्माने लगा है। अब हर रोज नए मुद्दे और बयान सामने आ रहे हैं। महागठबंधन और बीजेपी आमने-सामने हैं। इस बार सुर्खियों में तेजस्वी यादव का सीएम उम्मीदवार वाला मामला है। इसी पर बीजेपी ने बड़ा राजनीतिक हमला बोल दिया है और सोशल मीडिया पर एक AI वीडियो का जिक्र कर माहौल को और गरमा दिया है।
बिहार चुनाव में महागठबंधन के सामने मुश्किल सवाल कि आखिर सीएम फेस कौन बनेगा
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी घमासान भी तेज हो रहा है। महागठबंधन के अंदर सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। जनता दल (यू), कांग्रेस और आरजेडी सभी अपने-अपने नेताओं को आगे करना चाहते हैं। लेकिन जब बात आती है राहुल गांधीऔर कांग्रेस की, तो तस्वीर साफ नहीं दिख रही। इसी वजह से विपक्ष के खेमे में अंदरखाने खींचतान जारी है। खासकर तब जब तेजस्वी यादव खुद को सीएम पद का सबसे बड़ा दावेदार मानते हैं।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच सीएम फेस को लेकर उठी खींचतान
इस पूरे मामले के केंद्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम आ रहा है। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी साफ तौर पर तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार मानने से बच रहे हैं। उनके बयानों से भी इस बात की झलक मिल रही है। कांग्रेस इस बात पर अटकी हुई है कि महागठबंधन को नेतृत्व सामूहिक तौर पर करना चाहिए, जबकि आरजेडी चाहती है कि तेजस्वी यादव को ही सीएम फेस घोषित किया जाए। इस मुद्दे पर अलग-अलग बयानों ने महागठबंधन के अंदर की फूट को उजागर कर दिया है।
बीजेपी ने AI वीडियो का सहारा लेकर तेजस्वी यादव पर कसा तंज
इन तमाम घटनाओं के बीच बीजेपी ने राजनीतिक हमला बोलने का मौका नहीं गंवाया। सोशल मीडिया पर एक AI वीडियो घुमाया गया, जिसमें तेजस्वी यादव पर तंज कसा गया। वीडियो में यह दिखाने की कोशिश की गई कि अगर महागठबंधन के नेता खुद तय नहीं कर पा रहे कि उनका नेता कौन होगा, तो जनता उन पर कैसे भरोसा करेगी। बीजेपी ने ये संदेश देने की कोशिश की कि जिस गठबंधन में नेतृत्व को लेकर ही कंफ्यूजन हो, वो बिहार को स्थिर सरकार नहीं दे सकता।
नौवीं फेल बिहार को स्वीकार नहीं है!🫣 pic.twitter.com/qCXyXJUgeX
— BJP (@BJP4India) September 19, 2025
बीजेपी का सीधा हमला कांग्रेस और आरजेडी की कमजोरियों पर
बीजेपी ने यह मुद्दा उठाकर साफ कर दिया है कि चुनाव अभियान में अब ये बहस बड़ा हथियार बनने वाली है। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और आरजेडी सिर्फ सत्ता की राजनीति कर रही हैं, जनता की समस्याओं से उनका कोई लेना-देना नहीं है। बेरोजगारी, विकास और कानून-व्यवस्था जैसे गंभीर सवालों को छोड़कर गठबंधन ये तय ही नहीं कर पा रहा कि कौन चेहरा सामने रखेगा। ऐसे में बीजेपी ने सरल भाषा में हमें-आपको ये संदेश देने की कोशिश की है कि महागठबंधन भरोसे लायक विकल्प नहीं है।
बिहार की जनता के बीच तेजी से फैल रहा है सीएम फेस का सवाल
बिहार के गांव-गली और शहरों में चुनावी चर्चा तेज हो गई है। आम लोग भी पूछ रहे हैं कि अगर महागठबंधन बन भी गया, तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? यह सवाल अब घर-घर की चर्चा बन गया है। तेजस्वी यादव अपने भाषणों में खुद को सीएम उम्मीदवार बताने से पीछे नहीं हटते, लेकिन कांग्रेस की चुप्पी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है। ऐसे में बीजेपी के हमले को जनता का ध्यान खींचने का एक पुख्ता हथियार माना जा रहा है।
महागठबंधन के अंदर बढ़ती दूरी और बीजेपी के लिए बनता अवसर
राजनीति के जानकार मानते हैं कि महागठबंधन के नेताओं के बीच तालमेल की कमी साफ दिखने लगी है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच बनी असमंजस की स्थिति बीजेपी के लिए सीधा फायदा पहुंचा सकती है। राजनीति का इतिहास बताता है कि जब विपक्ष कमजोर और बिखरा हुआ नजर आता है, तो जनता स्थिर नेतृत्व की तरफ झुकती है। यह वही रणनीति है जिसे बीजेपी अच्छे से समझती और इस्तेमाल करती रही है।
क्या जनता के मुद्दों पर लौटेगी बहस या फंसा रहेगा चुनाव केवल चेहरे की लड़ाई में
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या बिहार चुनाव में असली बहस बेरोजगारी, महंगाई और विकास जैसे मुद्दों पर होगी या फिर पूरा माहौल केवल मुख्यमंत्री के चेहरे की खींचतान में उलझा रहेगा। राजनीति पर नजर रखने वाले पत्रकारों का मानना है कि जनता के लिए नीति और कामकाज ज्यादा जरूरी है, लेकिन दलों के झगड़े से असली मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। बीजेपी ने यही कहकर माहौल बनाया है कि जब नेतृत्व पर ही कन्फ्यूजन हो, तो बिहार को आगे कैसे बढ़ाया जाएगा।
तेजस्वी यादव की चुनौती और बिहार के भविष्य का सवाल
तेजस्वी यादव के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है कि वो कैसे कांग्रेस और राहुल गांधी को राजी करें और महागठबंधन को मजबूती से खड़ा रखें। अगर वह ऐसा करने में नाकाम रहते हैं, तो बिहार में विपक्ष की पकड़ कमजोर पड़ सकती है। दूसरी ओर बीजेपी पूरी रणनीति और मजबूत संगठन के साथ तैयार है। इसलिए इस चुनाव में सीएम फेस का मुद्दा सबसे बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
नतीजे से पहले ही गरमा गया चुनाव, जनता कर रही है बारीकी से नजर
बिहार की जनता राजनीति को अच्छी तरह समझती है। वे नेताओं के हर बयान और हर कदम को नोट करती है। इस बार भी जनता बारीकी से चुनावी लड़ाई को देख रही है। अगर महागठबंधन चेहरे की लड़ाई में उलझता रहा, तो बीजेपी खुद को स्थिर विकल्प के तौर पर पेश करेगी। आखिरकार, लोकतंत्र में जनता ही अंतिम फैसला करती है कि कौन उनके लिए सही नेता है।
इस तरह बिहार चुनाव में शुरू हुआ यह सीएम फेस वाला विवाद, और उस पर बीजेपी का AI वीडियो वार, पूरे चुनावी संघर्ष को और दिलचस्प बना रहा है। अब देखने वाली बात यही है कि जनता इस बहस को कैसे लेती है और आखिरकार किसके नेतृत्व पर भरोसा जताती है।