वेतन देने के लिए पैसा कहां से आएगा? तेजस्वी यादव के नौकरी वाले वादे पर जेपी नड्डा का तीखा पलटवार
बिहार चुनावी रैलियों में बयानबाज़ी की गर्मी बढ़ गई है। जेपी नड्डा ने औरंगाबाद में तेजस्वी यादव के नौकरी वाले वादे पर बड़ा वार किया। उन्होंने कहा — “वेतन देने के लिए पैसा कहां से आएगा?” यह बयान अब सियासी बहस का केंद्र बन गया है। तेजस्वी यादव के नौकरी वाले वादे को लेकर जनता में सवाल उठने लगे हैं।
वेतन देने के लिए पैसा कहां से आएगा? तेजस्वी के नौकरी वाले वादे पर जेपी नड्डा का तीखा पलटवार
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बिहार की हवा में फिर से चुनाव की गंध घुल गई है। मंच सज रहे हैं, नारों की गूंज बढ़ गई है, और भाषणों की गर्मी चरम पर है। इन्हीं सबके बीच, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान चर्चा में है। उन्होंने औरंगाबाद की रैली में सीधे Tejashwi Yadav को घेरा। सवाल भी बड़ा था — “नौकरी ठीक है, मगर वेतन देने के लिए पैसा कहां से आएगा?”
तेजस्वी पर नड्डा की तंज भरी चोट
औरंगाबाद के मैदान में जब जेपी नड्डा माइक पर आए तो माहौल गूंज उठा। भीड़ ताली बजा रही थी, कुछ लोग नारे लगा रहे थे। नड्डा रुके, मुस्कुराए और बोले — “एक लाख नौकरियां देने की बात करने वाले बोलिए, वेतन का इंतज़ाम कौन करेगा?” यह सुनकर सामने बैठे लोग हंस पड़े। राजनीतिक बात थी, पर लहजा सीधा दिल तक जा रहा था। Tejashwi Yadav का नाम भीड़ में धीरे-धीरे गूंज उठा।
रैली का जोश और नड्डा का आत्मविश्वास
शाम की ठंडी हवा में भी औरंगाबाद का मैदान गरम था। लोग दूर-दूर से आए थे, कोई साइकिल से, कोई ट्रैक्टर पर। जेपी नड्डा ने कहा, “अब बिहार उन वादों पर चलेगा जो पूरे हो सकें, न कि उन पर जो सिर्फ अखबारों के शीर्षक बनें।” उनका इशारा Tejashwi Yadav की नौकरियों वाली घोषणा पर था। हर वाक्य के बाद तालियों की गड़गड़ाहट बढ़ रही थी।
कांग्रेस और आरजेडी दोनों पर वार
नड्डा ने सिर्फ आरजेडी नहीं, कांग्रेस को भी निशाने पर लिया। बोले — “कांग्रेस एक परजीवी पार्टी है। जहां जाती है, अपने साथियों को खत्म कर देती है।” वहां बैठे लोगों में हंसी की फुसफुसाहट गूंजी, कुछ ने सिर हिलाया। उन्होंने जोड़ा कि कांग्रेस और आरजेडी अब जनता के भरोसे के लायक नहीं बचे हैं। Tejashwi Yadav उनके लिए नए ‘वादों के व्यापारी’ हैं।
नौकरी का वादा और हकीकत की जमीन
Tejashwi Yadav ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार बनी तो एक लाख सरकारी नौकरियां देंगे। सुनने में अच्छा लगता है। उम्मीद भी जागती है। लेकिन जेपी नड्डा के सवाल ने उस पर परत खोल दी — “वेतन आएगा कहां से?” वादे की ज़मीन पर अर्थशास्त्र की सख्त मिट्टी है। ये बात आम लोगों को भी समझ में आ रही थी।
भीड़ में गूंजती राय
भीड़ में अलग-अलग राय थी। कोई कह रहा था, "तेजस्वी युवाओं की बात तो करते हैं, लेकिन पैसा?" कोई दूसरा जोड़ देता, "कम से कम वो मुद्दा तो उठा रहे हैं।" यही बिहार की खासियत है – बहस कभी खत्म नहीं होती। Tejashwi Yadav का नाम हर किसी की जुबान पर था। नड्डा की बात लोगों के मन में गूंजी, पर कुछ चेहरे सोच में डूबे थे।
विकास बनाम वादा की बहस
नड्डा बोले, “हमारे प्रधानमंत्री ने जो कहा, वो किया। बिहार के हर जिले में विकास दिखता है।” उन्होंने कहा कि Tejashwi Yadav और उनके गठबंधन की राजनीति अब भी वादों के सहारे चल रही है। “यह लोग दिशा नहीं दिखाते, बस सपना दिखाते हैं,” नड्डा का यह वाक्य भीड़ में खो गया, लेकिन असर छोड़ गया।
राजनीति का पलटवार और रणनीति का संदेश
बीजेपी अब साफ तौर पर रोजगार के वादे को विपक्ष के खिलाफ हथियार बना रही है। जेपी नड्डा ने कहा कि यह चुनाव भविष्य तय करने का वक्त है। और याद दिलाया कि Tejashwi Yadav की पार्टी पहले भी सत्ता में रह चुकी है। “नौकरियां देने की बात करने वाले पहले अपने समय का हिसाब दें,” उन्होंने कहा। मंच पर बैठे नेता मुस्कुराए, संकेत साफ था — हमला सीधा है।
जनता के बीच बहस की चिंगारी
औरंगाबाद से लेकर पटना तक लोग अब बहस कर रहे हैं – नड्डा बोल गए जो सब सोच रहे थे या बस राजनीति थी ये? गली-मोहल्लों में चर्चा है कि Tejashwi Yadav अगर नौकरियां देंगे तो वेतन कहां से आएगा? लेकिन कोई यह भी कह देता है, “युवा हैं, कोशिश तो करनी चाहिए।” यही द्वंद्व बिहार की राजनीति की असली पहचान है।
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