दिल्ली ब्लास्ट साज़िश की जांच में सामने आए नए खुलासों ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है, जिसमें कथित ‘टेरर डॉक्टर’ की स्वीकारोक्ति मामले को नई दिशा देती रही है।
सच बताऊं तो पिछले कुछ दिन अजीब से गुज़रे। लोग पूछ रहे थे कि भाई तू क्या सोच रहा है इस टेरर डॉक्टर कन्फेशन वाले मामले पर। मैं तो ज़्यादातर गाड़ी बातों में ही रहता हूँ पर जब ब्लास्ट कॉन्सपिरेसी जैसे लफ़्ज़ हवा में उछलने लगते हैं ना तो पूरा शहर का मूड हिल जाता है। ऑटो मार्केट भी वही घबराहट सा फील करता है। और हाँ एक बात और। मेरे पास कोई सीक्रेट फ़ाइल या अंदर की पुलिस रिपोर्ट नहीं होती। जितना तुम देखते हो टीवी पर बस उतना ही मैं भी सुन लेता हूँ। बस जो गुस्सा होता है वही यहाँ बोल रहा हूँ। थोड़ा कच्चा थोड़ा उलझा हुआ सा।
यह टेरर डॉक्टर का टाइटल भी कुछ ठीक नहीं लगता
जब कोई बोलता है कन्फेशन हो गया तो मैं एक दम रुक जाता हूँ। क्योंकि कहानी पलटने का पूरा इतिहास रहा है। जैसे कार कंपनी बोल देती है कि ओवरहीटिंग इश्यू ठीक हो गया। पर अगले हफ्ते वर्कशॉप में खड़े मालिकों का गुस्सा देखकर समझ में आता है कि फिक्स थोड़ा अधूरा था।
ये दिल्ली ब्लास्ट की साज़िश वाली बात भी बिल्कुल वैसी ही आधी-अधूरी लगती है। एक दिन कोई चेहरा दिखाया जाता है। अगले दिन कोई नया ट्विस्ट जोड़ दिया जाता है। मुझे अपना 2019 का EV वाला चक्कर याद आ जाता है। डीलर बोला था सर अपडेट सब सही करेगा। अपडेट लगा और रिवर्स कैमरा अपने आप चालू हो गया जब गियर डी में था। पूरा भरोसा एक सेकंड में धाराशायी।
फाइल फोटो : दिल्ली ब्लास्ट के बाद घटनास्थल पर बचाव और जांच कार्य।
मीडिया तो अपना ही तूफ़ान बनाता है
एक बार पुणे में एक छोटी सी डीलरशिप में बैठा था। मालिक बोला सर आदमी को सच चाहिए ड्रामा नहीं। उसकी यह लाइन दिमाग में तब से चिपकी हुई है। अब जब न्यूज़ एंकर एकदम से बड़े खुलासे चिल्लाते हैं तो वो लाइन फिर से कान में गूंज जाती है। और मेरी आदत ऐसी है कि बिना पक्के बेस के किसी को दोषी बोलना मुश्किल लगता है। जैसे नई SUV आती नहीं कि लोग बोल देते सस्पेंशन वीक। अरे भाई पहले चला तो लो। जल्दीबाजी किस बात की।
पब्लिक मूड कभी कभी गियरबॉक्स से भी जल्दी बदल जाता है
जब कॉन्सपिरेसी जैसे लफ्ज गरम हो जाते हैं ना तो लोगों का ट्रस्ट हर तरफ से हिलता है। पॉलिसी हो पुलिसिंग हो या नई EV की लॉन्च हो। हर दावे पर थोड़ा डाउट आ जाता है। मुझे याद है एक स्टार्टअप ने 400 km रेंज का क्लेम मारा था। पब्लिक ने बिना सोचे बोला यह भी झूठ होगा पुरानी वाली तरह। बाद में कंपनी ने टेस्ट दिखाए पर तब तक भरोसा हल्कासा टूट ही चुका था। अब यह दिल्ली ब्लास्ट वाली कहानी घूम रही है तो मूड फिर वही हो गया है। आधे लोग मान रहे हैं आधे डाउट में। जैसे सबने अपने दिमाग का कॉशन मोड ऑन कर दिया हो।