आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति मंदिर में इस साल का ब्रह्मोत्सवम खत्म हो गया है। इस बार के त्योहार में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे काफी चौंकाने वाले हैं। भगवान वेंकटेश्वर के इस पावन मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचे और अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन किया।
लाखों भक्तों की उमड़ी भीड़
इस साल के ब्रह्मोत्सवम में कुल 5.8 लाख श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने पहुंचे। यह संख्या पिछले कुछ सालों की तुलना में काफी अच्छी मानी जा रही है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, त्योहार के दौरान रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते रहे। सुबह से शाम तक लंबी कतारें लगी रहीं।
मंदिर के अधिकारियों का कहना है कि इस बार दक्षिण भारत के अलावा उत्तर भारत से भी बड़ी मात्रा में भक्त पहुंचे। खासकर गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक थी।
हुंडी में आया रिकॉर्ड चढ़ावा
इस बार के ब्रह्मोत्सवम में सबसे बड़ी बात यह रही कि हुंडी में 25.12 करोड़ रुपए का चढ़ावा आया। यह रकम 1 अक्टूबर तक की गिनती के हिसाब से है। मंदिर के खजांची बताते हैं कि यह रकम पिछले साल से कहीं ज्यादा है।
हुंडी में मिली इस रकम में सबसे ज्यादा हिस्सा नकद पैसों का है। इसके अलावा सोने और चांदी के गहने भी काफी मात्रा में मिले हैं। मंदिर प्रशासन का कहना है कि इस पैसे का इस्तेमाल मंदिर की सुविधाओं को बेहतर बनाने और भक्तों की सेवा में किया जाएगा।
अन्नप्रसादम की व्यवस्था
त्योहार के दौरान 26 लाख भक्तों को अन्नप्रसादम परोसा गया। यह भगवान का प्रसाद है जो मंदिर की तरफ से मुफ्त में बांटा जाता है। मंदिर की रसोई में दिन-रात काम चलता रहा। सैकड़ों रसोइयों की टीम ने लगातार खाना तैयार किया।
अन्नप्रसादम में चावल, दाल, सब्जी और मिठाई शामिल थी। मंदिर प्रशासन का कहना है कि उन्होंने पूरी तरह से साफ-सफाई का ध्यान रखा। खाना बनाने से लेकर परोसने तक हर चीज में स्वच्छता बनाई रखी गई।
केशदान की परंपरा
तिरुपति मंदिर में केशदान की परंपरा सदियों पुरानी है। इस बार के ब्रह्मोत्सवम में 2.4 लाख भक्तों ने अपने बाल चढ़ाए। यह भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाने का एक तरीका है।
मंदिर में केशदान के लिए अलग से व्यवस्था की जाती है। यहां प्रशिक्षित नाई भक्तों के बाल काटते हैं। इन बालों को बाद में नीलामी के जरिए बेचा जाता है। इससे मिला पैसा भी मंदिर के कामों में इस्तेमाल होता है।
प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू का वितरण
28 लाख लड्डू इस त्योहार के दौरान बांटे गए। तिरुपति का लड्डू पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसका स्वाद और गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है। मंदिर की अपनी बेकरी है जहां रोजाना हजारों लड्डू तैयार किए जाते हैं।
लड्डू बनाने के लिए बेसन, घी, चीनी, काजू और किशमिश का इस्तेमाल किया जाता है। सभी सामग्री उच्च गुणवत्ता की होती है। मंदिर प्रशासन इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि लड्डू की गुणवत्ता में कोई कमी न आए।
कलाकारों का शानदार प्रदर्शन
ब्रह्मोत्सवम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। इस बार 28 राज्यों से 6,976 कलाकार शामिल हुए। उन्होंने नृत्य, संगीत और अन्य कलाओं का प्रदर्शन किया। यह कार्यक्रम त्योहार की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं।
कलाकारों में शास्त्रीय नृत्य करने वाले, लोक गीत गाने वाले और वाद्य यंत्र बजाने वाले शामिल थे। उनके प्रदर्शन को देखने के लिए भक्त घंटों तक खड़े रहे। मंच पर जब ये कलाकार अपनी कला दिखाते थे तो पूरा माहौल भक्ति में डूब जाता था।
मंदिर प्रशासन की तैयारी
इतने बड़े त्योहार को सफल बनाने के लिए मंदिर प्रशासन ने महीनों पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। सुरक्षा, खाने की व्यवस्था, साफ-सफाई और भीड़ को संभालने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई थीं।
पुलिस की भारी तैनाती की गई थी। मेडिकल टीम भी तैयार रखी गई थी। पार्किंग की व्यवस्था से लेकर पीने के पानी तक की सुविधा का पूरा इंतजाम किया गया था। इन सभी प्रयासों की वजह से त्योहार बिना किसी बड़ी समस्या के संपन्न हुआ।