अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से कड़े टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप दवा कंपनियों पर 200% तक का टैरिफ लागू करने की योजना बना रहे हैं। अब तक अमेरिका में विदेशी दवाओं को टैरिफ-फ्री एंट्री मिलती रही है, लेकिन अगर यह कदम उठाया जाता है तो अमेरिकी दवा बाजार में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
अमेरिका में क्यों बढ़ सकती हैं दवाओं की कीमतें?
एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के अनुसार, 200% टैरिफ लागू होने पर विदेशी दवाओं की कीमतें आसमान छू सकती हैं। अभी तक आयात पर छूट थी, लेकिन यूरोप के साथ हाल ही में हुए व्यापार समझौते के बाद कुछ वस्तुओं पर पहले से ही 15% शुल्क लगाया जा चुका है।
दवाओं की कीमतों में भारी उछाल होगा।
सस्ती विदेशी दवाएं बाजार से गायब हो सकती हैं।
बीमा प्रीमियम तक महंगा हो सकता है।
दवाओं की कमी का संकट पैदा हो सकता है।
किसे होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
ING के हेल्थकेयर अर्थशास्त्री डिडेरिक स्टैडिग का कहना है कि इस फैसले का सबसे बड़ा नुकसान सीधे अमेरिकी उपभोक्ताओं को झेलना पड़ेगा।
उन्हें महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ेंगी।
बीमा कंपनियों के प्रीमियम बढ़ जाएंगे।
दवाओं का स्टॉक तेजी से कम होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 25% टैरिफ भी दवा भंडार में 10 से 14% की कमी ला सकता है।
ट्रंप के दबाव वाले कदम
ट्रंप ने हाल ही में कई दवा कंपनियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे अमेरिका में "मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN)" नीति के तहत कीमतें तय करें। साथ ही उन्होंने संकेत दिया है कि यदि कंपनियां उत्पादन और स्टॉक बढ़ाती हैं, तो टैरिफ लागू करने को 1 से 1.5 साल तक टाला जा सकता है।
क्या होगा समझौता?
मार्केट रिसर्च फर्म जेफ्रीज के विश्लेषक डेविड विंडले का कहना है कि संभव है ट्रंप 200% से कम टैरिफ पर समझौता कर लें। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दवा उत्पादन को अमेरिका में शिफ्ट करना आसान नहीं होगा, क्योंकि यह प्रक्रिया महंगी और समय लेने वाली है।