नई दिल्ली: फरवरी 2022 से जारी रूस–यूक्रेन युद्ध अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस लंबे और विनाशकारी संघर्ष ने दोनों देशों को भारी मानवीय और आर्थिक नुकसान पहुँचाया है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली प्रस्तावित मुलाकात ने वैश्विक स्तर पर उत्सुकता और सवाल दोनों खड़े कर दिए हैं।
क्या यह वार्ता युद्ध खत्म कर पाएगी या औपचारिकता बनकर रह जाएगी?
ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकते हैं। प्रस्तावित बैठक में शांति वार्ता और संभावित क्षेत्रीय व्यापार (territorial swap) पर चर्चा हो सकती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पहल वास्तविक समाधान लाएगी या सिर्फ एक और कूटनीतिक औपचारिकता बनकर रह जाएगी।
यूक्रेन की मांगें – “कुछ भी हमारे बिना हमारे बारे में नहीं”
यूक्रेन ने अपनी शांति सूत्र योजना में 10 बिंदु रखे हैं:
रूसी सैनिकों की पूर्ण वापसी
2014 की सीमाओं की बहाली, जिसमें क्रिमिया भी शामिल
युद्ध अपराधों के लिए रूसी नेताओं पर मुकदमा
ऊर्जा, खाद्य और पर्यावरणीय सुरक्षा की बहाली
भविष्य की सुरक्षा गारंटी और अंतरराष्ट्रीय शांति संधि
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट कहा है: “Nothing about Ukraine without Ukraine” यानी यूक्रेन के बिना यूक्रेन के बारे में कोई फैसला नहीं।
रूस की शर्तें – कठोर और विवादित
रूस की मांगें यूक्रेन के लिए कठोर और अस्वीकार्य मानी जा रही हैं:
डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़ापोरिज़्ज़िया पर यूक्रेन का दावा छोड़ना
नाटो में शामिल न होने की गारंटी
पश्चिमी प्रतिबंधों की समाप्ति
रणनीतिक दूरी बनाए रखना
यूक्रेन ने इन शर्तों को नकारते हुए अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा का संकल्प दोहराया है।
युद्ध से अब तक का नुकसान – आंकड़े चौंकाने वाले
यूक्रेन:
8 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित
8.2 मिलियन लोग शरणार्थी
$150 बिलियन से अधिक का आर्थिक नुकसान
$51 बिलियन पर्यावरणीय क्षति (काखोव्का बांध का विनाश, प्रदूषण)
रूस:
$1.3 ट्रिलियन आर्थिक हानि
$250 बिलियन सैन्य खर्च
पश्चिमी प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था कमजोर
ट्रंप की मध्यस्थता – ऐतिहासिक अवसर या असंभव मिशन?
ट्रंप इसे “शांति का ऐतिहासिक अवसर” बता रहे हैं। उनकी योजना में क्षेत्रीय व्यापार का विचार है, जिसमें यूक्रेन कुछ इलाके रूस को दे और बदले में सुरक्षा गारंटी और आर्थिक सहायता पाए।
लेकिन यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं ने इस पर संदेह जताया है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि “यूक्रेन अपनी एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेगा”। कई यूरोपीय नेता मानते हैं कि यह समझौता रूस की आक्रामकता को वैधता दे सकता है।
वैश्विक दृष्टिकोण – उम्मीद और आशंका दोनों
दुनिया भर के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रूस और यूक्रेन की परस्पर विरोधी मांगें किसी भी समझौते को कठिन बना देती हैं। साथ ही, ट्रंप की योजना में नाटो और यूरोपीय संघ की भूमिका स्पष्ट नहीं है, जो इस प्रक्रिया को और जटिल बनाती है।