अमेरिकी राजनीति और वैश्विक व्यापार को झकझोर देने वाला एक अहम फैसला सामने आया है। अमेरिकी अपील अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए कई टैरिफ को गैर-कानूनी (Illegal) करार दिया है। हालांकि, कोर्ट ने इन्हें 14 अक्टूबर तक लागू रहने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके। इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है।
1. पहले का फैसला बरकरार
अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने निचली अदालत (Court of International Trade) के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप ने इमरजेंसी कानून का गलत इस्तेमाल कर टैरिफ लगाया। हालांकि, केस को वापस निचली अदालत भेज दिया गया है ताकि यह तय हो सके कि फैसला सिर्फ संबंधित पक्षों पर लागू होगा या सभी देशों पर।
2. ट्रंप के पास नहीं थी टैरिफ लगाने की शक्ति
कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रंप के पास 1970 के दशक के International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) के तहत टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं था। भले ही कोर्ट ने टैरिफ को अवैध बताया, लेकिन इसका असर 14 अक्टूबर के बाद ही दिखेगा। इससे पहले तक ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का समय मिलेगा।
3. भारत पर क्या असर?
यह फैसला भारत जैसे देशों के लिए भी अहम है। 2 अप्रैल को ट्रंप ने इसे "लिबरेशन डे" बताते हुए दुनिया के सभी देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगाया था। जिन देशों के साथ अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट था, उन पर और भी ज्यादा शुल्क लगाया गया। भारत पर भी 50% तक टैरिफ लगाया गया है, जिसमें 25% अतिरिक्त पेनल्टी सिर्फ रूस से ऊर्जा खरीदने के कारण लगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत का यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को कैसे प्रभावित करता है।
4. ट्रंप का गुस्सा
ट्रंप ने फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा कि “अदालत ने गलत कहा है कि हमारे टैरिफ हटाए जाने चाहिए, लेकिन अमेरिका अंत में जरूर जीतेगा।” उन्होंने साफ किया कि वह सुप्रीम कोर्ट की मदद से इस फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
5. आगे क्या होगा?
अब यह मामला सीधे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला तय करेगा कि ट्रंप के टैरिफ रहेंगे या खत्म होंगे। हालांकि, व्हाइट हाउस चाहे तो पहले इसे फिर से निचली अदालत (Court of International Trade) में भी ले जा सकता है।यह फैसला ट्रंप की उस महत्वाकांक्षा को और जटिल बना देता है, जिसमें वह दशकों पुरानी अमेरिकी व्यापार नीति को अकेले बदलना चाहते थे। उनके पास आयात कर लगाने के अन्य कानूनी रास्ते भी हैं, लेकिन वे इतने तेज़ और कठोर नहीं होंगे।