नीतीश को फिर मुख्यमंत्री बनाने की मांग, केशव प्रसाद मौर्य बोले: बिहार के लिए सबसे अच्छे हैं नीतीश
मंच पर चढ़े मौर्य, नीतीश को बताया सबसे बेस्ट सीएम
एक आम दिन। लेकिन भीड़ कुछ ज्यादा थी। मौका – बिहार चुनावी जनसभा। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मंच पर आए, रुककर बोले— “नीतीश कुमार सबसे अच्छे मुख्यमंत्री हैं।” इतना सुनते ही लोग ताली बजाने लगे। कोई हँस पड़ा, कोई बोला, “ये बात!” नीतीश का नाम गूँज गया।
काम गिनाए, भरोसा दिलाया
मौर्य ने माइक पर आते ही सीधा बात की। “बिहार बदला है, सबने देखा।” फिर आंकड़े भी दिए— सड़कें, स्कूल, बिजली। भीड़ में एक बुजुर्ग बोले, “पहले कुछ नहीं था, अब बहुत कुछ है।” बात पुरानी सही, लेकिन असर दिखा। मौर्य ने हौसला बढ़ाया, “अगली सरकार फिर नीतीश जी की।” कई चेहरे मुस्करा दिए।
अगली सरकार के लिए खुला ऐलान
जनता देख रही थी। मौर्य ने फिर कहा— “काम हो रहा, बदलाव दिख रहा है। और अगली सरकार, फिर इन्हीं के नेतृत्व में।” लोगों ने हामी भरी। “कोई और चेहरा चाहिए?” जवाब कम, मुस्कान ज्यादा।
विकास की चर्चा, गांव से शहर तक
खुले मंच से बोले— “बीते सालों में गांव पहुँच गई बिजली, सड़कों की हालत सुधरी।” एक किसान उचक के बोला, “नहर तक पानी आया है…” मौर्य बोले, “देखिए, परिवर्तन किसी एक दिन में नहीं आता।” कुछ लोग फिर भी बोले, “कुछ जगह अभी बाकी है।” माने, सब खुश नहीं, पर बदलाव दिखा।
बीजेपी-जेडीयू नेताओं की मिली तारीफ
मौर्य अकेले नहीं थे। पार्टी के और नेता भी नीतीश के समर्थन में बोले। किसी ने कहा— “नीतीश जी समझदार, गाँव के आदमी हैं।” एक स्कूल वाली महिला बोली, “जितना काम हुए उतना पहले नहीं दिखा।” बातें छोटी, असर बड़ा।
मौर्य की अपील- भरोसा बनाए रखो
अंत में मौर्य ने गुज़ारिश की— “नीतीश कुमार पर भरोसा बनाए रखना। अगली बार भी यही होंगे।” उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा की चर्चा दोहराई। “बिहार आगे भी ऐसे ही बढ़ता रहेगा।” कुछ लोग ताली बजा रहे थे, कुछ मोबाइल से वीडियो बना रहे थे।
सभा के बाद जनता में हलचल
सभा खत्म, भीड़ छंट गई। दो युवक बातें करने लगे— “सही बोले क्या मौर्य?” दूसरा बोला— “काम किए तो हैं, थोड़ा और चाहिए लेकिन भरोसा भी है।” एक महिला बोली— “हम को उज्जवला मिला, अच्छा लगा।” उम्मीद बाकी थी, सवाल भी।
नीतीश की छवि—साधारण, पर असरदार
लोग कहते हैं, “सादा रहन-सहन, लेकिन फ़ैसले बड़े।” किसी बुजुर्ग ने पान चबाते हुए बोला— “नेता तो बहुत बने, नीतीश जैसा कम।” सड़क पर चर्चा चली— “अभी भी गांव में दिक्कत है, मगर पहले से बेहतर।” लोगों के चेहरे पर भरोसे का रंग दिखा।
विपक्ष पर भी तीर, लेकिन बड़ा मुद्दा बदलाव
मौर्य ने विपक्ष को भी याद किया— “वो लोग बातें करते रहेंगे, पर काम जरूरी है।” एक युवक ने हँसते हुए कहा— “हर कोई नेता ही बोलता है… असली बात तो काम में है।” लोगों को ये जवाब ठीक लगा।
चुनाव की तैयारी, चेहरा बिल्कुल साफ
मौर्य का संदेश सीधा था— “अगली सरकार नीतीश के साथ।” कुछ पोस्टर, थोड़े नारे, बस। लेकिन भीड़ समझ चुकी थी, चेहरा कौन बनेगा। अब देखना है जनता क्या सोचती है।
मन की बात—भरोसा और उम्मीद
कोई बोला— “काम हो रहा, बस और चाहिए।” दूसरा— “कभी-कभी सरकार बदलने से कुछ ज्यादा नहीं बदलता, सही नेता रहे तो अच्छा है।” शायद बिहार की असली कहानी यही है— काम, उम्मीद और भरोसा।
अंत में, नीतीश को लेकर आवाज़ उठी कि मुख्यमंत्री वही बनेंगे। केशव प्रसाद मौर्य का बयान चल पड़ेगा, चुनाव में देखिए क्या नई हवा आती है। फिलहाल बिहार में भरोसा और सवाल दोनों जिन्दा हैं।