अमेरिका की शांति योजना पर यूक्रेन के साथियों की बढ़ती चिंता

यूक्रेन के साथियों ने अमेरिका की नई शांति योजना पर चिंता जताई, क्योंकि उन्हें डर है कि यह समझौता यूक्रेन की सुरक्षा, जमीन और भविष्य की ताकत को कमजोर कर सकता है।

अमेरिका की शांति योजना पर यूक्रेन के साथियों की बढ़ती चिंता

एक संभावित शांति प्रस्ताव को लेकर यूक्रेन और उसके पश्चिमी साथियों के बीच काफी तनाव है। US ने रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसके बारे में कुछ लोगों का कहना है कि इसमें यूक्रेन पर भारी बैन लगाए जाएंगे। इससे कई जगहों पर यह डर पैदा हो गया है कि यह प्रस्ताव यूक्रेन की सॉवरेनिटी और मिलिट्री क्षमताओं को कमजोर कर सकता है। ऐसा लगता है कि कुछ साथी देशों को यह एहसास हो रहा है कि भले ही यह "शांति" शुरू में उम्मीद जगाने वाली लग सकती है, लेकिन इसकी कीमत यूक्रेन के लिए बहुत ज़्यादा हो सकती है।


प्रपोज़ल पेश किया गया

पिछले कुछ दिनों में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई हैं कि US ने 28 पॉइंट का शांति प्रपोज़ल तैयार किया है, जिसमें यूक्रेन से कुछ पूर्वी इलाके रूस को देने की बात कही गई है। यह भी चाहता है कि यूक्रेन अपनी मिलिट्री ताकत को काफ़ी कम कर दे।  कुछ रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि यूक्रेन को NATO में शामिल होने से रोक दिया जाना चाहिए। 


यूक्रेन का जवाब

प्रेसिडेंट वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने साफ़ कहा है कि वह "ईमानदारी से काम" करने के लिए तैयार हैं और इस प्रपोज़ल पर US के साथ बातचीत करना चाहते हैं।  लेकिन उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया है कि उनकी प्राथमिकता यूक्रेन की ऑटोनॉमी है।  उन्होंने कहा है कि यह फ़ैसला आसान नहीं है उन्हें शायद यह पढ़ना पड़े: उनकी इज़्ज़त या अमेरिकी सपोर्ट। 


पार्टनर्स की चिंताएँ

कुछ यूक्रेनी साथी देशों को डर है कि यह प्रपोज़ल यूक्रेन के लिए हार हो सकती है। यूरोपियन साथियों ने भी ड्राफ़्ट पर सवाल उठाए हैं, उनका कहना है कि "शांति" समझौता आसानी से नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि अगर यूक्रेन बहुत ज़्यादा रियायतें देता है, तो इससे बाद में दिक्कतें हो सकती हैं। वॉलंटियर्स का कहना है कि यह प्रपोज़ल रूस के साथ लंबे समय से चले आ रहे एग्रीमेंट्स का उल्लंघन लगता है। द टाइम्स ऑफ़ इंडिया  


ज़रूरी चुनौतियाँ

अगर यूक्रेन अपनी मिलिट्री को काफ़ी कम करता है, तो उसकी सिक्योरिटी क्षमताओं पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। ज़मीन ट्रांसफ़र करने की ज़िम्मेदारी उसकी नेशनल सिक्योरिटी और पहचान को कमज़ोर कर सकती है। NATO तक पहुँच बंद करने से भविष्य में मदद पाने की उसकी क्षमता कमज़ोर हो सकती है। आलोचकों का कहना है कि इस "शांति" को असल में हार के तौर पर पेश किया जा रहा है।


भविष्य की संभावना

इस प्रस्ताव ने यूक्रेन और उसके साथियों के लिए एक बहुत ज़रूरी सवाल खड़ा किया है क्या युद्ध को खत्म करने वाली “शांति” सच में एक सुरक्षित और भरोसेमंद शांति होगी, या यह एक ऐसा समझौता है जो यूक्रेन को कमज़ोर करेगा? समय ही बताएगा कि कीव और उसके पश्चिमी साथियों की स्ट्रैटेजी कैसे काम करती है और क्या यह प्रस्ताव भविष्य में स्थिरता ला सकता है।