UP bagpat : तीन बेटियों के शव चारपाई पर, मां पंखे से लटकी, घर के बाहर सोता रहा पिता
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से सामने आई इस दिल दहला देने वाली घटना में एक ही घर से तीन बेटियों और मां की लाशें बरामद हुईं, जबकि पिता घर के बाहर सोया रहा।
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में सोमवार की सुबह लोगों की आंखें फटी रह गईं। एक ही घर से चार-चार लाशें मिलीं। तीन छोटी-छोटी बेटियां झुलसी हालत में एक ही चारपाई पर पड़ी थीं और उनकी मां पंखे से लटकी हुई मिली। यह नजारा इतना भयावह था कि वहां मौजूद लोग कांप उठे। सोचिए, जिस घर में कल तक बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती थी, वहां आज सिर्फ मातम है।
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कैसे सामने आया यह खौफनाक मंजर, क्या था घटनास्थल का नज़ारा
पुलिस को जैसे ही खबर मिली, तुरंत मौके पर पहुंची। कमरे का हाल देखकर अधिकारियों के भी पैरों तले ज़मीन खिसक गई। एक चारपाई पर तीनों बेटियों के शव एक साथ पड़े थे। पास ही छत से बंधे पंखे पर मां का शव लटका मिला। घर के बाहर आंगन में पिता सोया हुआ था। सवाल यही उठा कि आखिर उसने कुछ सुना क्यों नहीं? क्या वाकई वह अनजान था या इस कहानी में कुछ और छुपा है?
गांव के लोगों की आंखों में आंसू और दिल में सवाल
गांव वालों का कहना है कि यह परिवार पिछले कुछ वक्त से तनाव में जी रहा था। कोई कहता है आर्थिक दिक्कत थी, तो कोई घरेलू कलह की बात करता है। मोहल्ले की महिलाओं ने कहा – “इतनी सी बच्चियां... उनकी क्या गलती थी?” लोगों का गुस्सा और दर्द साफ झलक रहा था। सबकी जुबान पर यही था कि इस घटना ने उनके गांव की रूह हिला दी।
क्या था परिवार में छुपा दर्द, पुलिस की शुरुआती जांच पर नजर
पुलिस ने परिवार के रिश्तेदारों और पड़ोसियों से पूछताछ शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि पति-पत्नी के बीच अक्सर झगड़े होते थे। गांव के एक बुजुर्ग ने कहा – “कभी-कभी छोटी-छोटी दरारें पूरे परिवार को तोड़ देती हैं।” मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आत्महत्या का मामला है या फिर इसके पीछे कोई और खौफनाक वजह है।
मां-बेटियों की मौत ने खड़े किए कई सामाजिक सवाल
आज हर किसी के मन में एक ही सवाल है – आखिर क्यों मां ने अपने बच्चों के साथ ऐसा कदम उठाया? क्या यह अकेलापन था, आर्थिक दबाव था या रिश्तों में खटास?
गांव की गलियों में पसरा सन्नाटा और मातम का माहौल
जहां रोज़ बच्चे खेलते-कूदते दिखाई देते थे, वहीं आज चार चिताएं सजने की तैयारी है। घर के बाहर जमा भीड़ चुपचाप खड़ी थी। किसी ने रोते हुए कहा – “ऐसी मौतें दुश्मन को भी न नसीब हों।” पिता की हालत पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर वह कैसे सोता रह गया? क्या वह सच में अनजान था? यह रहस्य अभी भी बना हुआ है।
बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर नई बहस
तीन मासूम बेटियों की मौत ने फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि घरों में बच्चों की मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा कितनी जरूरी है। क्या बच्चे अपने मन की बातें परिवार से खुलकर कह पाते हैं? अगर मां इतनी मजबूरी में थी, तो क्या उसके आसपास के लोग उसकी तकलीफ़ को समझ नहीं पाए? क्या रिश्तेदार या पड़ोसी समय रहते उसका हाथ पकड़ सकते थे? ऐसे सवाल अब हर किसी के दिल में उठ रहे हैं। जवाब आसान नहीं हैं, लेकिन यह सच है कि परिवार की पीड़ा को सबसे पहले घर और समाज ही समझ सकता है।
पुलिस की अगली पड़ताल और गांव की बेचैनी
घटना के बाद पुलिस ने साफ कहा है कि जांच किसी एक एंगल तक सीमित नहीं रहेगी। टीम आत्महत्या और हत्या – दोनों पहलुओं पर काम कर रही है। फॉरेंसिक विशेषज्ञ मौके से कई अहम सुराग जुटा चुके हैं। गांव में लोग हर दिन यही चर्चा करते हैं कि सच कब सामने आएगा। हर आंख अब पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, ताकि इस रहस्य से पर्दा उठ सके।
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