UP में केसीसी लोन की कर्ज ना चुकाने वाले किसानों की ज़मीन बिकने की बड़ी तैयारी
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कृषि विभाग और बैंकों ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत लिए गए कर्ज की अदायगी न करने वाले किसानों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। 2.55 लाख किसानों को कुल 4844 करोड़ रुपये का लोन मिला था, जिसमें से डेढ़ लाख किसानों ने अब तक कर्ज नहीं लौटाया। विभाग ने बैंकों से बकायादार किसानों की सूची मांगी है और जमीन नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है।
यूपी: KCC कर्ज न चुकाने वाले किसानों की जमीन होगी नीलाम
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- उत्तर प्रदेश में KCC कर्ज न चुकाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
- जिले के 1.5 लाख से अधिक किसानों ने 4844 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं लौटाया है।
- कृषि विभाग ने बकायादार किसानों की सूची मांगी, जमीन नीलामी की तैयारी।
यूपी में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत लिए गए लोन की अदायगी न करने वाले किसानों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई होने जा रही है। जिले के करीब 2.55 लाख किसानों को बैंकों ने 4844 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जिसमें से डेढ़ लाख से अधिक किसानों ने अपना कर्ज वापस नहीं किया है। कृषि विभाग ने बकायादार किसानों की सूची बैंकों से मांग ली है। इसके बाद इन किसानों की जमीन नीलामी के लिए भेजी जाएगी। मथुरा जिला कृषि विभाग ऐसी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है ताकि कर्ज की वसूली हो सके और किसानों को समय रहते कर्ज लौटाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
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कर्ज न लौटाने वाले किसानों के खिलाफ विभाग की सख्त तैयारी
जिले में किसानों द्वारा लिए गए किसान क्रेडिट कार्ड लोन की अदायगी दर लगभग 40 प्रतिशत है। बाकी किसान जिनका कर्ज अभी भी बकाया है, उन पर विभाग ने टाइट नजर रखी है। कृषि विभाग ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे कर्ज न लौटाने वाले किसानों की सूची जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं, ताकि उनकी जमीन की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कराई जा सके। किसानों को पहले नोटिस भेजे जाएंगे ताकि वे न्यायसंगत तरीके से कर्ज चुका सकें, फिर भी यदि कोई किसान कर्ज चुकाने में असमर्थ रहता है, तो उसकी जमीन को जब्त कर नीलाम करने की कार्रवाई की जाएगी।
किसान क्रेडिट कार्ड क्यों अहम है और कर्ज की वापसी क्यों जरूरी है
किसान क्रेडिट कार्ड सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों को खेती के लिए समय पर और सही मात्रा में कर्ज प्रदान करना है। इस योजना से किसान बिना जमीनी बंधक के खेती संबंधी खर्चों को पूरा कर पाते हैं। लेकिन जब किसान कर्ज का पुनर्भुगतान समय पर नहीं करते, तो यह न केवल बैंक के लिए खतरा बन जाता है, बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र में आर्थिक संतुलन को भी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए सरकार और बैंक मिलकर ऐसी सख्त कार्रवाई कर रहे हैं ताकि ऋण चुकाने की प्रक्रियाएं प्रभावी बन सकें।
मथुरा जिले के आंकड़े और स्थिति
मथुरा जिले में कुल 2.55 लाख किसान इस योजना के तहत कर्जदार हैं, जिनमें से करीब डेढ़ लाख किसानों ने अपना कर्ज वापस नहीं किया है। कुल ऋण राशि 4844 करोड़ रुपये है, जो बैंकों द्वारा किसानों को जारी की गई है। विभाग ने बकायादार किसानों की पूरी सूची मांगी है, ताकि उनकी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर कार्रवाई की जा सके। इस कदम से उम्मीद है कि किसानों को समय पर कर्ज लौटाने के लिए मजबूर किया जाएगा और गलत तरीके से कर्ज लेने वालों पर भी सख्ती होगी।
किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज न लौटाने पर क्या कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है
यदि किसान कर्ज का भुगतान नहीं करते हैं, तो पहले उन्हें नोटिस भेजा जाता है। उसके बाद अगर कर्ज अदायगी नहीं होती, तो कर्जदार की जमीन बंधक के रूप में बैंक के कब्जे में ली जाती है। इस प्रक्रिया में कृषि विभाग बैंकों से सहयोग करता है और कर्जदार की जमीन की नीलामी करवाता है ताकि बकाया रकम की वसूली हो सके। यह पूरी प्रक्रिया कानूनी ढांचे में होती है, जिसमें किसान को अपनी चिंता व्यक्त करने और कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाता है।
नीलामी के बाद क्या होगा किसानों का भविष्य
जिन किसानों की जमीन नीलामी के लिए जाएगी, उनके लिए यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि उनकी खेती का माध्यम समाप्त हो सकता है। इसलिए सरकार भी प्रयास कर रही है कि किसानों को समय पर कर्ज चुकाने में सहायता मिले, ताकि उनकी जमीन न जाए। साथ ही, किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि वे कर्ज का दायित्व समझें और समय रहते भुगतान करें। लेकिन जो किसान लोन की वापसी में नाकाम रहते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई आवश्यक मानी जा रही है।
कृषि विभाग और बैंक मिलकर कर रहे हैं केसीसी लोन की निगरानी
कृषि विभाग बैंकों के साथ मिलकर किसानों के केसीसी ऋण की नियमित जांच कर रहा है। बकायादार किसानों की सूची लेकर विभाग उनकी स्थिति का आंकलन कर रहा है। इस उद्देश्य के लिए विभाग ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे हर तीन महीने में ऋण अदायगी की रिपोर्ट भेजें ताकि समय पर सही निर्णय लिया जा सके। यह प्रक्रिया लोन की वसूली को बेहतर बनाने और किसानों को वित्तीय संकट से बचाने में सहायक होगी।
कर्ज वापस न करने वाले किसानों के लिए चेतावनी और समाधान
जो किसान अभी तक कर्ज चुकाने में असफल रहे हैं, उनको विभाग की तरफ से नोटिस भेजा जाएगा। इसमें स्पष्ट लिखा होगा कि यदि वे निर्धारित समय तक ऋण की अदायगी नहीं करते, तो उनकी जमीन नीलामी के लिए भेजी जाएगी। साथ ही, सरकार किसानों को कर्ज चुकाने के लिए आसान اقساط और पुनर्भुगतान की सुविधा भी देने की योजना बना रही है ताकि वे आर्थिक दबाव के बिना कर्ज चुका सकें।
मथुरा में किसान क्रेडिट कार्ड लोन की स्थिति से जुड़ी विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना ने किसानों के लिए लोन प्रक्रिया को सरल बनाया है, लेकिन इसके साथ ही किसानों को कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी भी समझनी होगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि मौसम की खराबी, असमय बुवाई और विपरीत परिस्थितियों के कारण कई बार किसान भुगतान में देरी करते हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि वे अपनी वित्तीय स्थिति का नियंत्रण रखें। बेहतर वित्तीय शिक्षा और कर्ज चुकाने की योजना सरकार और बैंकों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
सरकारी योजना और कर्ज माफी की अफवाहें किसानों में भ्रमित करती हैं
कई बार किसानों के बीच कर्ज माफी की अफवाहें फैलती हैं, जिससे वे कर्ज चुकाने में लापरवाही बरतते हैं। अधिकारियों ने साफ किया है कि सभी किसानों को सही जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी और किसी भी तरह की अफवाहों से बचाव किया जाएगा। सरकार की कोशिश रहती है कि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हों, इसलिए वे समय से कर्ज चुका कर खुद को क्रेडिट लिस्ट में अच्छा बनाए रखें।
मथुरा जिले में केसीसी लोन की अदायगी न होने की स्थिति को गंभीरता से लिया जा रहा है। कृषि विभाग और बैंक मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए काम कर रहे हैं। किसान क्रेडिट कार्ड की इस प्रक्रिया में कर्ज न लौटाने वाले किसानों की जमीन नीलामी की जाएगी, लेकिन साथ ही कर्ज चुकाने के अवसर और सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। किसानों को अपने ऋण की जिम्मेदारी समझनी होगी ताकि वे भविष्य में वित्तीय कठिनाइयों से बच सकें और खेती में निरंतर प्रगति कर सकें।
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