UPI में हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन: ₹10 लाख तक की दैनिक सीमा और P2P कलेक्ट फीचर का अंत
UPI में अब हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन की सुविधा: चुनिंदा लेनदेन पर ₹10 लाख तक की दैनिक भुगतान सीमा लागू, साथ ही 1 अक्टूबर से P2P “Collect Request” फीचर को बंद कर धोखाधड़ी से सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
UPI में हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन: आज से 10 लाख तक की भुगतान सीमा और P2P “Collect Request” फीचर का अंत
भारत का UPI प्लेटफॉर्म अब उच्च-मूल्य के लेनदेन के लिए और अधिक सक्षम हो गया है। अब यूजर्स एक दिन में ₹10 लाख तक का भुगतान इंवेस्टमेंट, इंश्योरेंस, यात्रा, क्रेडिट कार्ड बिल और ज्वेलरी जैसे उच्च-मूल्य वाले लेनदेन के लिए कर सकते हैं। इस बदलाव का उद्देश्य व्यापारिक भुगतान को तेज़ बनाना और चेक जैसी धीमी पारंपरिक विधियों पर निर्भरता कम करना है।
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एनपीसीआई (National Payments Corporation of India) ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कैपिटल मार्केट्स और इंश्योरेंस लेनदेन की प्रति ट्रांजैक्शन सीमा अब ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है। इसके अलावा, सरकारी ई-मार्केटप्लेस, ट्रैवल बुकिंग, लोन रेमिटेंस और EMI भुगतान के लिए भी वही सीमा लागू होगी। क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान की प्रति ट्रांजैक्शन सीमा ₹5 लाख और दैनिक सीमा ₹6 लाख कर दी गई है। ज्वेलरी खरीद में प्रति ट्रांजैक्शन सीमा ₹2 लाख रखते हुए, दैनिक सीमा अब ₹6 लाख हो गई है।
स्पेशल कैटेगरी जैसे हॉस्पिटल और एजुकेशन पेमेंट्स, जिनकी पहले से ही सीमा ₹10 लाख थी, में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश और RBI Direct प्लेटफॉर्म पर लेनदेन के लिए भी ₹10 लाख दैनिक सीमा लागू होगी। एनालिस्ट्स का कहना है कि यह बदलाव केवल वेरिफाइड मर्चेंट्स के लिए है, इसलिए उच्च-मूल्य के लेनदेन में धोखाधड़ी का खतरा कम रहेगा।
साथ ही, NPCI ने घोषणा की है कि 1 अक्टूबर 2025 से P2P “Collect Request” फीचर को समाप्त कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि अब व्यक्ति आपस में कलेक्ट रिक्वेस्ट के जरिए भुगतान नहीं कर पाएंगे; भुगतान केवल QR कोड स्कैन या UPI ID दर्ज करके किया जा सकेगा। यह कदम यूजर्स को फ्रॉड से बचाने और प्लेटफॉर्म पर भरोसेमंद लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
बैंक और विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव UPI को सिर्फ रोजमर्रा के छोटे भुगतान का माध्यम नहीं, बल्कि उच्च-मूल्य के सुरक्षित और तेज़ लेनदेन के लिए एक भरोसेमंद प्लेटफॉर्म बनाता है। इससे बिजनेस और निवेशक दोनों को फायदा होगा, और धोखाधड़ी का जोखिम भी न्यूनतम रहेगा।
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