अमेरिकी राजनीति और वैश्विक सुरक्षा एक बार फिर चर्चा में है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अमेरिका तीन दशक बाद दोबारा परमाणु परीक्षण शुरू करने जा रहा है। उनका कहना है कि जब उत्तर कोरिया, रूस और पाकिस्तान जैसे देश लगातार परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका पीछे क्यों रहे। ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब दुनिया में फिर से nuclear arms race (परमाणु हथियारों की दौड़) तेज होती दिखाई दे रही है।
ट्रंप का बड़ा दावा “हमारे पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं”
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के पास किसी भी देश से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हथियार घटाने पर चर्चा की थी। उनके मुताबिक, “हमारे पास दुनिया को 150 बार नष्ट करने जितने हथियार हैं।”
यह बयान ऐसे समय पर आया जब रूस ने हाल ही में पोसाइडन अंडरवॉटर ड्रोन जैसे उन्नत परमाणु-सक्षम हथियारों का परीक्षण किया है। इसके अलावा, north korea लगातार मिसाइल और परमाणु परीक्षण कर रहा है, जबकि pakistan भी अपने परीक्षणों को तेज कर रहा है। ट्रंप के मुताबिक, अगर बाकी देश ऐसा कर रहे हैं, तो अमेरिका को भी तैयारी रखनी होगी।
चीन और रूस से बढ़ सकता है तनाव, अमेरिका का नया संदेश
ट्रंप ने बीते हफ्ते घोषणा की थी कि अमेरिका तुरंत nuclear testing शुरू करेगा। यह घोषणा उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से दक्षिण कोरिया में मुलाकात से ठीक पहले आई थी। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अमेरिका की ओर से रूस और चीन जैसी परमाणु शक्तियों को चेतावनी है। अमेरिका की नीति हमेशा से रही है कि वह “deterrence through strength” यानी “शक्ति के ज़रिए रोकथाम” में विश्वास रखता है।
लेकिन अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करता है, तो यह दुनिया में अस्थिरता और nuclear weapons के फैलाव का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे एक नई nuclear arms race शुरू हो सकती है।
वैश्विक असर नई परमाणु दौड़ की आहट?
रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पहले से ही दुनिया के लिए चुनौती बने हुए हैं। अगर अमेरिका दोबारा परीक्षण शुरू करता है, तो इससे अंतरराष्ट्रीय plutonium agreement और परमाणु निरस्त्रीकरण की कोशिशों पर असर पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर दुनिया ने संयम नहीं रखा, तो “एक गलत कदम मानवता को भारी कीमत चुकाने पर मजबूर कर सकता है।” इस पूरे विवाद में US-Pakistan संबंधों की दिशा भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिकी सैन्य नीतियों पर निर्भर रहा है।
यह मुद्दा सिर्फ आज की राजनीति तक सीमित नहीं है। अमेरिका और अन्य परमाणु शक्तियों के बीच यह प्रतिस्पर्धा दशकों पुरानी है, जो भविष्य में वैश्विक सुरक्षा और शांति के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।


