सिर्फ 24 घंटे में ही हालात ऐसे हैं कि कर्मचारी छंटनी के डर में हैं, FBI कह रही है सुरक्षा खतरे में है और नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस को रियलिटी शो की तरह ट्रीट कर रहे हैं। लेकिन इसमें कोई “विजेता” नहीं, सिर्फ आम लोग हारे हुए नज़र आ रहे हैं।
असल मुद्दा है हेल्थकेयर सब्सिडी। डेमोक्रेट सांसद इसे बढ़ाना चाहते हैं, वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन कह रहे हैं “बजट कहां से लाओगे?”। यही तकरार शटडाउन की जड़ है। इस बीच उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने अचानक व्हाइट हाउस में धावा बोलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और साफ कहा कि अगर पॉलिटिकल लड़ाई लंबी चली तो छंटनी पक्की है। सोचिए, ऑफिस बुलाया जाएगा पर सैलरी अनिश्चित! ये तो ऑफिस की जगह Squid Game लग रहा है।
FBI और सुरक्षा एजेंसियों की टेंशन
लगभग 7,50,000 कर्मचारी फोर्स्ड छुट्टी पर जा सकते हैं, और जो “जरूरी” कर्मचारी जैसे मिलिट्री, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और बॉर्डर एजेंट हैं, उन्हें बिना पेमेंट काम करना पड़ सकता है। FBI एजेंट्स एसोसिएशन का कहना है कि ये हालात सुरक्षा को सीधा खतरे में डाल देंगे। कम स्टाफ मतलब निगरानी ढीली, जांच रुकी और आतंकवाद या साइबर अटैक रोकना मुश्किल। आप खुद सोचिए, अगर हॉरर फिल्म का सिक्योरिटी गार्ड ही छुट्टी पर हो तो डर तो दोगुना होगा ही।
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और जनता की राय
ट्रंप इसे “मौका” बता रहे हैं कि अब सरकारी खर्च घटाने और डेमोक्रेटिक प्रोजेक्ट्स काटने का सही टाइम है। वहीं विपक्ष रिपब्लिकन पर दोष मढ़ रहा है कि ये गड़बड़ उन्हीं की वजह से है। पब्लिक का क्या कहना है? हालिया पोल कहता है 38% लोग रिपब्लिकन को जिम्मेदार मानते हैं, 27% डेमोक्रेट्स को और 31% दोनों को बराबर का कसूरवार। यानी जनता कह रही है, “क्लास में टीचर ने पूरी क्लास को पनिश कर दिया।”
नेशनल पार्क, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और बाकी झंझट
आंतरिक विभाग ने बताया कि कई नेशनल पार्क आंशिक रूप से खुले रहेंगे लेकिन स्टाफ की कमी से सर्विस घट जाएगी। कुछ राज्यों ने खुद मदद करने का ऑफर दिया, लेकिन हर जगह ये संभव नहीं। न्यूयॉर्क की गवर्नर ने साफ कहा है कि इस बार वो स्टेट फंड से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी खुला नहीं रखेंगे। यानी टूरिस्ट अगर फोटो लेने गए और पार्क बंद मिला, तो समझो Insta कंटेंट भी शटडाउन मोड में चला जाएगा।
नेशनल गार्ड और टैरिफ वाली कहानी
नेशनल गार्ड के कुछ हिस्से ड्यूटी पर रिपोर्ट करेंगे, लेकिन उनकी सैलरी भी शटडाउन खत्म होने तक रुकी रहेगी। मतलब “नो पे, बट वर्क ओनली।” वहीं CBP यानी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ने कहा कि टैरिफ कलेक्शन चलता रहेगा ताकि ट्रेड पूरी तरह से बंद न हो। हालांकि कम स्टाफ की वजह से काम स्लो जरूर होगा। इसे आप ऐसे समझिए, जैसे कैफे में सिर्फ एक बरिस्ता बचा हो और पूरी भीड़ कॉफी के लिए लाइन में लगी हो। कैफीन डिले, लेकिन आएगी।
तो अब आगे क्या?
शटडाउन का ये पहला दिन ही इतना ड्रामेटिक है कि आगे हफ्तों में क्या होगा, ये सोचकर ही पब्लिक सिहर रही है। चाहे पार्क हों या पेरोल, एजेंसियां हों या एयरपोर्ट, हर जगह असर दिख रहा है। और अगर ये खेल लंबा खिंच गया तो आम अमेरिकियों के लिए ये सिर्फ न्यूज हेडलाइन नहीं बल्कि रोजमर्रा की दिक्कत बन जाएगा। कभी-कभी लगता है कि राजनीति कम और Netflix शो ज्यादा चल रहा है, फर्क बस ये है कि सब्सक्रिप्शन का बिल जनता भर रही ह
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स्वास्थ्य सब्सिडी बढ़ाना सही या गलत?
Gaurav Jha
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