ऊपर से दरका पहाड़, नीचे से खिसकी जमीन – गंगनानी से सुक्खी टॉप तक तबाही का मंजर

धराली आपदा के बाद गंगनानी से सुक्खी टॉप तक सड़कें टूटीं, पुल ढहे और पहाड़ दरके – छह बड़ी चुनौतियों के बीच रेस्क्यू जारी

ऊपर से दरका पहाड़, नीचे से खिसकी जमीन – गंगनानी से सुक्खी टॉप तक तबाही का मंजर

ऊपर से दरका पहाड़, नीचे से खिसकी जमीन – गंगनानी से सुक्खी टॉप तक तबाही का मंजर

उत्तरकाशी (उत्तराखंड):धराली गांव में 5 अगस्त को आई प्राकृतिक आपदा के पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सड़क संपर्क बहाल नहीं हो पाया है। गंगोत्री से धराली तक केवल हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, जबकि हादसे में कितने लोग लापता हैं, इसका आंकड़ा भी स्पष्ट नहीं है।

तबाही की तस्वीरें अब आई सामने

हमारी टीम टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो गंगनानी से सुक्खी टॉप तक सड़क की तबाही का असली मंजर सामने आया।
धराली तक पहुंचना छह बड़ी चुनौतियों से गुजरने जैसा है – हर मोड़ पर लैंडस्लाइड और टूटी सड़कें।

पहली चुनौती – मनेरी लैंडस्लाइड

  • 50 मीटर सड़क गंगा की तेज धारा में बह गई।

  • BRO ने यहां अस्थायी सड़क बना दी है, जिससे फिलहाल पैदल आवाजाही संभव है।     

उत्तरकाशी में गंगनानी से सुक्खी टॉप तक तबाही का मंजर

दूसरी चुनौती – भटवाड़ी लैंडस्लाइड

  • 40 मीटर सड़क पूरी तरह टूट गई थी।

  • यहां भी BRO ने तेजी से अस्थायी मार्ग तैयार किया है।

तीसरी चुनौती – पापड़ गाड की तबाही

  • सबसे खतरनाक जगह, जहां 150 मीटर सड़क पूरी तरह गायब हो गई।

  • दिन-रात की मेहनत के बाद यहां भी अस्थायी सड़क बन चुकी है।

चौथी चुनौती – गंगवानी पुल का टूटना

  • गंगवानी का मुख्य पुल बह गया था, जिससे गाड़ियां यहीं रुक गईं।

  • अब BRO ने लोहे का अस्थायी पुल तैयार कर लिया है, जिससे पैदल जाना संभव हुआ है।

पांचवीं चुनौती – डबरानी लैंडस्लाइड

  • 50 मीटर सड़क बह गई, अब केवल 1–2 फीट चौड़ा रास्ता बचा है।

  • यहां से गुजरना बेहद जोखिम भरा है।

छठी चुनौती – सोनगाड़ का विनाश

  • यहां पूरी सड़क ही बह चुकी है।

  • पहले अनुमान था कि PWD और BRO दो दिन में गाड़ियों के लिए अस्थायी सड़क बना देंगे, लेकिन हालात गंभीर हैं।

उत्तरकाशी में गंगनानी से सुक्खी टॉप तक तबाही का मंजर

सिर्फ पैदल ही संभव है सफर

इन सभी बाधाओं को पार करने के बाद ही धराली तक पैदल पहुंचना संभव है। गाड़ियां अब भी नहीं जा पा रही हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन पर दबाव बढ़ रहा है।