वाराणसी में मंगलवार को जिला कचहरी परिसर में बड़ा बवाल हो गया। इस बवाल ने पूरे शहर का माहौल गरम कर दिया और देखते ही देखते हालात बिगड़ते चले गए। वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुआ यह विवाद इतना बढ़ गया कि वकीलों ने एक दारोगा और कुछ सिपाहियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। जिस दारोगा को सबसे ज्यादा मार लगी, उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। यह पूरा विवाद अचानक नहीं हुआ बल्कि यह एक पुराने मामले से जुड़ा हुआ था। इस घटना ने न सिर्फ वाराणसी बल्कि पूरे प्रदेश में पुलिस और वकीलों के रिश्ते पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कचहरी में वकीलों और पुलिस के बीच तकरार ने लिया हिंसक रूप
मंगलवार को जिला कचहरी में सामान्य दिन की तरह सुनवाई चल रही थी। सभी वकील अपने-अपने केस में व्यस्त थे और पुलिसकर्मी भी कोर्ट ड्यूटी संभाले हुए थे। तभी कुछ वकीलों और एक दारोगा के बीच पुरानी रंजिश को लेकर कहासुनी शुरू हुई। शुरुआत में मामला केवल बहस तक सीमित रहा लेकिन धीरे-धीरे यह कहासुनी मारपीट में बदल गई। वकीलों का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्होंने दारोगा और उसके साथ मौजूद कुछ सिपाहियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। कचहरी परिसर में अफरा-तफरी मच गई और लोग अपनी-अपनी जगहों से भागकर सुरक्षित स्थान पर जाने लगे। कई गाड़ियों के शीशे तोड़े गए और माहौल काफी देर तक तनावपूर्ण बना रहा। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि पुराने विवाद ने वकीलों और पुलिस के बीच गहरी दरार डाल दी है।
दारोगा पर पहले भी लगे थे आरोप
इस पूरे विवाद की जड़ एक पुराना मामला बताया जा रहा है, जिसमें वकीलों का आरोप है कि यही दारोगा कुछ महीने पहले एक वकील से अभद्रता और मारपीट कर चुका था। उस समय वकीलों ने विरोध भी किया था और आरोपित दारोगा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन उचित कार्रवाई न होने से वकीलों के बीच नाराजगी बढ़ती चली गई। मंगलवार को जब वही दारोगा कचहरी परिसर में दिखाई दिया तो वकीलों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मौके पर ही घेरकर उसकी पिटाई शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ वकील इतने गुस्से में थे कि वे बार-बार पुराना मामला याद करके और ज्यादा आक्रामक हो रहे थे। इस घटना से यह साफ हो गया कि पुलिस और वकीलों के बीच न केवल अविश्वास गहराया है बल्कि पुराने घाव अब खुलकर सामने आने लगे हैं।
दारोगा की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती
हमले में घायल दारोगा को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, उसके सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आई हैं। लगातार खून बहने के कारण कुछ समय तक स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी लेकिन अब उसे स्थिर बताया जा रहा है। अस्पताल में तैनात डॉक्टरों ने कहा कि अगर समय पर इलाज न मिलता तो हालात और भी गंभीर हो सकते थे। दूसरी ओर, चोटिल हुए कुछ सिपाहियों को भी इलाज दिया गया है, हालांकि उनकी चोटें हल्की बताई जा रही हैं। दारोगा के इलाज की खबर जैसे ही पुलिस विभाग तक पहुंची, पूरे प्रशासन में हलचल मच गई। इस हमले ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था और न्यायालय परिसर में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।
PAC और भारी पुलिस बल की तैनाती से माहौल शांत करने की कोशिश
घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने हालात को नियंत्रण में लेने के लिए **PAC** और भारी पुलिस बल को कचहरी परिसर में तैनात कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने खुद स्थिति की कमान संभाली और हर कोने में सुरक्षा इंतजाम किए गए। वकील और आम जनता में इस बवाल को लेकर डर का माहौल साफ देखा जा सकता था। पुलिस की तैनाती के बाद स्थिति पर धीरे-धीरे काबू पाया गया लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। कई वकील अब भी सख्त कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं, पुलिस अधिकारी यह कह रहे हैं कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। पूरा प्रशासन इस बात पर भी विचार कर रहा है कि आगे ऐसी घटना ना हो, इसके लिए सुरक्षा और संवाद की व्यवस्था कैसे मजबूत की जाए।
वकीलों की नाराजगी और पुलिस की प्रतिक्रिया
वकीलों का कहना है कि जब तक दारोगा पर कार्रवाई नहीं होती, उनका विरोध जारी रहेगा। उनका आरोप है कि पुलिस समय रहते अपने अफसरों पर कार्रवाई नहीं करती, जिससे ऐसे विवाद सामने आते हैं। वहीं, पुलिस का पक्ष है कि कानून सबके लिए बराबर है और किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस विवाद के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और वकील संघ के पदाधिकारियों के बीच बातचीत भी हुई। लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान निकलकर सामने नहीं आया है। कुछ वकील कहते हैं कि उनका विरोध किसी खास व्यक्ति से नहीं बल्कि व्यवस्था से है। ऐसे हालात ने दोनों पक्षों के बीच दूरी और बढ़ा दी है। इस घटना के बाद यह भी सवाल उठ रहे हैं कि न्याय दिलाने वाली जगह पर अगर इस तरह का बवाल होगा तो आम लोगों का भरोसा कैसे कायम रहेगा?
पुराने केस और नई दरार का असर पूरे शहर पर
वाराणसी कचहरी में हुई इस घटना के बाद शहर में माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया है। लोग लगातार इसके बारे में चर्चा कर रहे हैं और हर कोई सोच रहा है कि आखिर क्यों वकील और पुलिस जैसी जिम्मेदार संस्थाओं में इतनी गहरी खाई बन गई है। पुराने केस की अनदेखी और उस पर कार्रवाई न करने का नतीजा आज हिंसा के रूप में सामने आया। यह सिर्फ वाराणसी की बात नहीं, बल्कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी इसी तरह के तनाव की खबरें आती रहती हैं। अगर समय पर ऐसे मामलों पर गंभीरता से ध्यान न दिया गया तो यह विवाद और भी बढ़ सकता है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह केवल एक घटना नहीं बल्कि पूरे तंत्र के लिए चेतावनी है। लोगों का भरोसा अभी भी अदालत और पुलिस पर है लेकिन ऐसे मामलों से यह भरोसा डगमगाने लगता है। यह जिम्मेदारी अब सिर्फ पुलिस या वकीलों की नहीं बल्कि पूरे प्रशासन की बनती है कि वह आगे ऐसे हालात को रोक सके।