वाहन फिटनेस टेस्ट फीस में भारी बढ़ोतरी: आपकी कार, बाइक और कमर्शियल वाहन पर क्या बड़ा असर पड़ेगा?
भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने और बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने वाहन फिटनेस टेस्ट फीस में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। सरकार लगातार ऐसे नियम ला रही है जो सड़कों पर चल रहे 20 साल से अधिक पुराने, तकनीकी रूप से कमजोर और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कम करने में मदद करें। 11 नवंबर को जारी अधिसूचना के बाद फिटनेस टेस्ट की नई फीस न केवल बढ़ाई गई है, बल्कि नए आयु वर्गों के आधार पर वाहनों को कड़े मानकों के तहत लाया गया है। यह बदलाव खास तौर पर उन लोगों को प्रभावित करेगा जो लंबे समय से अपनी कार, बाइक या कमर्शियल वाहन चला रहे हैं और उन्हें आगे भी सड़क पर रखना चाहते हैं।
सरकार का यह कदम क्लीन ट्रांसपोर्ट, ग्रीन मोबिलिटी और रोड सेफ्टी इंफोर्समेंट को मजबूत बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा फैसला माना जा रहा है।
नए फिटनेस नियम क्यों लाए गए?
पिछले कुछ वर्षों में यह पाया गया कि पुराने वाहन न केवल ज्यादा धुआँ छोड़ते हैं, बल्कि तकनीकी रूप से भी नए वाहनों की सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं कर पाते। भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में सड़क हादसों और प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सरकार अब ऐसे वाहनों को सख्त नियमन के तहत ला रही है, ताकि सार्वजनिक सुरक्षा और पर्यावरण दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।
नए आयु-वर्ग: अब किस उम्र के वाहन पर कितनी सख्ती?
MoRTH ने पहली बार वाहन फिटनेस टेस्ट के लिए तीन नई श्रेणियाँ बनाई हैं:
10 से 15 साल पुराने वाहन
15 से 20 साल पुराने वाहन
20 साल से ज्यादा पुराने वाहन
इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रभाव कमर्शियल वाहनों पर है। पहले 15 साल बाद वे उच्च शुल्क वाले नियम में आते थे, लेकिन अब 10 साल के बाद ही भारी फीस लागू होगी, जिससे अधिक पुराने वाहनों का चलना अपने आप कम हो जाएगा।
LMV (कार) मालिकों पर बढ़ा बोझ: क्या बदला?
20 साल से ज्यादा पुराने लाइट मोटर वाहन (LMV) जैसे कार और जीप की फिटनेस फीस पहले 10,000 रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया गया है।
इसका सीधा अर्थ है कि पुराने निजी वाहनों को रखना अब काफी महंगा होगा, जिससे लोग ऐसे वाहन या तो बेचेंगे, कबाड़ करेंगे या फिर नए, सुरक्षित और कम प्रदूषण वाले वाहन खरीदेंगे।
कमर्शियल वाहनों के लिए नए चार्ज: सबसे ज्यादा बढ़ोतरी
कमर्शियल वाहनों को सड़क सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण में सबसे अहम माना जाता है, क्योंकि ये लगातार चलते हैं और अधिक ईंधन जलाते हैं।
20 साल से अधिक पुराने वाहनों पर नए चार्ज:
हेवी ट्रक व बस: 3,500 → 25,000 रुपये
मीडियम कमर्शियल वाहन: 1,500 → 20,000 रुपये
लाइट कमर्शियल वाहन: अब 15,000 रुपये
सरकार का मकसद यह है कि कंपनियाँ और परिवहन मालिक पुराने भारी वाहनों को सड़कों से हटाएँ और नए, कम प्रदूषण वाले वाहन उपयोग करें।
बाइक और स्कूटर मालिकों के लिए बड़ा झटका
पहले दो–पहिया वाहन मालिक फिटनेस टेस्ट को लेकर अधिक परेशान नहीं होते थे, लेकिन अब 20 साल से पुराने टू–व्हीलर की फीस 600 रुपये से बढ़ाकर सीधा 2,000 रुपये कर दी गई है।
यह बदलाव उन ग्रामीण और छोटे कस्बों में रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा, जहाँ पुराने दो–पहिया वाहन अभी भी बड़े पैमाने पर उपयोग होते हैं।
दिल्ली–NCR में सुप्रीम कोर्ट की राहत, लेकिन अस्थायी
दिल्ली–NCR में प्रदूषण समस्या बेहद गंभीर है। ऐसे में पुराने वाहनों पर कार्रवाई बढ़ाई जा रही थी, लेकिन अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम राहत दी:
10 साल से पुराने डीज़ल वाहन
15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन
इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई न करने का निर्देश दिया गया है।
हालाँकि यह राहत सिर्फ अस्थायी है, और भविष्य में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
नई फीस का आपके लिए क्या मतलब है?
पुराने वाहन रखना अब सस्ता नहीं रहेगा।
फिटनेस टेस्ट पास ना होने पर वाहन जब्त या प्रतिबंधित किया जा सकता है।
हर साल बढ़ती फीस आपको नया वाहन लेने के लिए प्रेरित करेगी।
भविष्य में स्क्रैपिंग पॉलिसी भी और मजबूत हो सकती है।


