Vice President Election :आज होगा अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव जानें वोटिंग की पूरी प्रक्रिया
आज देश का नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान हो रहा है। यह चुनाव अपनी खास प्रक्रिया और संवैधानिक नियमों की वजह से हमेशा चर्चा में रहता है, क्योंकि इसमें सामान्य लोकसभा या विधानसभा चुनाव जैसी प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती, बल्कि यह पूरी तरह अलग ढंग से होता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह चुनाव कैसे होता है, कौन वोट देता है, कब तक वोटिंग चलेगी और नतीजे किस तरह से तय होंगे।
आज होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव
भारत के 15वें उपराष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया आज (9 सितंबर) से पूरी हो जाएगी। भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए ने इस बार सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन ने बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। चुनाव आयोग की अधिसूचना के अनुसार मतदान सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक निर्धारित स्थानों पर होगा और उसके बाद मतगणना की जाएगी।
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इस बार का चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस्तीफा सौंप दिया था। उसके बाद से यह पद खाली है। चुनाव आयोग सात अगस्त को ही इस चुनाव की औपचारिक घोषणा कर चुका था।
चुनाव में कौन-कौन डालेंगे वोट?
उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता। इसमें मतदाता केवल सांसद होते हैं।
राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य,
राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य,
लोकसभा के 543 सदस्य।
इस तरह कुल 788 सांसद उपराष्ट्रपति चुनने का मतदान कर सकते हैं। जब चुनाव आयोग इसकी घोषणा करता है तो लोकसभा और राज्यसभा की मौजूदा सदस्यता को ही ध्यान में रखा जाता है।
संविधान में चुनाव की प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति चुनाव का जिक्र किया गया है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) प्रणाली से होता है और मतदाता सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STV) के तहत वोट डालते हैं।
इसका मतलब यह है कि हर सांसद को बैलेट पेपर मिलता है, जिसमें वह उम्मीदवारों को अपनी पसंद के क्रम में अंक देता है। उदाहरण के तौर पर – पहली पसंद वाले प्रत्याशी को "1", दूसरी पसंद को "2" और इसी तरह आगे।
यह पूरी प्रक्रिया गुप्त मतदान से होती है और वोट केवल चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए विशेष पेन से ही डाले जा सकते हैं।
वोटों की गिनती कैसे होती है?
उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गिनती साधारण तरीके से नहीं की जाती। सबसे पहले सभी उम्मीदवारों को मिले पहली पसंद के वोट (First Preference Vote) गिने जाते हैं। अगर किसी उम्मीदवार को तय कोटे के मुताबिक आवश्यक वोट मिल जाते हैं, तो उसे तुरंत विजेता घोषित कर दिया जाता है।
लेकिन यदि कोई उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। इसके बाद उसके मतपत्रों को देखा जाता है और मतदाताओं की अगली पसंद किसे दी गई है, यह देखा जाता है। वे वोट फिर दूसरे उम्मीदवार को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।
यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक किसी एक उम्मीदवार को बहुमत न मिल जाए। इसी कारण इस प्रणाली को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (Single Transferable Vote System) कहा जाता है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में अंतर
राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के निर्वाचित विधायक भी मतदान करते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डालते, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में वे भी वोट करने के पात्र होते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य ही भाग लेते हैं।
यानी राष्ट्रपति चुनाव का दायरा बड़ा होता है, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव केवल संसद तक सीमित रहता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में EVM का इस्तेमाल क्यों नहीं होता?
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वोटिंग EVM (Electronic Voting Machine) से कराई जाती है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव बैलेट पेपर से ही होते हैं।
इसकी मुख्य वजह है कि यह चुनाव वरीयता आधारित प्रणाली (Preference Voting System) से कराए जाते हैं। सांसदों को मतपत्र पर उम्मीदवारों के सामने 1, 2, 3 जैसी संख्याएँ लिखकर अपनी पसंद बतानी होती है। वोटों की गिनती इन्हीं प्राथमिकताओं के आधार पर की जाती है।
चूँकि मौजूदा EVM केवल साधारण वोट रिकॉर्ड कर सकती है, प्राथमिकताओं और वोट ट्रांसफर की गणना नहीं कर सकती। इसलिए इस चुनाव में अब भी बैलेट पेपर का ही इस्तेमाल होता है।
उपराष्ट्रपति बनने की योग्यता
भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए संविधान में कुछ योग्यताएँ तय की गई हैं –
उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए।
उसकी उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
वह राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति ही होता है, इसलिए यह पद न सिर्फ़ संवैधानिक रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम है।
उपराष्ट्रपति चुनाव क्यों है खास?
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करना इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसके अलावा, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या असमर्थता की स्थिति में उपराष्ट्रपति ही कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाते हैं।
इसी वजह से उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल संवैधानिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि आने वाले समय में संसद की राजनीति और उच्च सदन के संचालन पर इसका सीधा असर पड़ता है।
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