वृंदावन का प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। इस साल धनतेरस के शुभ अवसर पर मंदिर के गर्भगृह के पास बने खास दरवाजों को 54 साल बाद खोला गया। बताया जा रहा है कि इन कमरों में 160 साल पुराने सोने और चांदी से भरे कलश रखे हुए हैं, जिनका रहस्य अब तक लोगों के लिए एक पहेली बना हुआ था।
धनतेरस के दिन खुला प्राचीन कपाट
धनतेरस के दिन जब पूरा देश भगवान धनवंतरि की पूजा में व्यस्त था, तब वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर परिसर में कुछ बेहद खास हुआ। मंदिर की देखरेख करने वाले सेवादारों और पुरोहितों की मौजूदगी में उस खास कमरे का ताला खोला गया, जिसे पिछली बार लगभग 54 साल पहले ही खोला गया था। इस कमरे को ‘विशेष कपाट’ कहा जाता है, जो मंदिर के गर्भगृह के पास बना हुआ है।
खजाने की कहानी: कैसे शुरू हुई यह बात
स्थानीय लोगों और भक्तों का कहना है कि इस दरवाजे के पीछे सोने-चांदी के बर्तन, आभूषण और कलश रखे गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब मंदिर का निर्माण लगभग 160 साल पहले हुआ था, तब तत्कालीन राजपरिवारों ने बांके बिहारी जी को सोने-चांदी के कई उपहार चढ़ाए थे। ये भेंट उस समय के पुजारियों ने सुरक्षित करने के लिए उस कमरे में रख दी थीं, जिससे वे आने वाली पीढ़ियों तक भगवान की सेवा में उपयोग होती रहें।
मंदिर प्रशासन की ओर से मिली जानकारी
बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधक समिति ने बताया कि इस बार कपाट खोलने का निर्णय धार्मिक रीति से और प्रशासन की अनुमति के बाद लिया गया। इन कपाटों को खोलने से पहले विशेष पूजा कराई गई और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुरोहितों ने भगवान से अनुमति मांगी। कहा जा रहा है कि अंदर रखी चीजें अब भी वैसी ही सुरक्षित हैं, जैसी वर्षों पहले छोड़ी गई थीं।
भक्तों में खुशी और उत्सुकता दोनों
जब यह खबर फैली कि बांके बिहारी मंदिर का 160 साल पुराना खजाना खोला जा रहा है, तो वृंदावन में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। लोग दूर-दूर से मंदिर पहुंचे ताकि इस ऐतिहासिक पल के गवाह बन सकें। बहुत से भक्तों का मानना है कि यह भगवान की कृपा है, जो धनतेरस जैसे शुभ दिन पर ऐसे कपाट खुल सके।
विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई
मंदिर प्रशासन ने इस मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। चूंकि मामला कीमती आभूषणों और पुरानी धरोहरों से जुड़ा था, इसलिए मथुरा पुलिस के जवानों को भी तैनात किया गया। आने-जाने वालों पर नजर रखी गई और पूरे क्षेत्र में CCTV कैमरे लगाए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि यह सब केवल परंपरागत जांच और धार्मिक कारणों से किया गया, न कि किसी आर्थिक उद्देश्य से।
मंदिर से जुड़ी ऐतिहासिक मान्यताएँ
बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1864 में स्वामी हरिदास जी ने की थी, जो खुद भगवान कृष्ण के महान भक्त थे। उन्होंने राधा-कृष्ण की मूर्ति को प्रकट करके उसे बांके बिहारी रूप में स्थापित किया था। कहा जाता है कि मंदिर के निर्माण के बाद ही विशेष तहखाने और दरवाजे बनाए गए थे, ताकि बहुमूल्य भेंटों को सुरक्षित रखा जा सके।
खजाने को लेकर श्रद्धा और आस्था
हर भक्त के लिए यह खजाना सिर्फ सोने या चांदी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उन विश्वासों और श्रद्धा का चिन्ह है जो सदियों से भगवान के प्रति अर्पित रही हैं। भक्तों का कहना है कि यहां मौजूद हर वस्तु में भगवान का आशीर्वाद समाया हुआ है। जब यह दरवाजा खोला गया, तो वहां मौजूद सभी भक्तों ने ‘जय श्री कृष्ण’ के जयकारे लगाए और मंदिर में भक्ति का माहौल गूंज उठा।
मंदिर प्रशासन ने रखी गोपनीयता
हालांकि बांके बिहारी मंदिर प्रशासन ने अभी तक इस बात का खुलासा नहीं किया है कि अंदर से कितनी और कैसी वस्तुएँ निकलीं। उनका कहना है कि मंदिर की परंपरा के अनुसार पहले सभी वस्तुओं की धार्मिक जांच और रिकॉर्डिंग की जाएगी। उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि उन्हें सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाए या यथास्थान सुरक्षित रखा जाए।
वृंदावन में फिर गूंजा नाम ‘बांके बिहारी’
इस घटना के बाद से ही वृंदावन के गलियारों में एक बार फिर ‘बांके बिहारी लाल की जय’ के नारे गूंज रहे हैं। श्रद्धालु लगातार दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। शहर के हर कोने में इस ऐतिहासिक घटना की चर्चा है। दुकानदारों ने अपने शटरों पर पुष्पों से सजावट की और शाम को दीप जलाकर इस क्षण को किसी त्योहार से कम नहीं मनाया।
धनतेरस पर खुला सौभाग्य का द्वार
धनतेरस का दिन वैसे भी धन और समृद्धि से जुड़ा होता है, और जब इसी दिन बांके बिहारी मंदिर का यह खजाना खुला, तो इसे भक्तों ने भगवान की विशेष कृपा माना। कई लोगों का मानना है कि इस घटना से आने वाले समय में मंदिर और वृंदावन की आस्था और भी मजबूत होगी।
आस्था का अमूल्य खजाना
यह कहना गलत नहीं होगा कि बांके बिहारी मंदिर का यह 160 साल पुराना खजाना केवल धातुओं का नहीं, बल्कि यह भक्ति, परंपरा और इतिहास का प्रतीक है। 54 साल बाद खुले इन विशेष दरवाजों ने फिर साबित कर दिया कि जहां श्रद्धा होती है, वहां हर युग में भगवान अपना चमत्कार दिखाते हैं।
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Khanna Saini
मेरा नाम खन्ना सैनी है। मैं एक समाचार लेखक और कंटेंट क्रिएटर हूँ, और वर्तमान में GC Shorts के साथ जुड़ा हूँ। मुझे समाज, संस्कृति, इतिहास और ताज़ा घटनाओं पर लिखना पसंद है। मेरा प्रयास रहता है कि मैं पाठकों तक सही, रोचक और प्रेरक जानकारी पहुँचा सकूँ।