यमुना में बाढ़ का खतरा दिल्ली-फरीदाबाद और मथुरा-वृंदावन में हाहाकार
दिल्ली, फरीदाबाद, मथुरा और वृंदावन के लोग इन दिनों यमुना नदी के उफान से परेशान हैं। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए 1.78 लाख क्यूसेक पानी ने यमुना के जलस्तर को खतरे के निशान से ऊपर पहुँचा दिया है।
मथुरा-वृंदावन के निचले इलाकों में पानी भरने से लोग बेबस हो गए हैं। कॉलोनियों की गलियों में नाव जैसी स्थिति बन गई है। कई घरों में पानी घुस जाने से लोग अपना कीमती सामान और जरूरत का सामान ऊंचाई पर रखने को मजबूर हैं।मथुरा-वृंदावन न सिर्फ धार्मिक बल्कि पर्यटन का बड़ा केंद्र है। लेकिन इस बाढ़ ने श्रद्धालुओं की आस्था को भी प्रभावित किया है। केशीघाट पूरी तरह जलमग्न हो गया है और परिक्रमा मार्ग पर पानी भर गया है, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही बाधित हो गई है।यमुना किनारे बसे गांवों में खेतों की फसलें डूबने लगी हैं। धान, बाजरा और सब्जियों की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि अगर पानी जल्द नहीं घटा तो इस साल की पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।
प्रशासन ने बाढ़ की आशंका को देखते हुए राहत-बचाव दल तैनात कर दिए हैं। संवेदनशील इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह ने कहा कि जलस्तर पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है। सुरक्षा कारणों से यमुना नदी में नावों का संचालन रोक दिया गया है।
दिल्ली और फरीदाबाद में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। निचले इलाकों और यमुना किनारे बनी झुग्गी-बस्तियों में पानी घुस गया है। कई जगहों पर प्रशासन ने लोगों को राहत शिविरों में भेजा है।लगातार बढ़ते पानी से लोगों में भय का माहौल है। मथुरा-वृंदावन और दिल्ली-फरीदाबाद के निचले इलाकों से कई परिवार सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं।
सुरक्षा कारणों से यमुना में नावों का संचालन फिलहाल रोक दिया गया है। प्रशासन ने आम लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और घबराए बिना प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें।