असम के जाने-माने गायक जुबिन गर्ग जिन्होंने असमी और हिंदी संगीत में वर्षों तक अपनी आवाज का जादू फैलाया, अब हमारे बीच नहीं रहे। 19 सितंबर को सिंगापुर में उनका अचानक निधन हो गया, जिसने लाखों प्रशंसकों को गहरे सदमे में डाल दिया। उनके निधन की खबर फैलते ही न केवल असम बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व और भारत के दूसरे हिस्सों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। संगीत जगत ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया है जिसकी आवाज लोगों के दिलों में सीधी उतर जाती थी। जुबिन गर्ग न केवल गायक थे बल्कि गीतकार और संगीतकार भी रहे। उन्होंने असम की संगीत परंपरा को एक नई दिशा दी और उसे राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया। उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि असम और बाकी राज्यों से हजारों लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंच चुके हैं। जहां भी जुबिन के गाने बजते थे, वहां लोगों का दिल उनसे जुड़ जाता था। उनकी अचानक मौत ने सबको हैरान कर दिया क्योंकि वह अभी भी सक्रिय थे और संगीत की कई नई योजनाओं पर काम कर रहे थे। परिवार और करीबी लोगों के लिए यह क्षति अपूरणीय है।
हजारों फैन्स पहुंचे अंतिम संस्कार में नम आंखों से विदाई देने
आज जब गुवाहाटी के पास उनके पैतृक स्थान पर जुबिन गर्ग का अंतिम संस्कार किया जाएगा, तब वहां का माहौल बेहद भावुक रहेगा। हजारों की संख्या में लोग पहले ही पहुंच चुके हैं। लोग हाथों में फूल लेकर, पोस्टर और तस्वीरें लेकर इस महान कलाकार को अंतिम विदाई देने पहुंचे। कई युवा और बुजुर्ग फैंस रोते हुए नजर आए। संगीत प्रेमियों का कहना है कि उन्होंने एक सितारे को खो दिया, जिसने असम को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक पहचान दिलाई। वहां मौजूद लोगों ने जुबिन गर्ग के गानों को गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कई लोग हाथ जोड़कर आंसुओं के साथ उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहे थे। यह मंज़र देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। कोई यह मानने को तैयार नहीं है कि उनके बीच की आवाज अब खामोश हो चुकी है। गुजरते वक्त के साथ जुबिन गर्ग को याद करने वाले लोगों की भीड़ और ज्यादा बढ़ती जा रही है। शहर में हर जगह पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं। मानो पूरा असम उनकी विदाई में रो रहा हो।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दिया दूसरा पोस्टमार्टम कराने का आदेश
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि जुबिन गर्ग का पोस्टमार्टम दोबारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनता को उनके निधन के कारणों के बारे में पूरी सच्चाई जाननी चाहिए। सिंगापुर में हुई उनकी अचानक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए थे, इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया कि भारत में भी चिकित्सकीय जांच हो। इस फैसले का स्वागत लोगों ने किया और कहा कि सच सामने आना चाहिए। जुबिन इतने स्वस्थ लग रहे थे कि कोई भी यह नहीं सोच सकता था कि वह अचानक हमें छोड़कर चले जाएंगे। मुख्यमंत्री सरमा ने गायक के परिवार को हर तरह की सरकारी सहायता देने का भरोसा दिया और खुद भी अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे। राज्य सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि जुबिन गर्ग के नाम पर असम में एक सांस्कृतिक संस्थान बनाया जाएगा ताकि हमेशा उनकी याद जीवित रहे। मुख्यमंत्री ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि यह नुकसान राज्य ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र का है।
जुबिन गर्ग का संगीत और उनकी लोकप्रियता आज भी दिलों में जिंदा
जुबिन गर्ग ने अपनी गायकी से संगीत की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है। असमी संगीत को उन्होंने नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके गाने फिल्मों और एल्बम दोनों में बेहद लोकप्रिय हुए। हिंदी सिनेमा में भी उन्होंने अपनी जगह बनाई। उनकी आवाज ने कई हिट गाने दिए। उनके गीतों में गहराई और भावुकता होती थी जो हर वर्ग के श्रोता को पसंद आती थी। असम के लोग तो उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते थे। उनकी लोकप्रियता केवल एक गायक के तौर पर नहीं बल्कि असम की सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में थी। वे सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाते थे और कई परोपकारी कामों से जुड़े हुए थे। उनके फैंस कहते हैं कि गायक तो चला गया लेकिन उनकी आवाज और गीत हमेशा जिंदा रहेंगे। आने वाले समय में भी उनके गानों को लोग सुनेंगे और उन्हें याद करेंगे। एक सच्चा कलाकार कभी मरता नहीं है, वह अपनी कला के जरिए हमेशा जीवित रहता है। यही बात जुबिन गर्ग के लिए भी सही साबित होती है।
लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे जुबिन गर्ग
आज जब उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा, तब हर कोई यही कहेगा कि यह अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत है। एक ऐसी शुरुआत जिसमें उनकी यादें और गाने हमेशा रहेंगे। असम ही नहीं, पूरे देश और विदेशों में फैले उनके फैंस यह मानते हैं कि उन्होंने केवल एक गायक को नहीं खोया है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर को अलविदा कहा है। लोगों का मानना है कि आने वाली पीढ़ियां उनके गानों से उन्हें पहचानेंगी और समझेंगी कि जुबिन ने अपने राज्य और समाज को क्या दिया। उनकी विरासत इतनी मजबूत है कि समय का कोई भी तूफान उसे मिटा नहीं सकता। आज उन्हें नम आंखों से विदा किया जाएगा, लेकिन संगीत की हर धुन में वह हमेशा बसते रहेंगे। यही वजह है कि जुबिन गर्ग का नाम सदा याद किया जाएगा।