Banana demand increased in Chhath Puja: बिहार में 27 अक्टूबर 2025 से छठ पूजा की तैयारियों ने बाजारों में फिर से जान डाल दी है। इस साल छठ पूजा में केले की मांग बढ़ी, जिससे फल मंडियों में कारोबार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। छठ महापर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देता है। इस बार वैशाली जिले के हाजीपुर मंडी में करीब 13 करोड़ रुपये का केला व्यापार दर्ज किया गया, जो पिछले साल से 20% अधिक है।
स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, तूफान से उत्पादन में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था ने कमी पूरी कर दी। हर तरफ पीले केले की कतारें, लदी ट्रकें और भीड़भाड़ वाली मंडियां—छठ ने फिर से बिहार के बाजारों को सजीव कर दिया है।
हाजीपुर का चिनिया केला बना छठ पूजा की पहचान
छठ पूजा के दौरान जो फल सबसे पवित्र और आवश्यक माना जाता है, वह है हाजीपुर का चिनिया केला। यह केला अपने स्वाद, मिठास और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता है कि छठ व्रत में सूर्य देव को अर्घ्य देने में हाजीपुर का केला शुभ माना जाता है। यही वजह है कि बिहार ही नहीं, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक इस केले की भारी मांग रहती है।
इस बार स्थानीय पैदावार कम होने के कारण कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और असम से भी केले मंगवाए गए। बावजूद इसके, भाव स्थिर रहे क्योंकि बाजार में मांग लगातार बनी रही। यह स्थिति बताती है कि छठ पूजा सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि “श्रद्धा अर्थव्यवस्था” का प्रमुख स्तंभ बन चुका है।
बिहार का “केला ब्रांड”: व्यापार से उम्मीद की नई किरण
हाजीपुर के चिनिया केले को “बिहार ब्रांड” बनाने की प्रक्रिया पर अब जोर दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार उचित मूल्य नीति और समर्थन दे, तो यह केला अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बिहार की पहचान बन सकता है। फिलहाल, जीआई टैग (Geographical Indication) के लिए प्रक्रिया जारी है।
किसान मानते हैं कि छठ पूजा जैसे पर्व स्थानीय उत्पादों की आर्थिक ताकत को दिखाते हैं। जब भी त्योहार आता है, खेतों, बाजारों और मंडियों में रोजगार और कारोबार दोनों बढ़ते हैं। यही वजह है कि हाजीपुर और उसके आसपास के इलाके को “केला नगरी” कहा जाता है, जहां परंपरा और प्रगति साथ-साथ चलती हैं।












