हार्मोनल गोलियों से बढ़ा खतरा 18 साल की लड़की की दर्दनाक मौत से सबक
स्वास्थ्य से जुड़े छोटे-छोटे निर्णय कभी-कभी जीवन और मृत्यु का कारण बन जाते हैं। हाल ही में एक 18 वर्षीय लड़की की मौत ने इस बात को और स्पष्ट कर दिया है। पीरियड रोकने के लिए उसने हार्मोनल गोलियों का सेवन किया। इसके गंभीर दुष्प्रभाव सामने आए और उसकी जान चली गई।
क्या हुआ था मामला?
लड़की ने मासिक धर्म (पीरियड) रोकने के लिए हार्मोनल दवाओं का सेवन शुरू किया। इन दवाओं का असर शरीर पर गहरा पड़ा और उसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) हो गया। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून नसों में जमने लगता है और रक्त का प्रवाह रुक जाता है।डॉक्टरों ने तुरंत भर्ती करने की सलाह दी, लेकिन पिता ने स्थिति की गंभीरता को समझने में चूक कर दी और भर्ती से इनकार कर दिया। रात में अचानक लड़की की तबीयत बिगड़ गई। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) को समझें
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis - DVT) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसमें शरीर की गहरी नसों (Deep Veins) में खून का थक्का (Blood Clot) जम जाता है। यह स्थिति सबसे अधिक पैरों की नसों में देखने को मिलती है।अगर यह खून का थक्का टूटकर फेफड़ों (Lungs) तक पहुँच जाता है तो यह पल्मोनरी एम्बोलिज़्म (Pulmonary Embolism) बन सकता है, जो अचानक मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
DVT के प्रमुख कारण
हार्मोनल गोलियां या गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक सेवन| लंबे समय तक बैठे रहना (जैसे यात्रा में) धूम्रपान और मोटापा सर्जरी या चोट के बाद शरीर में खून का गाढ़ा होना आनुवांशिक कारण
DVT से बचाव के उपाय
किसी भी दवा को डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। नियमित व्यायाम करें और ज्यादा देर तक बैठे न रहें। धूम्रपान और अल्कोहल से दूरी बनाएं।अगर परिवार में पहले किसी को DVT रहा है तो सावधानी बरतें।
हार्मोनल गोलियों के दुष्प्रभाव
हार्मोनल गोलियां महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का स्तर बदल देती हैं। इससे पीरियड्स रोके जा सकते हैं, लेकिन यह शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है।
संभावित दुष्प्रभाव
ब्लड क्लॉट बनने का खतरा (DVT) हार्ट अटैक और स्ट्रोक का बढ़ा हुआ रिस्क वजन बढ़ना और हॉर्मोनल असंतुलन लीवर पर बुरा असर मूड स्विंग्स और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
समाज और परिवार की जिम्मेदारी
यह घटना केवल दवाओं के खतरों की ओर इशारा नहीं करती, बल्कि परिवार और समाज की सोच को भी सवालों के घेरे में लाती है।डॉक्टर की बात को हल्के में लेना घातक हो सकता है।कई बार लड़कियाँ सामाजिक दबाव में अपने पीरियड्स रोकने का फैसला लेती हैं, ताकि पढ़ाई, परीक्षा या शादी-ब्याह जैसे अवसर प्रभावित न हों।ऐसे समय परिवार को जागरूक होकर सही मार्गदर्शन देना चाहिए।
युवाओं और महिलाओं के लिए संदेश
पीरियड्स को बीमारी नहीं समझें। यह शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया है।कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयाँ न लें।स्वास्थ्य पर समझौता न करें। छोटी समस्या को नज़रअंदाज़ करना बड़ी त्रासदी में बदल सकता है।खुलेपन से बात करें। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स की समस्या पर खुलकर डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए।