दिल्ली की रातें अक्सर तेज़ रफ्तार और भीड़ के बीच बीतती हैं, लेकिन कुछ सड़कें ऐसी भी होती हैं जहां सन्नाटा डर की तरह फैल जाता है। इसी सन्नाटे का फायदा उठाकर एक सीरियल लुटेरा ड्राइवर लोगों को निशाना बनाता रहा। तरीका बेहद चालाक था—पहले ऑटो में अचानक “खराबी” का नाटक, फिर यात्री को उतरवाकर गला घोंटना या धक्का-मुक्की कर सामान छीनकर भाग जाना। आखिरकार पुलिस की सतर्क निगरानी और लगातार फुटेज खंगालने के बाद आरोपी पकड़ में आ गया।
रात का जाल: सुनसान मोड़, ऑटो खराब और फिर कुछ ही मिनटों में हमला
वारदात का पैटर्न लगभग एक जैसा था। देर रात स्टेशन या बस अड्डे के पास से सवारी उठाना, गंतव्य से थोड़ा पहले ऑटो रोक देना और कहना—“ऑटो खराब हो गया।” यात्री जैसे ही उतरता, ड्राइवर पीछे से गला जकड़ लेता या धक्का देकर गिरा देता। फोन, नकदी, बैग—जो भी हाथ लगता, छीनकर भाग निकलता। यह सब कुछ कुछ ही मिनटों में हो जाता, और पीड़ित संभलने से पहले आरोपी गायब।
पीड़ितों की कहानी: घर लौटते समय गला घोंटने की कोशिश और बेबस खामोशी
ऐसे मामलों में पीड़ित अक्सर अकेले होते हैं। रात का वक्त, सुनसान सड़क और अचानक हमला—चिल्लाने का मौका तक नहीं मिलता। कई लोगों ने बताया कि हमला इतने अचानक हुआ कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि कब फोन और बटुआ गायब हो गया। कुछ लोग चोटिल भी हुए, जिनमें गर्दन और सिर पर निशान पाए गए। कई मामलों में राहगीरों ने मदद की, तब जाकर पुलिस तक बात पहुंची।
कैसे टूटी गुत्थी: सीसीटीवी, पहचान के धागे और सतर्क पेट्रोलिंग ने बदली बाज़ी
पुलिस ने इलाके के दर्जनों कैमरे खंगाले। अलग-अलग वारदातों के फुटेज में एक ही पैटर्न दिखा—एक जैसा ऑटो मॉडल, समान रूट, और बार-बार सुनसान पॉकेट का चुनाव। संदिग्ध ऑटो की पहचान होते ही निगरानी बढ़ाई गई। कई रातों तक सादे कपड़ों में टीमें उसी रूट पर घूमती रहीं। आखिर एक रात संदिग्ध ऑटो दिखा, और कुछ दूरी पर “खराबी” का वही ड्रामा शुरू होते ही टीम ने घेराबंदी कर ली। ड्राइवर को मौके से पकड़ लिया गया।
आरोपी का पिछला रिकॉर्ड: पुराने लूट के केस और जमानत के बाद फिर वही चाल
पूछताछ में आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आया। पहले भी लूट और झपटमारी के मामलों में उसका नाम दर्ज था। जमानत पर बाहर आने के बाद उसने फिर वही रास्ता चुना—किराए या उधार लिया ऑटो, रात के समय टारगेट, और “खराबी” का बहाना। पुलिस अब पुराने मामलों की कड़ियां जोड़ रही है, ताकि सभी केस एक जगह पर साबित हो सकें।
लूट का तरीका क्यों कामयाब रहा: अँधेरा, घबराहट और “जल्दी घर पहुँचने” की बेचैनी
रात में यात्री अक्सर थके होते हैं और जल्दी घर पहुँचना चाहते हैं। सुनसान जगह पर जब ड्राइवर ऑटो रोक देता है, तो पहले पल में यात्री घबरा जाता है। इसी घबराहट का फायदा लेकर हमला किया जाता था। कई लोग फोन हाथ में पकड़े रहते हैं, बैग खुला होता है, या वॉलेट सामने की जेब में। ऐसे में अपराधियों के लिए काम आसान हो जाता है।
पुलिस की अपील: रात में सफर करते समय इन सावधानियों का रखें ध्यान
अगर रात में सफर कर रहे हैं, तो कुछ छोटी सावधानियाँ बड़ी मदद कर सकती हैं। भरोसेमंद ऐप या स्टैंड से ही वाहन लें। रूट किसी करीबी को शेयर करें। गंतव्य से पहले सुनसान जगह पर रुकने पर सतर्क रहें। अगर ड्राइवर अचानक “खराबी” का बहाना बनाए, तो दूरी बनाकर खड़े रहें और तुरंत हेल्पलाइन या नज़दीकी पेट्रोलिंग को कॉल करें। कीमती सामान बैग के अंदर सुरक्षित रखें और फोन पर अनलॉक स्क्रीन लंबे समय तक खुला न रखें।
स्थानीय मदद प्रणाली: हेल्पलाइन, बीट पुलिस और मोहल्ला निगरानी
कई इलाकों में बीट पुलिस और आरडब्ल्यूए मिलकर रात की निगरानी बढ़ा रहे हैं। मुख्य मोड़ों, पार्किंग ज़ोन और डार्क स्पॉट्स पर अतिरिक्त रोशनी और कैमरे लगाए जा रहे हैं। किसी भी संदिग्ध ऑटो या ड्राइवर की सूचना देने के लिए इलाके की हेल्पलाइन और थाना कंट्रोल रूम सक्रिय हैं।
समाप्ति: शहर की रातें सुरक्षित बनानी हैं, तो सतर्कता और सख्त कानून—दोनों जरूरी
यह मामला सिर्फ एक गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है। यह बताता है कि शहर की सुरक्षा में टेक्नोलॉजी, पुलिस का त्वरित एक्शन और नागरिकों की सावधानी, तीनों की भूमिका बराबर है। आरोपी पकड़ा गया है, लेकिन सीख यह है—रात में सफर करते समय छोटी-छोटी सावधानियाँ बड़े खतरे टाल सकती हैं।