देश में इस वक्त जब चुनावी माहौल गरम है, तब सोशल मीडिया पर झूठी AI सामग्री यानी नकली वीडियो, ऑडियो और तस्वीरों की भरमार दिखाई दे रही है। कभी किसी नेता की आवाज़ बदल दी जाती है, तो कभी किसी पार्टी की रैली को गलत संदर्भ के साथ दिखा दिया जाता है। ऐसी सामग्री लोगों के वोट देने के नजरिए को प्रभावित करती है। इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने अब इस पर सख्त कदम उठाया है।
नई गाइडलाइन में झूठी पोस्ट हटाने की समय सीमा तय
अब से किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, न्यूज वेबसाइट या ऑनलाइन चैनल को यह जिम्मेदारी दी गई है कि अगर उनसे संबंधित कोई झूठी AI सामग्री देखी जाती है और उसकी जानकारी दी जाती है, तो उसे 3 घंटे के अंदर हटाना होगा। चाहे वह वीडियो हो, फोटो हो या ऑडियो। अगर इस नियम का पालन नहीं किया गया तो जिम्मेदार संस्था पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया कंपनियों को दी गई बड़ी जिम्मेदारी
चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि अब Facebook, YouTube, Instagram, X और स्थानीय प्लेटफॉर्म सभी को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी। अगर कोई शिकायत आती है कि किसी पोस्ट में गलत तथ्य या AI से तैयार झूठा बयान है, तो तुरंत जांच करके उसे हटाना होगा। कई बार देखा गया है कि चुनाव से पहले फर्जी क्लिप वायरल करके जनता को भड़काने की कोशिश होती है। इस गाइडलाइन से ऐसी कोशिशों पर रोक लगाने का इरादा है।
क्यों बढ़ी झूठी AI सामग्री की समस्या
पिछले कुछ सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक बहुत तेज़ी से विकसित हुई है। अब कोई भी व्यक्ति मोबाइल एप की मदद से कुछ ही मिनटों में किसी नेता का नकली भाषण, इंटरव्यू या वीडियो तैयार कर सकता है। यह झूठी AI सामग्री इतनी असली लगती है कि आम लोगों को फर्क ही नहीं पड़ता। यही वजह है कि चुनाव आयोग ने अब इस पर गंभीर कदम उठाया है ताकि देश में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके।
तीन घंटे का नियम क्यों जरूरी है
किसी झूठी पोस्ट का असर मिनटों में फैल जाता है। जैसे ही कोई अफवाह या नकली वीडियो इंटरनेट पर आता है, वह कुछ ही घंटों में लाखों लोगों तक पहुंच जाता है। इसीलिए चुनाव आयोग ने माना कि अगर 24 घंटे या 12 घंटे इंतजार किया गया, तो नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है। तीन घंटे का नियम यह सुनिश्चित करेगा कि फर्जी खबरें ज्यादा दूर तक न फैल सकें।
राजनीतिक दलों को भी करना होगा पालन
अब यह गाइडलाइन केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही नहीं, बल्कि खुद राजनीतिक दलों और उनके प्रचार संयोजकों पर भी लागू होगी। किसी भी पार्टी को अगर अपने सोशल अकाउंट या प्रचार सामग्री में झूठी AI सामग्री पाई जाती है, तो उन्हें भी 3 घंटे के भीतर उसे हटाना और आयोग को रिपोर्ट देना होगा। इससे जनता के बीच विश्वास कायम रहेगा और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।
जनता की भूमिका भी बताई गई
नई गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि आम नागरिकों को जागरूक रहना होगा। अगर किसी को किसी वीडियो, फोटो या पोस्ट पर शक हो कि वह झूठी AI सामग्री है, तो तुरंत रिपोर्ट करें। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल और ऑफिशियल हेल्पलाइन जारी की जाएगी। चुनाव आयोग चाहता है कि जनता भी इस जिम्मेदारी में हिस्सा ले ताकि लोकतंत्र मजबूत बने।
फेक कंटेंट बनाने वालों पर सख्त सजा
कमिशन ने चेतावनी दी है कि जो भी व्यक्ति या संगठन जानबूझकर झूठी जानकारी या AI सामग्री फैलाता है, उस पर सख्त सजा दी जाएगी। इनमें जुर्माना, सोशल मीडिया अकाउंट सस्पेंड होना, और कानूनी कार्रवाई जैसी सज़ाएँ शामिल हैं। आने वाले चुनावों में यह गाइडलाइन एक मिसाल बनेगी।
इस फैसले का जनता पर असर
यह गाइडलाइन आने के बाद लोगों में भरोसा बढ़ा है कि अब इंटरनेट पर फैलाई जाने वाली नकली खबरों पर लगाम लगेगी। पहले जहां किसी फर्जी वीडियो या खबर को रोकने में दिन लग जाते थे, अब तीन घंटे में सफाई हो जाएगी। यह डिजिटल युग के लिए बड़ी पहल मानी जा रही है। इस कदम से ऑनलाइन पारदर्शिता बढ़ेगी और मतदाताओं तक सच्ची जानकारियाँ पहुंचेगी।
आयोग का लक्ष्य – निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव
चुनाव आयोग का कहना है कि इस नियम का मकसद किसी पर रोक लगाना नहीं, बल्कि चुनाव की सच्चाई को बनाए रखना है। AI तकनीक का इस्तेमाल अच्छा भी हो सकता है, पर जब इसका इस्तेमाल वोटरों को गुमराह करने के लिए किया जाए, तो वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। आखिरकार यही तय करेगा कि देश में चुनाव भरोसेमंद और साफ-सुथरे तरीके से हों।
डिजिटल पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
झूठी AI सामग्री के खिलाफ यह नई गाइडलाइन भारत के चुनाव इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। यह सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि हर उस मंच पर लागू होगी, जहां चुनाव से जुड़ा संवाद होता है। अब यह जनता, पार्टियों और मीडिया सभी की जिम्मेदारी है कि वे इस नियम का पालन करें और सच्चाई की आवाज़ को फैलाएं। आने वाले समय में यह पहल भारत के डिजिटल लोकतंत्र को और मजबूत बनाएगी।












