मूसलधार बारिश ने मचाई तबाही: अंबाला-भूना जलमग्न, लाडवा का तटबंध टूटा

अंबाला और भूना में तेज बारिश से घरों में पानी भर गया, लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में तीन ड्रेनों में आई गहरी दरार से गांवों और खेतों तक पानी पहुंचा, फसलें डूबने लगीं लाडवा इलाके में तटबंध टूटने से बाढ़ का खतरा बढ़ा, ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त बरसाती पानी से स्कूल, अस्पताल और सड़कों पर जनजीवन प्रभावित, आम लोग परेशान प्रशासन ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमों को भेजा, राहत बचाव कार्य में तेजी लोगों की मुश्किलें और प्रशासन पर सवाल, हर साल क्यों दोहराता है बारिश का संकट

मूसलधार बारिश ने मचाई तबाही: अंबाला-भूना जलमग्न, लाडवा का तटबंध टूटा

हरियाणा इस समय बेमौसम बारिश की मार झेल रहा है। लगातार हुई भारी बारिश ने पूरे प्रदेश का संतुलन बिगाड़ दिया है। हालात यह हैं कि कई कस्बों और गांवों में बरबादी की बारिश लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर चुकी है। अंबाला और भूना में जहां लोगों के घरों तक पानी भर गया है, वहीं कुरुक्षेत्र के लाडवा इलाके में तटबंध टूटने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। तीन अलग-अलग ड्रेनों में आई दरार ने स्थिति को और ज्यादा खतरनाक बना दिया है।

 

अंबाला और भूना में पानी ने घरों के अंदर बनाई जगह

अंबाला शहर और भूना कस्बा इस बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित नज़र आ रहे हैं। यहां घंटों तक हुई तेज बारिश ने नालियों और ड्रेनों का पूरा सिस्टम फेल कर दिया। सड़कों पर दरिया जैसे हालात बन गए और देखते-ही-देखते कॉलोनियों और मोहल्लों में पानी घुस गया।

लोगों का कहना है कि पानी इतना तेज़ी से आया कि उन्हें अपने सामान तक संभालने का मौका नहीं मिला। घरों के आंगन, रसोई और कमरे पूरी तरह जलमग्न हो गए। छोटे बच्चों और बुजुर्गों की हालत सबसे ज्यादा खराब दिख रही है क्योंकि वे न तो आसानी से निकल पा रहे हैं और न ही इस स्थिति को सह पा रहे हैं।

 

तीन ड्रेनों में दरार से बढ़ा खतरा

अंबाला और भूना के हालात पहले ही खराब थे कि इसी बीच खबर आई कि पास की तीन ड्रेनों में गहरी दरार पड़ गई है। इन दरारों से पानी सीधे गांवों की ओर बहने लगा है। इससे किसानों की फसलें भी डूब गई हैं। धान और कपास, जो खेतों में खड़ी थीं, अब पूरी तरह पानी में दब चुकी हैं।

कई जगहों पर किसान माटी के बने तटबंधों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पानी के तेज बहाव और लगातार हो रही बारिश से हालात उनके काबू से बाहर हो गए हैं। प्रशासन मौके पर है लेकिन लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा है।

 

लाडवा में तटबंध टूटने से बना बाढ़ जैसा हाल

कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा इलाके में बारिश ने सबसे बड़ी चोट मारी है। यहां का तटबंध टूट गया है जिससे पास के गांव सीधे पानी की चपेट में आ गए हैं। गांवों की गलियां, खेत, और घर सभी पानी में घिर गए हैं। लोग ट्रैक्टर और नाव जैसे साधनों के जरिए बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं।

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने ऐसा मंजर कई सालों बाद देखा है। हर तरफ पानी ही पानी है और लोग अपने जरूरी सामान को ऊँचे स्थानों पर रखने में जुटे हैं। प्रशासन ने राहत शिविर बनाने की घोषणा की है लेकिन लोगों का डर अभी कम नहीं हुआ है।

 

स्कूल, अस्पताल और सड़कें भी डूबीं

इस हरियाणा में बर्बादी की बारिश के कारण सिर्फ घर ही नहीं बल्कि स्कूल, अस्पताल और सड़कें भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बच्चों की पढ़ाई रुक गई है क्योंकि स्कूलों तक पहुंचने का रास्ता बंद हो चुका है। कई स्कूलों में भी पानी भर गया है।

हॉस्पिटल तक मरीज पहुंच पाने में असमर्थ दिख रहे हैं। एंबुलेंस भी कीचड़ और पानी में फंस रही हैं। इस कारण बीमार लोगों को दिक्कत और ज्यादा बढ़ गई है। सड़कें टूट-फूट चुकी हैं और जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। इन सड़कों पर गाड़ियों का चलना बहुत खतरनाक हो गया है।

 

लोगों की परेशानियां और बेबसी

अंबाला, भूना और लाडवा के लोगों के चेहरे पर सिर्फ मायूसी और परेशानी साफ दिखाई दे रही है। घरों में पानी घुसने से खाने-पीने का सामान खराब हो गया है। गैस चूल्हे और बिजली उपकरण सब बंद पड़े हैं। जिन घरों में निचले हिस्सों में रहन-सहन है, वहां तो पूरा जीवन ठप हो गया है।

लोकल दुकानदारों का कहना है कि उनका व्यापार बरसात में पूरी तरह चौपट हो गया है। सामान भीगकर खराब हो रहा है और ग्राहक तक दुकान नहीं पहुंच पा रहे। ऐसे में उनका नुकसान करोड़ों तक पहुंचने का अंदेशा है।

 

प्रशासन की कोशिशें और राहत कार्य

सरकारी मशीनरी लगातार काम में लगी हुई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर तैनात की गई हैं। कई इलाकों से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। राहत शिविरों में खाने और पीने के पानी की व्यवस्था की गई है।

अधिकारियों ने कहा है कि हालात से निपटने के लिए हर संभव मदद की जा रही है। लेकिन पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे राहत का काम और मुश्किल हो गया है।

 

भविष्य को लेकर चिंता, लोगों में आक्रोश

यह बरबादी की बारिश सिर्फ मौजूदा समस्या नहीं है, बल्कि आने वाले समय के लिए भी सवाल खड़ा करती है। लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर हर साल ऐसी स्थिति क्यों बनती है। ड्रेनों और नालों की सफाई समय पर क्यों नहीं की जाती। छोटे शहरों और कस्बों का जल निकासी सिस्टम बेहतर क्यों नहीं होता।

लोगों का गुस्सा प्रशासन और सरकार दोनों से है। वे कहते हैं कि हर साल बाढ़ और बारिश से जीवन उजड़ता है लेकिन स्थायी समाधान कभी नहीं निकाला जाता। यही वजह है कि इस बार भी लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

 

नतीजा और आने वाले दिन

हरियाणा की यह त्रासदी एक बार फिर याद दिलाती है कि मौसम की मार से बचने के लिए हमें पहले से तैयारी करनी होगी। अंबाला और भूना में घरों में घुसे पानी, लाडवा में टूटा तटबंध और ड्रेनों में आई दरार - यह सब स्थितियां इस तरफ इशारा करती हैं कि आने वाले दिनों में चुनौती और बढ़ सकती है।

लोग अब भी इस उम्मीद में हैं कि हालात जल्द संभल जाएंगे और जीवन वापस पटरी पर आ जाएगा। लेकिन फिलहाल तो हरियाणा के कई इलाके इस बरबादी की बारिश से जूझ रहे हैं और लोगों की कोशिश सिर्फ इतना है कि वे किसी तरह सुरक्षित रह सकें।

हरियाणा में किन-किन जिलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है?
अंबाला, भूना और लाडवा इस बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
Q2. क्या अंबाला और भूना में घरों में पानी घुसा है?
हाँ, तेज बारिश के कारण कई मोहल्लों और कॉलोनियों में घरों तक पानी भर गया है।
लाडवा में तटबंध टूटने से क्या हालात बने हैं?
लाडवा में तटबंध टूटने से गांवों में पानी घुस गया और बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
खेतों और फसलों का कितना नुकसान हुआ है?
धान और कपास जैसी फसलें पूरी तरह पानी में डूब चुकी हैं, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है।
तीन ड्रेनों में आई दरार का क्या असर पड़ा?
ड्रेनों में दरार आने से पानी सीधा गांवों और खेतों में पहुंचा, जिससे नुकसान और बढ़ गया।
क्या स्कूल और अस्पताल भी प्रभावित हुए हैं?
हाँ, कई स्कूलों और अस्पतालों में पानी भर जाने से जनजीवन परेशान हो गया है।
प्रशासन ने राहत और बचाव के लिए क्या कदम उठाए हैं?
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर तैनात की गई हैं और राहत शिविर बनाए जा रहे हैं।
क्या लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है?
हाँ, कई प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
क्या यह बारिश अचानक हुई या मौसम विभाग ने पहले चेतावनी दी थी?
मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी दी थी, लेकिन हालात उम्मीद से ज्यादा बिगड़ गए।
क्या भविष्य में ऐसी स्थिति को रोकने के उपाय किए जाएंगे?
लोग प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं ताकि हर साल बरसात में ऐसी परेशानी न हो।