जयपुर की बस सेवा पर भरोसा करने वाले यात्रियों को बड़ा झटका राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने इतिहास, संस्कृति और खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए मशहूर है। यहां रोज़ हजारों लोग अपनी आवाजाही के लिए सिटी बसों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन हाल ही में सामने आई एक बड़ी सच्चाई ने न केवल आम जनता बल्कि प्रशासन के अधिकारियों को भी स्तब्ध कर दिया। खबर यह है कि कई सिटी बसें जो कागजों पर चल रही थीं, असल में सड़कों से गायब हो चुकी थीं। इस मामले को सामने लाने का काम जयपुर आरटीओ ने किया और जांच में जो तथ्य सामने आए, उन्होंने सबको चौंका दिया।
आरटीओ की नजर में आया गड़बड़ी का शक और शुरू हुई जांच
कुछ समय से लगातार यात्रियों की शिकायतें आ रही थीं कि कई अहम रूटों पर बसें समय पर नहीं पहुंच रही हैं। लोग रोज़ाना घंटों तक इंतजार करते, लेकिन बसें आती ही नहीं थीं। जब मामले ने तूल पकड़ा तो जयपुर आरटीओ ने खुद इस पर नजर डालने का फैसला लिया। अधिकारियों ने बसों के रूट और उनके संचालन की गहन जांच शुरू की। यह जांच जितनी आगे बढ़ी, उतना ही बड़ा खेल सामने आता गया।
बसें कागजों पर चल रहीं थीं, जमीन पर नहीं
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि कई सिटी बसें जिनका किराया और संचालन का ब्यौरा कागजों में मौजूद था, असल में सड़क पर नजर ही नहीं आ रही थीं। बसों को रूट पर दिखाने के लिए रोज़ाना दस्तावेज़ अपडेट किए जा रहे थे, लेकिन हकीकत यह थी कि वे गाड़ियों को सार्वजनिक सेवा में लगाया ही नहीं गया। यह सुनते ही हर कोई हैरान रह गया कि आखिर इतने बड़े स्तर पर यह खेल कैसे चल रहा था और इतने दिनों तक किसी को पता क्यों नहीं चला।
लाखों रुपए का नुकसान और जनता परेशान
इस पूरे घोटाले का सबसे बड़ा खामियाजा जनता को उठाना पड़ा। जब सड़कों पर पर्याप्त सिटी बसें ही नहीं चल रही थीं, तो यात्रियों को या तो ऑटो और टैक्सी पर ज्यादा किराया देना पड़ा या फिर घंटों तक धूप और बारिश में इंतजार करना पड़ा। इस कारण हजारों परिवार प्रभावित हुए। दूसरी ओर सरकारी खज़ाने को भी लाखों रुपए का नुकसान हुआ क्योंकि जिन बसों को जनता की सेवा में चलना था, वे सड़कों से नदारद रहीं और कागजों पर ही यात्राएं पूरी कर ली गईं।
अफसर भी चौंक गए खेल की गहराई जानकर
जयपुर आरटीओ के अधिकारियों का मानना है कि यह एक साधारण लापरवाही नहीं थी, बल्कि इसके पीछे संगठित तरीके से बड़े पैमाने पर धांधली की गई। अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद यह साफ हो गया कि कई स्तर पर मिलीभगत हुई। कागजों में संख्याएं सही बैठा दी जातीं और ऐसा दिखाया जाता कि रूट पर सभी बसें चल रही हैं, जबकि जनता को असल सेवा मिल ही नहीं रही थी।
आरटीओ की कार्रवाई और आने वाले कदम
इस घटना के सामने आने के बाद जयपुर आरटीओ ने तुरंत सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। दोषियों की पहचान की जा रही है और जिन ठेकेदारों या बस ऑपरेटरों ने मिलकर यह खेल रचा, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है। साथ ही अफसरों ने यह भी कहा है कि अब हर बस की निगरानी आधुनिक तकनीक से होगी। जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा ताकि कोई भी बस कागजों पर न चले।
जनता को राहत देने के लिए नए कदम उठाए गए
आरटीओ और परिवहन विभाग ने जनता को भरोसा दिलाया है कि आने वाले समय में सड़कों पर पहले से ज्यादा सिटी बसें उपलब्ध कराई जाएंगी। रूटों की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी और सभी स्टॉपेज पर बसों की समय सारिणी सार्वजनिक करवाई जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि जब तक सख्त व्यवस्था नहीं होगी, तब तक जनता के साथ धोखा होता रहेगा।
जयपुर की पहचान और सार्वजनिक परिवहन की ज़िम्मेदारी
जयपुर सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने वाला पर्यटन स्थल है। यहां देश-दुनिया से लोग आते हैं। ऐसे में अगर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली भरोसेमंद न हो, तो शहर की छवि पर खराब असर पड़ता है। जयपुर आरटीओ द्वारा उजागर किया गया यह मामला प्रशासन के लिए चेतावनी है कि अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जनता का भरोसा बनाए रखना पहली प्राथमिकता है।
आगे का रास्ता और उम्मीदें
अब देखना होगा कि इस पूरे प्रकरण के बाद जो वादे और घोषणाएं की गई हैं, वे कितनी हकीकत में उतरती हैं। लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जयपुर की सड़कों पर जल्द ही पर्याप्त सिटी बसें दिखाई देंगी और उन्हें फिर से बार-बार इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आरटीओ की इस कार्रवाई से एक बात साफ है कि अगर प्रशासन सजग रहे तो जनता को राहत मिल सकती है और शहर को बेहतर परिवहन व्यवस्था मिल सकती है।