Kartik Purnima 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा इस वर्ष 5 नवंबर को मनाई जा रही है। यह तिथि आध्यात्मिक रूप से अत्यंत शुभ मानी गई है क्योंकि इस दिन को देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था और देवताओं ने उनके सम्मान में दीप जलाए थे। इसी कारण इसे “देवताओं की दीपावली” भी कहा जाता है। यह दिन स्नान, दान और दीपदान जैसे शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
त्रिपुरासुर वध और देव दीपावली का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने प्रदोष काल में त्रिपुरासुर का संहार कर ब्रह्मांड में धर्म की स्थापना की थी। इसी विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने काशी में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई। कहा जाता है कि इस दिन काशी में गंगा स्नान और दीपदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक विद्वानों के अनुसार, यह दिन आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है और मनुष्य के भीतर की नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
मत्स्य अवतार, तुलसी विवाह और ब्रह्मा जी का अवतरण
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है कि प्रलय काल के समय भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन मत्स्य रूप में अवतार लेकर वेदों की रक्षा की थी। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विष्णु भक्त विशेष पूजा करते हैं। इसी दिन तुलसी विवाह का समापन होता है. देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम का दिव्य मिलन। वहीं पुष्कर में ब्रह्मा जी के अवतरण की स्मृति में लाखों श्रद्धालु स्नान और दीपदान करते हैं। यह पर्व ब्रह्मा जी की आराधना के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है।
कार्तिक पूर्णिमा के उपाय और आध्यात्मिक लाभ
धार्मिक परंपराओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के उपाय करने से जीवन में धन, शांति और समृद्धि आती है। इस दिन प्रातःकाल गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर “ॐ नमः शिवाय” का जाप शुभ माना जाता है। साथ ही, गरीबों को भोजन या वस्त्रदान करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। Kartik Purnima ke upay में दीपदान को सबसे प्रभावी उपाय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, जल में दीप प्रवाहित करने से पितरों की तृप्ति और जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है।
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आस्था और उत्सव का संगम देव दीपावली का आध्यात्मिक संदेश
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस पावन दिन पर काशी, पुष्कर, हरिद्वार और गढ़मुक्तेश्वर जैसे तीर्थस्थलों में लाखों श्रद्धालु दीपदान करते हैं। लक्ष्मी-नारायण की विशेष आरती, भजन-कीर्तन और दान-पुण्य के आयोजन से यह दिन भक्तिभाव और सदाचार से ओतप्रोत हो जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक संदेश यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर की आत्मिक ज्योति को प्रज्वलित करे और जीवन में ज्ञान, करुणा तथा धर्म का प्रकाश फैलाए।


