तेलंगाना की राजनीति में दरार, कविता ने पार्टी छोड़ी और खोले राज़

तेलंगाना की राजनीति में कविता का इस्तीफा बना भूचाल, निलंबन के अगले दिन ही चचेरे भाइयों पर परिवार को राजनीतिक रूप से खत्म करने का आरोप, कार्यकर्ताओं और जनता में हलचल

तेलंगाना की राजनीति में दरार, कविता ने पार्टी छोड़ी और खोले राज़

तेलंगाना की राजनीति में बीते कुछ दिनों से जबरदस्त हलचल है। राज्य की राजनीति में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अंदरूनी विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। पार्टी से निलंबित होने के एक दिन बाद ही के. कविता ने न केवल बीआरएस से इस्तीफा दे दिया बल्कि खुलकर यह भी आरोप लगाया कि उनके ही चचेरे भाई उन्हें और उनके परिवार को राजनीतिक रूप से समाप्त करना चाहते हैं। इस कदम से एक ओर पार्टी कार्यकर्ताओं में खलबली मच गई है तो दूसरी ओर पूरे राज्य का सियासी संतुलन हिलता नजर आ रहा है।

बीआरएस का अंदरूनी विवाद

बीआरएस लंबे समय से राज्य के भीतर एक मजबूत राजनीतिक शक्त‍ि के रूप में उभरता रहा है। परंतु हर दल की तरह इसमें भी पारिवारिक और गुटीय राजनीति का प्रभाव देखने को मिलता रहा है। पिछले कुछ महीनों से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और क्षेत्रीय नेताओं के बीच तनाव साफ दिखाई दे रहा था। कविता पर लगे निलंबन ने यह साबित कर दिया कि पार्टी में पुरानी खटास अब खुलकर सतह पर आने लगी है।

 

निलंबन की पृष्ठभूमि

के. कविता पर कथित रूप से पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया गया था। पार्टी नेतृत्व ने आरोप लगाया कि कविता की कार्यप्रणाली से संगठन को नुकसान पहुंच रहा है। यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने पार्टी को कमजोर करने वाले कदम उठाए और अंदरखाने में असंतोष भड़काने की कोशिश की। इन आरोपों के आधार पर बीआरएस ने उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई कविता के लिए अप्रत्याशित नहीं थी, लेकिन जिस तेजी से घटनाक्रम बदला, उसने सभी को चौंका दिया।

 

निलंबन के बाद इस्तीफा

निलंबन के ठीक अगले दिन कविता ने मीडिया के सामने आकर पार्टी से अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अब उनके लिए बीआरएस में काम जारी रखना असंभव हो गया है। इस्तीफे की घोषणा करते हुए उन्होंने बीआरएस के नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए और अपने राजनीतिक करियर के नए रास्ते तलाशने का संकेत दिया।

 

कविता का परिवार पर आरोप

के. कविता ने सबसे बड़ा आरोप अपने ही चचेरे भाइयों पर लगाया। उनका कहना है कि उनके रिश्तेदार, जो वर्तमान में पार्टी में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं, जानबूझकर उन्हें और उनके परिवार को राजनीति से बाहर करना चाहते हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वक्त रहते अगर उन्होंने आवाज न उठाई तो उनके परिवार की राजनीतिक पहचान और अस्तित्व पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। यह बयान सीधा-सीधा बीआरएस की पारिवारिक राजनीति की तरफ इशारा करता है और इससे आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर घमासान तेज होने की संभावना है।

 

पारिवारिक दरार और राजनीति

बीआरएस हमेशा से के. चंद्रशेखर राव के परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है। केसीआर, उनके बेटे के. टी. रामाराव और बेटी कविता - तीनों ही सक्रिय राजनीति में बेहद प्रभावशाली रहे हैं। परंतु शक्ति संतुलन और सत्ता की लड़ाई ने परिवार के भीतर मत

 

राज्य की राजनीति पर असर

कविता के इस्तीफे का सीधा असर तेलंगाना की राजनीति पर पड़ेगा। बीआरएस पहले ही कांग्रेस और बीजेपी के बढ़ते दबाव से जूझ रहा है। अब आंतरिक कलह और पारिवारिक विवाद के चलते पार्टी की स्थिति और अधिक कमजोर हो सकती है। चूंकि कविता का अपना अलग जनाधार है और वे महिला नेताओं में एक मजबूत चेहरा मानी जाती हैं, उनका अलग होना पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। दूसरी ओर, विपक्ष के लिए यह एक मजबूत मुद्दा बन सकता है।

 

कविता के अगले कदम

इस्तीफा देने के बाद कविता ने यह स्पष्ट संकेत नहीं दिया कि वह आगे क्या करने वाली हैं। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि वे या तो एक नया दल बनाकर राजनीति में सक्रिय रहेंगी या फिर किसी अन्य राष्ट्रीय पार्टी में शामिल हो सकती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वह स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरकर अपनी राजनीति को नया आयाम देना चाहेंगी। अभी तक उन्होंने इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, परंतु इतना साफ है कि वे चुप बैठने वाली नहीं हैं।

 

बीआरएस की चुनौती

कविता के इस्तीफे ने बीआरएस के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर पार्टी पहले ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाने से कमजोर हुई है, ऊपर से नेताओं का इस तरह का खुला बगावती रुख दिखाना जनता में गलत संदेश भेज सकता है। पार्टी का वोट बैंक प्रभावित होगा और संगठनात्मक ढांचे में दरार और ज्यादा गहरी हो सकती है। यह बीआरएस के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं।

 

जनता की प्रतिक्रिया

कविता के इस्तीफे और आरोपों पर जनता के बीच भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। उनकी एक बड़ी समर्थक वर्ग यह मानता है कि कविता के साथ अन्याय हुआ है और उन्हें व्यक्तिगत साजिश का शिकार बनाया गया है। दूसरी ओर, कुछ लोगों का कहना है कि यह सब राजनीति का हिस्सा है और सत्ता की लालच में परिवार आपस में लड़ रहा है। बहरहाल, यह मुद्दा अभी लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा।

 

मीडिया की भूमिका

मीडिया ने कविता के निलंबन और इस्तीफे को बड़े पैमाने पर कवर किया है। टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह यही चर्चा छाई है। कई राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह विवाद आने वाले समय में बीआरएस को कई तरीकों से प्रभावित करेगा। वहीं, मीडिया में इस मुद्दे की कवरेज ने इसे और ज्यादा सुर्खियों में ला दिया है जिससे अब बचना लगभग नामुमकिन है।

 

भविष्य का सियासी समीकरण

तेलंगाना की राजनीति आने वाले दिनों में और ज्यादा दिलचस्प होने वाली है। कांग्रेस पहले से ही सत्ता में है और बीजेपी अपनी पैठ मजबूत करने में लगी हुई है। ऐसे में अगर कविता सचमुच कोई नया रास्ता चुनती हैं तो समीकरण बदल सकते हैं। अगर वह नया दल बनाती हैं तो यह बीआरएस के वोट बैंक पर सीधे असर डालेगा। वहीं अगर वह किसी बड़े दल में शामिल होती हैं तो उस दल को भी मजबूती मिल सकती है। इस वजह से हर राजनीतिक दल उनकी अगली चाल पर पैनी नजर रखे हुए है।

के. कविता ने बीआरएस क्यों छोड़ा?
निलंबन के एक दिन बाद ही कविता ने इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया कि उनके ही चचेरे भाई उन्हें और उनके परिवार को राजनीति से पूरी तरह से खत्म करने की साजिश कर रहे हैं।
बीआरएस ने के. कविता को क्यों निलंबित किया?
पार्टी नेतृत्व ने उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और संगठन को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबन का फैसला लिया था।
कविता के इस्तीफे का तेलंगाना की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
कविता महिला राजनीति का बड़ा चेहरा रही हैं। उनका इस्तीफा बीआरएस को कमजोर कर सकता है और विपक्षी दलों — कांग्रेस और बीजेपी — को मजबूत अवसर दे सकता है।
क्या कविता नया राजनीतिक दल बना सकती हैं?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वह नया दल बना सकती हैं या फिर किसी राष्ट्रीय पार्टी (कांग्रेस/बीजेपी) से जुड़ सकती हैं। फिलहाल उन्होंने इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया है।
क्या बीआरएस का यह विवाद केवल राजनीतिक है या पारिवारिक भी?
दरअसल यह विवाद दोनों है। बीआरएस हमेशा से केसीआर परिवार के इर्द-गिर्द रही है, मगर सत्ता संतुलन और गुटबाज़ी के कारण परिवार के भीतर ही दरार पड़ गई है।
जनता की प्रतिक्रिया कैसी रही है?
जनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। कुछ लोग इसे कविता के साथ अन्याय मानते हैं, जबकि अन्य इसे परिवार में सत्ता संघर्ष और राजनीति का स्वाभाविक हिस्सा मानते हैं।
मीडिया ने इस मुद्दे को किस तरह पेश किया?
मीडिया ने इस पूरे विवाद को बड़े पैमाने पर कवर किया। टीवी डिबेट्स और सोशल मीडिया पर कविता का इस्तीफा और परिवार को लेकर उनका बयान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा।