आगरा शहर में बीते हफ़्ते एक चौंकाने वाला नज़ारा दिखा। 500 के नोट की गड्डियां लेकर कुछ किन्नर अचानक एक लोकल बाज़ार में खरीदारी करते नज़र आए। स्थानीय दुकानदारों को हैरानी तब हुई जब उन्होंने देखा कि नोटों की गड्डियां बिल्कुल नई थीं, जैसे सीधी बैंक से निकली हों। इतनी बड़ी नकदी आम तौर पर किसी शादी या व्यापारिक सौदे में ही दिखती है, मगर यहां बात कुछ और निकली। ख़बर फैलते ही सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कयास लगने लगे—क्या यह किसी गिरोह का पैसा है, क्या नोट बदलने का रैकेट चल रहा है, या फिर कोई राजनीतिक चंदा?
पुलिस तक पहुँची सूचना, तुरंत हुई पूछताछ
दुकानदारों ने एहतियात बरतते हुए पुलिस कंट्रोल रूम पर कॉल कर दिया। थोड़ी ही देर में हरिपर्वत थाने की टीम मौके पर पहुँची और किन्नरों को शांति से थाने चलने को कहा। पुलिस का कहना है कि शुरुआती जाँच औपचारिक थी, क्योंकि इतने बड़े मूल्य की नकदी की कानूनी पुष्टि ज़रूरी होती है। किन्नरों ने पहले तो झिझक दिखाई, लेकिन बाद में थाने जाकर अपनी बात रखी।
किन्नरों का दावा—“हमने गिफ्ट में पाए ये 500 के नोट”
थाने में किन्नर समाज की प्रतिनिधि राधा गुरु ने बताया कि यह पैसा आगरा-फिरोज़ाबाद बॉर्डर पर बसे एक बड़े उद्योगपति परिवार ने दिया है। उनके घर में बेटे का जन्म हुआ था और परंपरा के अनुसार किन्नर गुरु मंडली को नेग मिला। राधा गुरु के मुताबिक, परिवार ने सम्मानस्वरूप 25 लाख रुपए नकद भेंट किए, जिनमें ज़्यादातर 500 के नोट थे। किन्नरों के अनुसार, इस समुदाय के लिए ऐसी नेग कोई अनोखी बात नहीं है—कई बार बड़े आयोजनों में उन्हें दस-दस लाख तक दिए जाते हैं।
क्या नेग में इतने रुपए देना कानूनी है?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय क़ानून नकदी लेन-देन पर ऊपरी सीमा तय नहीं करता, बशर्ते पैसा वैध तरीके से कमाया और टैक्स-पेड हो। हालांकि आयकर विभाग को 2 लाख रुपए से ज्यादा नकद देने या लेने पर पैन की जानकारी देनी होती है। यदि उद्योगपति परिवार ने यह औपचारिकता पूरी की है, तो लेन-देन में तकनीकी तौर पर कोई उल्लंघन नहीं।
आयकर विभाग की नजर क्यों ज़रूरी है?
पिछले कुछ सालों में आयकर विभाग ने किन्नर समाज को लेकर विशेष गाइडलाइंस जारी की हैं, क्योंकि नकद नेग को लेकर अक्सर विवाद होते हैं। यदि नकद राशि 50,000 रुपए से ऊपर है, तो जमा या खर्च के समय पैन नंबर देना अनिवार्य है। समुदाय के बड़े गुरु अक्सर निजी खातों से लेन-देन करते हैं, लेकिन रिकॉर्ड रखना मुश्किल होता है। इसी वजह से विभाग शक होने पर स्रोत की जांच करता है।
आगरा पुलिस की कार्रवाई—जुमला या वाकई सख़्ती?
थाना स्तर की पूछताछ के बाद पुलिस ने कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं किया। वजीरगंज सर्किल के सीओ का कहना है कि शुरुआती जांच में नोट असली पाए गए। किन्नरों ने उद्योगपति परिवार का नाम-पता लिखित में दिया, इसलिए आगे की जांच आयकर विभाग पर छोड़ी गई है। पुलिस ने मीडिया से बातचीत में माना कि सोशल मीडिया से फैल रही अफ़वाहों को शांत करना भी उनका मकसद था।
सोशल मीडिया पर अफ़वाहों की आंधी—ब्लैक मनी से लेकर चुनावी फंड तक
फेसबुक-व्हाट्सऐप पर इस घटना के वीडियो वायरल होते ही कई लोगों ने इसे ब्लैक मनी से जोड़ दिया। कुछ यूज़र्स ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में गुप्त फंडिंग के लिए यह पैसा निकाला गया है। हालाँकि किसी भी सरकारी एजेंसी ने अब तक ऐसी थ्योरी की पुष्टि नहीं की।
किन्नर समाज की आर्थिक हकीकत और यही चर्चा क्यों जरूरी?
भारत में किन्नरों की आय का बड़ा हिस्सा दक्षिणा और नेग पर निर्भर रहता है। शहरों में नए-नए अपार्टमेंट कल्चर और कैशलेस भुगतान से उनकी पारंपरिक कमाई प्रभावित हुई है। ऐसे में जब कभी एक साथ मोटी नकदी दिखती है, तो समाज और प्रशासन दोनों की नज़र जाती है। कानूनी पकड़ बनाना भी मुश्किल है, क्योंकि लेन-देन अक्सर गैर-लिखित समझौतों पर टिका होता है।
आगे क्या क्या किन्नरों को भी तय करना होगा कर-रिकॉर्ड?
आयकर सलाहकारों का सुझाव है कि किन्नर गुरु अब बैंक ट्रांसफर या चेक को प्राथमिकता दें। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर वे खुद साबित कर सकेंगे कि पैसा वैध नेग से आया है। उद्योगपति परिवारों के लिए भी सलाह यही है कि 2 लाख रुपए से ऊपर की नकदी देने से पहले पैन और रसीद की प्रक्रिया पूरा करें।
नोट की गड्डियों पर वायरल वीडियो का असर
स्थानीय व्यापार मंडल ने चिंता जताई कि इस तरह की वायरल खबरें बाज़ार में दहशत फैलाती हैं। लोग नकद लेने-देने से कतराते हैं और नकली नोट की आशंका बढ़ती है। बैंक अधिकारी भी मानते हैं कि असली या नकली पहचानने के लिए नोट सत्यापन मशीन लगाना अब ज़रूरी हो गया है।
चौकस रहिए, अफ़वाहों से बचिए
आगरा की यह घटना हमें याद दिलाती है कि सोशल मीडिया में उड़ती खबरें अक्सर आधी-अधूरी होती हैं। बिना पुष्ट जानकारी किसी नतीजे पर पहुँचना सही नहीं। यदि आपको कहीं असामान्य नकदी दिखे, तो पुलिस या बैंक को सूचित करें।