Naagapur Visphot: RDX यूनिट में देर रात बड़ा धमाका, एक मजदूर की मौत और कई घायल; सुरक्षा मानकों पर फिर सवाल

देर रात अचानक जोरदार धमाका, फैक्ट्री परिसर में अफरा-तफरी; कर्मचारियों को निकालकर घायलों को अस्पताल भेजा गया, कई की हालत गंभीर बताई गई और क्षेत्र को एहतियातन सील किया गया प्रारंभिक सूचना में एक मजदूर की मौत की पुष्टि, कई घायल; डॉक्टर्स ने सिर और छाती में चोट वाले मरीजों की निगरानी बढ़ाई और आईसीयू में विशेष देखरेख शुरू हुई

Naagapur Visphot: RDX यूनिट में देर रात बड़ा धमाका, एक मजदूर की मौत और कई घायल; सुरक्षा मानकों पर फिर सवाल

महाराष्ट्र के औद्योगिक इलाके में देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ। जानकारी के अनुसार नागपुर स्थित एक RDX बनाने वाली यूनिट में अचानक जोरदार धमाका हो गया। हादसे में एक मजदूर की मौत हुई, जबकि कई लोग घायल हुए। रात के समय यूनिट में काम चल रहा था और धमाके के तुरंत बाद अफरा-तफरी मच गई। राहत और बचाव दल ने मौके पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया और परिसर को खाली कराया।

 

अचानक हुए विस्फोट से फैक्ट्री परिसर में मचा हड़कंप और कई हिस्सों में दिखा मलबा

धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के इलाकों तक कंपन महसूस हुआ। यूनिट के हिस्सों से उड़े मलबे के टुकड़े परिसर की दीवार से बाहर तक मिले। हादसे के बाद सुरक्षा अलार्म बजते ही कर्मचारियों को बाहर निकाला गया, जिससे बड़ा नुकसान टल गया। घायल कर्मियों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया जहां कई का उपचार जारी है।

 

एक मजदूर की मौत की पुष्टि और घायलों की संख्या बढ़ने की आशंका, कई की हालत नाज़ुक

प्रारंभिक सूचना के मुताबिक एक कर्मचारी की मौत की पुष्टि हुई है। कुछ घायलों को आईसीयू में रखा गया है और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सिर और छाती में चोट वाले मरीजों को विशेष निगरानी में रखा गया है। पुलिस और प्रशासन ने हादसा स्थल को सील कर तकनीकी जांच शुरू कर दी है।

 

यूनिट में संवेदनशील सामग्री का काम, छोटे से लापरवाही भरे पल से भी बड़ा खतरा

ऐसी यूनिटों में HMX, TNT और RDX जैसी संवेदनशील सामग्री के साथ काम होता है। मामूली स्पार्क, तापमान का उतार-चढ़ाव या सुरक्षा प्रोटोकॉल में चूक भी गंभीर हादसे का कारण बन सकती है। इसलिए SOPs, फायर-सेफ्टी और इमरजेंसी ड्रिल का पालन हर शिफ्ट में सख्ती से जरूरी होता है।

 

दो साल में कई हादसे और 20 से ज्यादा जानें जाने के दावे, व्यवस्था पर उठते सवाल

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कारखानों में बार-बार हादसों की खबरें आई हैं। स्थानीय लोगों और श्रमिक संगठनों का कहना है कि बार-बार होने वाली घटनाएं सुरक्षा संस्कृति पर प्रश्न खड़े करती हैं। यदि पहले के हादसों के बाद सुधारात्मक कदम पूरे नहीं हुए हैं, तो जवाबदेही तय करना जरूरी है।

 

कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की शुरुआती प्रतिक्रिया, जांच समिति और तकनीकी ऑडिट की तैयारी

हादसे के तुरंत बाद कंपनी प्रबंधन ने बयान जारी कर दुख व्यक्त किया और घायलों के इलाज की व्यवस्था करने की बात कही। प्रशासन ने प्राथमिक जांच में इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल फॉल्ट और मानवीय चूक की सभी संभावनाएं खुली रखी हैं। तकनीकी विशेषज्ञों की टीम यूनिट के क्रिटिकल सेक्शंस, CCTV और लॉगबुक की जांच करेगी।

 

औद्योगिक सुरक्षा मानकों की चेकलिस्ट: क्या हमेशा समय पर होती है अनुपालना और रिकॉर्डिंग

ऐसे प्लांट्स में ATEX/हैज़र्ड क्लास मानक, इग्निशन कंट्रोल, तापमान मॉनिटरिंग, धूल/वाष्प प्रबंधन, ESD नियंत्रण और फायर सप्रेशन सिस्टम अनिवार्य होते हैं। साथ ही, शिफ्ट-वार सुरक्षा ब्रीफिंग, PPE उपयोग, इमरजेंसी एग्ज़िट ड्रिल और मॉक-फायर अभ्यास नियमित होने चाहिए। दस्तावेजी रिकॉर्ड, मेंटेनेंस लॉग और थर्ड-पार्टी ऑडिट का समय पर होना बेहद जरूरी है।

 

पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजा और बीमा दावों की प्रक्रिया, मजदूरों की सुरक्षित वापसी पर जोर

प्रशासन और कंपनी मुआवजा देने की बात कह रहे हैं। बीमा दावों के लिए अस्पताल और पुलिस से जारी प्रमाणपत्र, कर्मचारी आईडी और शिफ्ट ड्यूटी रिकॉर्ड जरूरी होते हैं। यूनिट के फिर शुरू होने से पहले सेफ्टी ऑडिट, जोखिम आकलन और कर्मियों की फिर से ट्रेनिंग पर जोर देना होगा।

 

स्थानीय समुदाय पर असर और पड़ोस के इलाकों में डर का माहौल, भरोसा बहाल करने की चुनौती

धमाके के बाद आसपास के इलाकों में भय और अनिश्चितता का माहौल है। रात में दिखे धुएं और मलबे ने लोगों को डरा दिया। प्रशासन को पारदर्शी जानकारी, पर्यावरण जांच और स्पष्ट समयरेखा के साथ भरोसा बहाल करना होगा।

 

कानूनी पहलू: फैक्ट्री एक्ट, पर्यावरण नियम और विस्फोटक कानून के तहत जिम्मेदारियां

जांच में लापरवाही या नियमों के उल्लंघन का संकेत मिला तो कंपनी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। साथ ही, नियामक एजेंसियां लाइसेंस शर्तों, स्टोरेज कैपेसिटी और हैंडलिंग प्रक्रियाओं की बारीकी से जांच करेंगी। भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए दंड और सुधार दोनों जरूरी हैं।

नागपुर में विस्फोट कहाँ हुआ और किस यूनिट में बताया गया?
नागपुर के औद्योगिक क्षेत्र में एक RDX यूनिट में देर रात बड़ा धमाका हुआ, जिसके बाद परिसर सील कर तकनीकी जांच शुरू की गई।
इस हादसे में कितनी जनहानि हुई बताई गई है?
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार एक मजदूर की मौत हुई और कई कर्मचारी घायल हैं; कुछ घायलों का उपचार आईसीयू में चल रहा है।
धमाका किस समय हुआ और कितनी तेज़ था?
रात करीब साढ़े बारह से एक बजे के आसपास तेज धमाका हुआ, जिसकी आवाज़ दूर तक सुनाई दी और मलबा फैक्ट्री सीमा से बाहर तक मिला।
फैक्ट्री में किन-किन संवेदनशील पदार्थों के साथ काम होता है?
ऐसी यूनिटों में RDX, HMX और TNT जैसी उच्च-ऊर्जा सामग्री के साथ काम होता है, जिनके लिए कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल जरूरी होते हैं।
दुर्घटना के तुरंत बाद क्या कदम उठाए गए?
अलार्म बजते ही निकासी कराई गई, घायलों को अस्पताल भेजा गया, परिसर को खाली कराया गया और पुलिस-प्रशासन ने स्थल को सील किया।
क्या पिछले वर्षों में भी ऐसे हादसे दर्ज हुए हैं?
रिपोर्टों में बीते दो वर्षों में कई हादसों का जिक्र मिलता है, जिनमें 20 से अधिक जानें जाने के दावे सामने आए, जिससे सुरक्षा संस्कृति पर प्रश्न उठे।
. कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की प्रारंभिक प्रतिक्रिया क्या रही?
प्रबंधन ने दुख जताते हुए इलाज की जिम्मेदारी और जांच का आश्वासन दिया; प्रशासन ने तकनीकी टीम बनाकर CCTV, लॉगबुक और क्रिटिकल सेक्शंस की जांच शुरू की।
औद्योगिक सुरक्षा के कौन से मानक यहाँ अहम माने जाते हैं?
SOP अनुपालन, तापमान मॉनिटरिंग, ESD नियंत्रण, धूल/वाष्प प्रबंधन, फायर सप्रेशन, PPE, शिफ्ट-वार ब्रीफिंग, मॉक-ड्रिल और थर्ड-पार्टी ऑडिट।
पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजा और बीमा प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी?
अस्पताल और पुलिस दस्तावेज़, कर्मचारी आईडी, शिफ्ट रिकॉर्ड के साथ निर्धारित समयसीमा में दावा दाखिल करना होगा; संस्थान समन्वय में मदद कर सकता है
आगे किस प्रकार के सुधार अपेक्षित हैं ताकि ऐसी घटनाएँ न दोहराईं जाएँ?
समग्र सुरक्षा ऑडिट, सिस्टम-फेल्योर की जड़ पहचान, SOP अपडेट, कर्मियों की री-ट्रेनिंग, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और पारदर्शी अनुपालन रिपोर्टिंग अनिवार्य की जानी चाहिए।