क्या अमेरिका में OPT बैन होगा? लाखों भारतीय छात्रों पर मंडराया संकट
अमेरिका में हाल ही में H.R. 2315 नाम का बिल पेश किया गया है। इस बिल में सुझाव दिया गया है कि OPT (Optional Practical Training) प्रोग्राम को खत्म कर दिया जाए। अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे बड़ा असर भारतीय छात्रों पर पड़ेगा, क्योंकि हर साल हज़ारों स्टूडेंट्स वहां पढ़ाई के बाद OPT के जरिए नौकरी पाते हैं।
क्या है OPT (Optional Practical Training)?
OPT एक प्रोग्राम है जिसे USCIS (यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस) चलाती है। इसके तहत विदेशी छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में 1 से 3 साल तक काम कर सकते हैं। इंजीनियरिंग, आईटी और मैनेजमेंट के छात्रों को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलता है।OPT के जरिए स्टूडेंट्स अनुभव और कमाई दोनों हासिल करते हैं।
क्यों पेश हुआ यह बिल?
अमेरिकी सांसदों का तर्क है कि OPT की वजह से स्थानीय छात्रों की नौकरियां विदेशी छात्र छीन रहे हैं। इसलिए OPT को खत्म कर केवल अमेरिकी युवाओं को ही नौकरी के मौके दिए जाने चाहिए।
क्या OPT पर सच में बैन लगेगा?
फिलहाल यह सिर्फ बिल के रूप में पेश किया गया है, अभी पास नहीं हुआ है। OPT को पूरी तरह खत्म करना आसान नहीं होगा, क्योंकि:अमेरिका की यूनिवर्सिटीज विदेशी छात्रों की फीस से काफी हद तक चलती हैं।गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियां OPT छात्रों को नौकरी देती हैं।अगर OPT बंद हुआ तो विदेशी छात्रों का अमेरिका आने का रुझान घट सकता है।
भारतीय छात्रों पर असर
भारत से हर साल लाखों छात्र अमेरिका पढ़ने जाते हैं। इनमें से अधिकतर की नौकरी OPT पर निर्भर होती है। अगर यह प्रोग्राम खत्म हुआ तो—पढ़ाई पूरी होते ही उन्हें भारत लौटना पड़ सकता है।अमेरिका की यूनिवर्सिटीज को विदेशी छात्रों से मिलने वाली फीस कम हो जाएगी।अमेरिकी कंपनियों को टैलेंट की कमी हो सकती है।भारतीय छात्रों का अमेरिका जाने का रुझान घट सकता है।
SPT क्या है और इसका OPT से क्या संबंध है?
SPT (Substantial Presence Test) टैक्स से जुड़ा नियम है, जिससे यह तय होता है कि कोई विदेशी व्यक्ति अमेरिका में टैक्स पेयर है या नहीं।
F-1 और J-1 छात्रों पर शुरुआती 5 साल तक SPT लागू नहीं होता।ध्यान रहे, SPT का OPT से कोई सीधा संबंध नहीं है।
अगर OPT जारी रहता है तो फायदे
विदेशी छात्र पढ़ाई के बाद 1–3 साल नौकरी कर सकेंगे।अमेरिकी कंपनियों को टैलेंट मिलेगा।यूनिवर्सिटीज को विदेशी छात्रों से फीस और फंडिंग मिलती रहेगी।भारतीय छात्रों की संख्या अमेरिका में बनी रहेगी।