दुनिया की राजनीति इन दिनों बहुत तेजी से बदल रही है। कभी एक-दूसरे से दूर रहने वाले नेता अब हाथ मिलाते नजर आ रहे हैं। खासकर पुतिन, किम जोंग और जिनपिंग की मुलाकातें चर्चा का सबसे बड़ा कारण बनी हुई हैं। सवाल यह है कि आखिर यह तीनों अमेरिका के विरोधी देश अचानक क्यों इतनी नजदीक आ रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की दिलचस्प कहानी को समझना जरूरी है।
यूक्रेन युद्ध के बाद क्यों अमेरिका और रूस के बीच खाई और गहरी हो गई
रूस और अमेरिका के रिश्ते लंबे समय से तनाव में रहे हैं। लेकिन जब से यूक्रेन पर युद्ध शुरू हुआ, यह रिश्ता और बिगड़ गया है। अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इसी वजह से पुतिन अब नए सहयोगियों की तलाश में हैं। उनके लिए चीन और उत्तर कोरिया जैसे देश बड़ी उम्मीद बने हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों में रूस, चीन और उत्तर कोरिया के बीच मुलाकातों में तेजी आई है।
किम जोंग की मुश्किलें और क्यों वह पुतिन और जिनपिंग का हाथ पकड़ते नजर आते हैं
उत्तर कोरिया पहले से ही अमेरिका का विरोधी माना जाता है। वहां की अर्थव्यवस्था बुरी हालत में है। जनता गरीबी और पाबंदियों से जूझ रही है। यही वजह है कि किम जोंग अलग-थलग पड़कर अपनी ताकत नहीं दिखा सकते। रूस और चीन उनके लिए ढाल का काम कर रहे हैं। किम जोंग इन दोनों देशों की मदद से अमेरिका का सामना करना चाहते हैं। हाल ही में उनकी रूस यात्रा और जिनपिंग से मुलाकात इस रणनीति का हिस्सा है।
जिनपिंग की बड़ी योजना और क्यों चीन चाहता है अमेरिका को हर मोर्चे पर चुनौती देना
चीन और अमेरिका के बीच टकराव नया नहीं है। ताइवान का मसला, दक्षिण चीन सागर और व्यापार युद्ध ने दोनों देशों के रिश्तों को कड़वा बना दिया है। ऐसे हालात में जिनपिंग को समझ आ चुका है कि अकेले अमेरिका का सामना करना आसान नहीं होगा। यही वजह है कि वह पुतिन और किम जोंग के साथ खुलकर सामने आ रहे हैं। चीन के इस कदम को एशिया में अमेरिकी प्रभाव खत्म करने की बड़ी योजना माना जा रहा है।
ट्रंप के भेदिया की रहस्यमयी खबर और कैसे इसने चीन अमेरिका रिश्तों में नया तूफान खड़ा किया
अमेरिका की राजनीति में इन दिनों एक और बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ा एक शख्स अचानक चीन में दिखाई दे रहा है। अमेरिकी मीडिया इसे 'ट्रंप का भेदिया' कह रही है। बताया जा रहा है कि उसने कई अहम दस्तावेज और जानकारी चीन तक पहुंचाई हो सकती है। इससे वॉशिंगटन में खलबली मच गई है। वहीं चीन इस घटना का इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कर रहा है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा।
रूस, चीन और उत्तर कोरिया का नया गठजोड़ क्यों बन रहा है अमेरिका के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द
अगर यह तीनों देश आपस में बने रहते हैं तो अमेरिका के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती होगी। रूस की सैन्य ताकत, चीन की आर्थिक हैसियत और किम जोंग के मिसाइल परीक्षण मिलकर एक बड़ा मोर्चा तैयार कर सकते हैं। अमेरिका की अब तक की नीति रही है कि वह अपने विरोधियों को अलग-अलग कमजोर करे। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। यह गठजोड़ अमेरिका को हर मोर्चे पर दबाने की कोशिश कर सकता है।
विश्लेषकों की राय और क्यों दुनिया अब एक नए दौर की ओर बढ़ रही है
राजनीति समझने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ सामान्य मुलाकातें नहीं हैं। इसके पीछे एक साझा रणनीति छिपी है। तीनों देश यह जानते हैं कि अकेले-अकेले अमेरिका से लड़ना कठिन है। लेकिन अगर यह साथ आ जाएँ, तो अमेरिका को हर जगह मुश्किल होगी। इस गठजोड़ से यूरोप, एशिया और मध्यपूर्व तक असर पड़ सकता है। ऊर्जा बाजार से लेकर सुरक्षा मसलों तक हर जगह हालात बदलेंगे।
भारत और बाकी दुनिया के लिए इस गठजोड़ का क्या मतलब हो सकता है
भारत जैसे देशों के लिए भी यह स्थिति चिंता का विषय है। रूस और चीन, दोनों के साथ भारत के रिश्ते हैं, लेकिन उनका अमेरिका से भी मजबूत संपर्क है। अगर अमेरिका और यह तीनों देश मुकाबले पर आ गए तो भारत जैसे देशों को संतुलन बनाना मुश्किल हो जाएगा। वैश्विक व्यापार पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।