लद्दाख में जारी तनाव के बीच एक बड़ी खबर आई है। प्रसिद्ध शिक्षाविद और समाजसेवी सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने अपने पति की रिहाई के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत का सहारा लिया है। दो अक्तूबर को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दाखिल की है जिसमें अपने पति की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई याचिका
गीतांजलि अंगमो ने अपनी याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की है। यह अनुच्छेद नागरिकों को मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का हक देता है। इस अनुच्छेद को संविधान का दिल भी कहा जाता है। अंगमो का कहना है कि उनके पति की गिरफ्तारी संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
पिछले कई दिनों से लद्दाख में स्थिति काफी गंभीर है। स्थानीय लोगों की मांगों को लेकर जो आंदोलन चल रहा था उसमें सोनम वांगचुक भी शामिल थे। उन्हें इसी आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
NSA कानून पर सवालिया निशान
याचिका में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गीतांजलि अंगमो ने NSA कानून के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA एक बहुत ही सख्त कानून है। इसके तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए महीनों तक जेल में रखा जा सकता है। अंगमो का कहना है कि उनके पति के मामले में इस कानून का गलत इस्तेमाल हुआ है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार NSA का इस्तेमाल केवल उन्हीं मामलों में होना चाहिए जहां राष्ट्रीय सुरक्षा को सच में खतरा हो। लेकिन हाल के वर्षों में इस कानून का इस्तेमाल कई बार विवादों में रहा है।
सोनम वांगचुक कौन हैं
सोनम वांगचुक लद्दाख के एक प्रसिद्ध शिक्षाविद और इंजीनियर हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण काम किए हैं। उनका नाम बॉलीवुड फिल्म "3 इडियट्स" के किरदार से भी जुड़ता है। असल में इस फिल्म का मुख्य किरदार उनकी जीवन से प्रेरित था।
वांगचुक ने SECMOL (Students Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना की थी। इस संस्था के जरिए उन्होंने लद्दाख के बच्चों की शिक्षा में सुधार के लिए काम किया है। वे पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जाने जाते हैं।
लद्दाख की मांगें क्या हैं
लद्दाख के लोगों की कई मुख्य मांगें हैं। सबसे पहले वे चाहते हैं कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। इससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और संसाधनों पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा। दूसरी मांग राज्य का दर्जा देने की है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उनकी आवाज दिल्ली तक नहीं पहुंच रही है। उनकी समस्याओं का समाधान धीमी गति से हो रहा है। इसके अलावा नौकरियों में स्थानीय लोगों को वरीयता देने की भी मांग है।
आंदोलन की वजह
पिछले कुछ महीनों से लद्दाख में आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन की शुरुआत स्थानीय लोगों की चिंताओं से हुई थी। उनका कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उनकी संस्कृति और पर्यावरण को खतरा हो रहा है।
लद्दाख की भौगोलिक स्थिति बहुत ही संवेदनशील है। यहां की जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र बहुत नाजुक है। स्थानीय लोगों का डर है कि बाहरी लोगों के आने से उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें
गीतांजलि अंगमो की सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले को गंभीरता से देखेगा। उनका कहना है कि उनके पति एक शांतिप्रिय व्यक्ति हैं जिन्होंने हमेशा अहिंसक तरीकों से अपनी बात कही है। उन पर NSA लगाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि यह मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे यह पता चलेगा कि NSA जैसे सख्त कानूनों का इस्तेमाल कैसे और कब किया जाना चाहिए। अगर अदालत सोनम वांगचुक के पक्ष में फैसला देती है तो यह भविष्य के मामलों के लिए एक मिसाल बनेगा।
समाज की प्रतिक्रिया
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद समाज के विभिन्न तबकों से प्रतिक्रियाएं आई हैं। शिक्षाविदों, पर्यावरणविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपना समर्थन जताया है। हैशटैग के जरिए लोग उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। यह दिखाता है कि सोनम वांगचुक का समाज में कितना सम्मान है।