Premanand Ji Maharaj: वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन को उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

वृंदावन की गलियों में संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा ने श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। लाखों भक्तों की भीड़ ने राधे-राधे के जयकारों से वातावरण को भक्ति से सराबोर कर दिया। दो किलोमीटर लंबी कतारों में लोग संत के दर्शन के लिए उत्साहित नजर आए। प्रशासन और स्वयंसेवक पूरी तरह मुस्तैद रहे। इस दिव्य आयोजन ने एक बार फिर वृंदावन की भक्ति परंपरा को जीवंत कर दिया और आस्था की नई मिसाल कायम की।

Premanand Ji Maharaj: वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन को उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    वृंदावन की गलियों में आज आस्था का ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने हर किसी को भावविभोर कर दिया। प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा में श्रद्धा का अनोखा समुंदर उमड़ पड़ा। सुबह से ही भक्तों का कारवां संत के दर्शन के लिए सड़कों पर उतर आया। कोई हाथ जोड़कर भाव भरा प्रणाम कर रहा था, तो कोई दूर से ही श्रद्धा से निहाल हो रहा था।

     

    वृंदावन की गलियों में भक्ति का वातावरण

    जिसे भी खबर मिली कि संत प्रेमानंद महाराज पदयात्रा पर निकलने वाले हैं, वह सब काम छोड़कर रास्तों पर पहुंच गया। चौराहों से लेकर मंदिरों की छतों तक लोगों का हुजूम दिखाई दे रहा था। सड़क के दोनों किनारों पर जयकारों की आवाज गूंज रही थी। दूर-दूर से आए भक्तों ने संत के दर्शन के लिए घंटों इंतजार किया, पर किसी ने थकावट की शिकायत नहीं की।

     

    दो किलोमीटर तक लगी भक्तों की कतार

    सड़क किनारे, गलियों में और मंदिरों के सामने करीब दो किलोमीटर लंबी कतारें लगीं। भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि स्थानीय प्रशासन को भीड़ नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध करने पड़े। भक्तों की संख्या लगभग डेढ़ लाख के पार पहुंच गई। हर व्यक्ति के चेहरे पर बस एक ही बात थी — संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन हो जाएं तो जीवन सार्थक हो जाएगा।

     

    छतों पर चढ़कर किए दर्शन

    भीड़ इतनी अधिक थी कि कई श्रद्धालु घरों की छतों पर चढ़ गए ताकि दूर से ही संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन कर सकें। कई स्थानों पर बच्चों को कंधे पर उठाकर लोग दर्शन करा रहे थे। बुजुर्ग महिलाएं भीड़ में आगे बढ़ने की ताकत न होते हुए भी हाथ जोड़कर ‘राधे राधे’ का जप करती रहीं। यह दृश्य किसी धार्मिक उत्सव से कम नहीं था।

     

    हर तरफ गूंजे राधे-राधे के स्वर

    वृंदावन की हवा में उस दिन सिर्फ एक ही शब्द गूंज रहा था — ‘राधे राधे’। संत प्रेमानंद महाराज जैसे ही आगे बढ़ते, लोग फूल बरसाने लगते। सड़कें फूलों की परतों से ढक गईं। बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी एक सुर में नाम जपने लगे। भक्तों के चेहरे पर दिव्यता झलक रही थी और आंखों में संत के प्रति अगाध प्रेम।

     

    भक्तों में दिखी अप्रतिम श्रद्धा

    संत प्रेमानंद के प्रति भक्ति का यह दृश्य देखकर हर कोई भावुक हो गया। पीढ़ियों से लोग उनके उपदेश सुनते आए हैं, जिनमें सादगी, भक्ति और सेवा का संदेश मिलता है। उनके प्रवचन भले ही सरल होते हैं, पर उनके शब्द सीधे दिल को छू जाते हैं। यही कारण है कि आज भी उनके प्रति लोगों का आकर्षण पहले जैसा ही मजबूत है।

     

    संत प्रेमानंद के प्रवचनों ने बदली हजारों की सोच

    संत प्रेमानंद महाराज केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा हैं जिसने अनगिनत लोगों के जीवन को नई दिशा दी है। उनके प्रवचन सुनने वाले कहते हैं कि वे सिर्फ धार्मिक बातें नहीं करते, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाते हैं। उनका कहना है कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें मन से अहंकार मिट जाए और मानवता का भाव जाग उठे।

     

    हर उम्र के लोगों में बराबर उत्साह

    पदयात्रा में सिर्फ बुजुर्ग या महिलाएं ही नहीं, बल्कि युवा और बच्चे भी जोश से भरे नजर आए। स्थान-स्थान पर सेवा शिविर लगाए गए, जहाँ भोजन, पानी और प्रसाद की व्यवस्था की गई। कई युवा स्वयंसेवकों ने भीड़ को व्यवस्थित रखने में सहयोग दिया। पूरे आयोजन में अनुशासन देखने लायक था।

     

    प्रशासन भी रहा पूरी तरह सतर्क

    इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने के बावजूद, प्रशासनिक व्यवस्था संतुलित रही। पुलिस और स्वयंसेवकों ने पूरे मार्ग पर सुरक्षा का ध्यान रखा। जगह-जगह चिकित्सकीय दल भी तैनात रहे। स्थानीय लोग प्रशासन के सहयोग के लिए धन्यवाद करते नजर आए।

     

    संत प्रेमानंद का सादा किंतु प्रभावशाली व्यक्तित्व

    संत प्रेमानंद का व्यक्तित्व अत्यंत शांत, विनम्र और सादा है। वे दिखावे से हमेशा दूर रहते हैं। उनके सत्संगों में न कोई ऊँच-नीच की बात होती है, न ही किसी प्रकार की दिखावटी बातें। वे हर व्यक्ति को यह सिखाते हैं कि भगवान तक पहुंचने का रास्ता भक्ति, विनम्रता और सेवा के भाव से होकर गुजरता है।

     

    वृंदावन में भक्ति की नई परंपरा

    संत प्रेमानंद की पदयात्रा अब वृंदावन की एक भक्ति परंपरा के रूप में स्थापित हो चुकी है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस दिव्य यात्रा का हिस्सा बनने आते हैं। भक्तों का कहना है कि संत की एक झलक ही जीवन में नई ऊर्जा भर देती है। यही कारण है कि यह आयोजन दिन-प्रतिदिन और भव्य होता जा रहा है।

     

    आस्था और अनुशासन का संगम

    यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि एक अनुशासित और शांतिपूर्ण आस्था का उत्सव भी था। लोग घंटों कतार में खड़े रहे, लेकिन किसी ने भी शिकायत नहीं की। उन्हें बस यही खुशी थी कि संत प्रेमानंद के दर्शन हो गए। उनके लिए यह पल जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बन गया।

     

    भक्तों की भावनाओं से भरी रही संध्या

    शाम होते-होते जब सूर्य अस्ताचल की ओर बढ़ा, तब भी भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ। लोग दीप जलाकर संत प्रेमानंद महाराज के चरणों में आभार व्यक्त कर रहे थे। माहौल भक्ति और प्रेम से पूरी तरह सराबोर था। लगता था मानो पूरा वृंदावन एक ही भावना में डूबा हुआ हो — संत के प्रति प्रेम और ईश्वर के प्रति समर्पण।

     

    संत प्रेमानंद के प्रति प्रेम का संदेश

    यह आयोजन केवल दर्शन का अवसर नहीं, बल्कि एक संदेश भी था — कि जब भक्ति सच्चे मन से की जाए, तो कोई भी रास्ता कठिन नहीं होता। संत प्रेमानंद महाराज ने लोगों को सिखाया है कि भक्ति का अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि जीवन में सच्चाई, करुणा और प्रेम को अपनाना है। यही कारण है कि हर साल उनके प्रति लोगों की आस्था और भी गहरी होती जा रही है।

    प्रेमानंद महाराज के दर्शन को भीड़ क्यों उमड़ी?

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