चंद्र ग्रहण 2025: आज 3 घंटे 29 मिनट का विशेष खगोलीय दृश्यभारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में चंद्र ग्रहण 2025 का खगोलीय नजारा देखने को मिलेगा। इस बार का ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि यह लगभग 3 घंटे 29 मिनट तक चलेगा। आज यानी 7 सितंबर 2025 को दोपहर 12:19 बजे से सूतक काल शुरू हो जाएगा और लोग धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खास सावधानियां बरतेंगे। खगोल विज्ञान के जानकार मानते हैं कि यह घटना वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद दिलचस्प है, जबकि आस्था से जुड़ा होने के कारण लोगों में इसका अलग ही महत्व है।
चंद्र ग्रहण 2025 का समय और अवधि
आज का चंद्र ग्रहण 2025 दोपहर के समय शुरू होगा और देर शाम तक चलेगा। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 29 मिनट की होगी। सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले यानी सुबह से ही लागू हो चुका है। दोपहर 12:19 बजे से इसका असर ज्यादा माना जाएगा और यह ग्रहण धीरे-धीरे अपनी पूर्ण अवस्था में पहुंचेगा। इसके बाद रात्रि तक इसका असर रहेगा। धार्मिक दृष्टि से यह समय बेहद संवेदनशील होता है, इसी कारण मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ रोक दी जाती है।
धार्मिक मान्यताओं में चंद्र ग्रहण का महत्व
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण 2025 केवल एक खगोलीय घटना नहीं बल्कि आस्था से जुड़ा हुआ क्षण भी है। मान्यता है कि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए लोग इस दौरान धार्मिक कार्यों से बचते हैं। ग्रहण काल में मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं और देवताओं को भोग नहीं लगाया जाता। यह भी कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान गंगा स्नान और मंत्र जप का विशेष फल मिलता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घरों की सफाई की जाती है और स्नान करके ही पूजा-पाठ किया जाता है।
सूतक काल के नियम और सावधानियां
ग्रहण से पहले शुरू होने वाले सूतक काल को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। चंद्र ग्रहण 2025 के सूतक काल में कई तरह के नियम बताए गए हैं। गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी बरतनी चाहिए और घर के बुजुर्ग भी खाने-पीने से परहेज करने की सलाह देते हैं। इस दौरान भोजन पकाना या खाना वर्जित माना जाता है। बच्चे और बुजुर्ग यदि दवा लेने वाले हों तो वह अपवाद स्वरूप ले सकते हैं। माना जाता है कि सूतक काल में ज्यादा समय ध्यान, मंत्र जप और धार्मिक ग्रंथ पढ़ने में लगाना चाहिए ताकि मन और आत्मा दोनों पवित्र बने रहें।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें
चंद्र ग्रहण 2025 के समय कई परंपराएं और नियम हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं। कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान भोजन और पानी पर तुलसी पत्ता रख देना चाहिए ताकि उसका दूषण न हो। गर्भवती महिलाओं को धारदार वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए। ग्रहण के समय भगवान का स्मरण, मंत्रों का जाप और ध्यान करना शुभ माना गया है। वहीं, ग्रहण खत्म होने के बाद घर की साफ-सफाई और स्नान करना आवश्यक माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी माना जाता है कि यह समय वातावरण में बदलाव लाता है, इसलिए लोग सतर्क रहते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण 2025
वैज्ञानिकों के अनुसार, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्र ग्रहण होता है। चंद्र ग्रहण 2025 पूरी तरह से खगोलीय घटना है जिसका सीधा संबंध सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति से है। खगोलविद मानते हैं कि यह समय अंतरिक्ष विज्ञान को समझने का एक शानदार मौका होता है। भारत के कई हिस्सों में इसे खुले आसमान में आसानी से देखा जा सकेगा। खगोल शास्त्री और विज्ञान प्रेमी लोग इस पल का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि इससे ब्रह्मांड की गहराइयों को जानने का अवसर मिलता है।
चंद्र ग्रहण का असर आम जीवन पर
चंद्र ग्रहण 2025 के समय लोग न केवल धार्मिक तौर-तरीकों का पालन करते हैं बल्कि अपने स्वास्थ्य और मानसिक शांति का भी ख्याल रखते हैं। मान्यता है कि ग्रहण काल का असर मन और शरीर दोनों पर होता है। कई लोग इस दौरान उपवास रखते हैं और ग्रहण समाप्ति के बाद ही भोजन करते हैं। घर की महिलाएं पहले से ही खाना पका लेती हैं ताकि ग्रहण के समय भोजन बनाने की जरूरत न पड़े। आधुनिक जीवन में भी लोग इस परंपरा का पालन करना जरूरी मानते हैं। यह केवल धार्मिक विश्वास नहीं बल्कि सामाजिक परंपरा भी बन चुकी है।
ग्रहण के बाद के उपाय और परंपराएं
ग्रहण खत्म होने के बाद कई परंपराएं निभाई जाती हैं। चंद्र ग्रहण 2025 के बाद लोग स्नान करके शुद्धि प्राप्त करते हैं और घर के कोनों की सफाई करते हैं। मंदिरों के कपाट खोल दिए जाते हैं और देवताओं को पुनः भोग लगाया जाता है। जिन लोगों ने उपवास रखा होता है, वे ग्रहण के बाद ही भोजन करते हैं। यह समय दान करने का भी विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि ग्रहण के बाद गरीबों को भोजन और कपड़े दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।