छठ पूजा 2025: आपके 10 सवाल और उनके सच्चे जवाब – आस्था, परंपरा और अनुभव का संगम
जब अक्टूबर की हवा ठंडी होने लगती है, तो लगता है कुछ खास आने वाला है। यही वह समय है जब Chhath Puja 2025 की गूंज हर गली में सुनाई देने लगती है। धूप, घाट, गाने, और वो खुशबू—सब कुछ हवा में घुल जाता है। लोग कहते हैं, छठ पूजा सिर्फ पूजा नहीं, एक अनुभूति है। और सच कहें, तो ये सही है। आज हम आपके सामने छठ से जुड़े 10 सवालों के असली जवाब रख रहे हैं।
छठ पूजा आखिर है क्या?
छठ पूजा, जिसे लोग लोक आस्था का पर्व कहते हैं। यह पूजा सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में ये त्योहार किसी त्याग से कम नहीं। Chhath Puja 2025 में लोग सूरज को धन्यवाद देते हैं—जीवन देने, रोशनी देने और उम्मीद बनाए रखने के लिए। बहुत सी बातें हैं, लेकिन असल में यह प्रकृति के प्रति आभार का जरिया है।
कब शुरू होती है यह पूजा और कब खत्म?
चार दिन चलता है यह पर्व। यह कोई छोटा सफर नहीं। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी की सुबह खत्म होता है। 2025 में यह यात्रा 25 अक्टूबर से शुरू होगी और 29 अक्टूबर की सुबह उषा अर्घ्य के साथ पूरी होगी। वो लम्हा, जब उगता सूरज जल पर चमकता है — मानो सृष्टि खुद नतमस्तक हो गई हो।
इतिहास पुराना है या नया?
बहुत पुराना। शायद हजारों साल पुराना। Chhath Puja 2025 महाभारत और रामायण से भी जुड़ी मानी जाती है। द्रौपदी ने सूर्य देव की पूजा की थी, और राजा प्रियव्रत ने छठी मइया से पुत्र प्राप्त किया था। कहानियाँ कई, पर भरोसा एक ही – श्रद्धा का फल जरूर मिलता है।
चार दिन में क्या-क्या होता है?
पहले दिन नहाय-खाय, पवित्र भोजन के साथ शुरुआत। दूसरे दिन खरना — पूरा दिन उपवास और शाम को खीर और रोटी का प्रसाद। तीसरे दिन डूबते सूरज को अर्घ्य। वह शाम कितनी सुंदर होती है! नदी किनारे दीपों की कतारें, लोगों के चेहरे चमकते हुए। और चौथा दिन—उषा अर्घ्य, जब सूरज की पहली किरण के साथ सब झुक जाते हैं। यही है Chhath Puja 2025 की आत्मा।
क्यों होती है सूरज की पूजा?
सूरज को जीवन का स्रोत माना गया है। जब वह उगता है, तो लगता है संसार मुस्कुरा रहा हो। Chhath Puja 2025 में सूरज की पूजा इसलिए की जाती है ताकि उसका प्रकाश सब पर बना रहे। जल में खड़े होकर अर्घ्य देना प्रतीक है कि हम प्रकृति की हर देन को संजो कर रखना चाहते हैं।
कौन हैं छठ मइया?
कहते हैं, वो सूर्य देव की बहन हैं। अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। लोग कहते हैं कि वो बहुत सख्त भी हैं, पर दयालु भी। अगर दिल साफ हो, तो वो हर मनोकामना पूरी करती हैं। Chhath Puja 2025 का असली आकर्षण ही यही है – विश्वास।
कितने नियम होते हैं इस व्रत में?
बहुत सारे, और कठिन भी। व्रती और घरवाले शुद्धता पर खास ध्यान रखते हैं। नमक तक नहीं खाते। कोई मसाला नहीं। बस सादगी। Chhath Puja 2025 में माहौल एकदम शांत और पवित्र दिखता है। लोग कहते हैं, यह तपस्या से कम नहीं।
गीतों और परंपरा की क्या भूमिका है?
अगर छठ पूजा में गीत न हों, तो लगता है कुछ अधूरा है। घाटों पर जब महिलाएं गाती हैं – “केलवा जे फरेला घुघुरी के डाल पर”, तो दिल पिघल जाता है। Chhath Puja 2025 में ये गीत सिर्फ पूजा नहीं सजाते, बल्कि लोगों के मन को जोड़ते हैं। वही गीत, वही धुन, पीढ़ी दर पीढ़ी।
क्या यह पर्व पर्यावरण से भी जुड़ा है?
हाँ, और गहराई से। इस त्योहार में मिट्टी के बर्तन, बांस की टोकरी और केले के पत्तों का इस्तेमाल होता है। कहीं कोई प्लास्टिक नहीं। कोई शोर नहीं। बस प्रकृति और मानव का संगम। यह पर्व साफ-सुथरी सोच का उदाहरण है। प्रकृति से प्यार करने का असली तरीका।
छठ पूजा समाज को क्या सिखाती है?
सबसे बड़ी बात – समानता। कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा नहीं। सब एक घाट पर खड़े होते हैं। यही दिखाता है कि Chhath Puja 2025 सिर्फ धर्म नहीं, इंसानियत का त्योहार है। यही वजह है कि यह हर साल दिलों में उतर जाता है।
अंत में...
कहते हैं ना — आस्था दिखती नहीं, महसूस होती है। Chhath Puja 2025 इसका सबसे सुंदर उदाहरण है। जब भोर की किरण पानी पर पड़ती है, तब लगता है जैसे दुनिया थोड़ी और शांत हो गई हो। यही छठ का जादू है। यही वजह है, लोग हर साल इसे उसी उत्साह से जीते हैं, जैसे पहली बार मनाया हो।












