छठ पूजा 2025: इस त्यौहार के बारे में 10 बातें जो आपको सच में जाननी चाहिए
जब सूरज की पहली किरण नदी के पानी पर गिरती है, और दूर घाटों पर लोकगीतों की गूंज सुनाई देती है — तब समझ लीजिए, छठ पूजा 2025 आ गया है। यह त्योहार किसी रंग-बिरंगे उत्सव जैसा नहीं, बल्कि एक भाव है, एक जीवंत आस्था। चार दिन, और चारों दिन सादगी, अनुशासन और भक्ति से भरे हुए। आइए जानते हैं वो 10 बातें जिनसे यह पर्व इतना खास बनता है।
1. छठ पूजा की असली आत्मा
छठ पूजा 2025 को लोग सिर्फ पूजा नहीं बल्कि जीवन की लय मानते हैं। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित होता है। पूरा माहौल साफ-सुथरा, पवित्र और शांत। जैसे किसी ने हवा में भी भक्ति घोल दी हो। यह आस्था की वह मिसाल है जो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। बस महसूस होती है।
2. चार दिन की तपस्या
यह कोई साधारण उत्सव नहीं। छठ पूजा 2025 का हर दिन अलग कहानी लेकर आता है। पहला दिन — नहाय-खाय, जब घर की सफाई और शुद्ध भोजन होता है। दूसरा दिन — खरना, जब व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रखती हैं। तीसरा दिन — संध्या अर्घ्य, डूबते सूरज को प्रणाम। चौथा दिन — उषा अर्घ्य, जब भोर की पहली किरण ही आशीर्वाद बनकर उतरती है।
3. छठ मइया की कथा
कहा जाता है सूर्य देव की बहन ही छठ मइया हैं। वह संतान की रक्षा करती हैं, और घरों में सुख लाती हैं। बुजुर्ग आज भी रात को घाट पर बैठकर उनकी कहानियां सुनाते हैं। छठ पूजा 2025 में यह परंपरा फिर दोहराई जाएगी — विश्वास और अनुभव दोनों एक साथ बहते हैं।
4. छठ पूजा सिर्फ बिहार का नहीं, भावना का त्योहार
भले यह पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़ा हो, मगर आज यह पूरे भारत में फैल चुका है। हर गली में, हर घाट पर भक्ति का वही नजारा होता है। छठ पूजा 2025 में मुंबई से लेकर दिल्ली तक के घाट सजेंगे। यह अब सिर्फ एक राज्य की पूजा नहीं, बल्कि पूरे भारत की आस्था बन गई है।
5. पर्यावरण से गहरा रिश्ता
इस पर्व में न कोई शोर, न तामझाम। मिट्टी के बर्तन, बांस की टोकरी, केले का डाला — सब पर्यावरण से जुड़ा हुआ। लोग साफ पानी, स्वच्छ घाट और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देते हैं। छठ पूजा 2025 की यही खूबी है कि यह पूजा नहीं, प्रकृति का उत्सव है।
6. सूर्य को धन्यवाद देने की परंपरा
छठ पूजा 2025 का सबसे सुंदर क्षण तब होता है जब जल में खड़ी महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं। चेहरे पर थकान होती है, पर आंखों में चमक। लोग कहते हैं, जब सूरज की किरण जल पर पड़ती है, तो हर मनोकामना दमक उठती है। ये नज़ारा देखने वाला भी खुद को पवित्र महसूस करने लगता है।
7. लोकगीतों की मिठास
कोई पर्व गीतों के बिना अधूरा नहीं, और छठ तो मानो सुरों में बसा है। घाटों पर हर साल वे ही मधुर आवाजें सुनाई देती हैं — “केलवा जे फरेला घुघुरी के डाल पर...”। छठ पूजा 2025 में भी यही धुनें गूंजेंगी। ये गीत सिर्फ शब्द नहीं, श्रद्धा की धड़कन हैं।
8. व्रत की कठिन साधना
छठ का व्रत हर किसी के बस की बात नहीं। पूरे चार दिन तक शुद्धता, सादगी और संयम जरूरी है। छठ पूजा 2025 की व्रतधारिणी महिलाएं कई बार बिना नींद, बिना भोजन के भी पूरी श्रद्धा से अपने संकल्प निभाती हैं। यही उनकी असली शक्ति है — शांत मगर अटूट।
9. समाज को जोड़ने वाला त्योहार
यह त्योहार किसी एक जाति या वर्ग का नहीं। अमीर-गरीब, सब एक-साथ घाट पर खड़े होते हैं। कोई ऊंच-नीच नहीं, बस सूरज की रोशनी में सब समान। छठ पूजा 2025 में यही एकता फिर दिखाई देगी। यह त्योहार सिखाता है कि भक्ति में भेद नहीं होता।
10. छठ पूजा 2025 क्यों खास
हर साल छठ मनाया जाता है, लेकिन हर बार कुछ नया महसूस होता है। इस बार छठ पूजा 2025 का उत्सव लोगों में और गहराई से रचा-बसा है। महामारी के बाद लोग फिर घाटों पर लौटेंगे, एक-दूसरे के साथ खड़े होंगे। शायद इस बार का छठ हमें फिर सिखा जाएगा — आस्था कभी थकती नहीं।
अंत में...
छठ पूजा 2025 सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि एक अनुभव है। यह हमें याद दिलाता है कि सादगी, संयम और प्रकृति का सम्मान ही सच्ची इंसानियत की पहचान है। जब उगते सूरज की सुनहरी किरण किसी व्रती की हथेली पर पड़ती है, तो लगता है जैसे ईश्वर खुद मुस्कुरा रहा हो। यही है छठ — एक पवित्र एहसास जो कभी पुराना नहीं पड़ता।












