आईएमडी की ताजा चेतावनी पर सबकी नज़रें भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने साफ शब्दों में कहा है कि अरब सागर से उठे गहरे डिप्रेशन का असर अब साफ तौर पर गुजरात और राजस्थान में दिखने वाला है। विभाग ने यह चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में इन दोनों राज्यों के कई हिस्सों में बेहद भारी बारिश देखने को मिल सकती है। इस बार हालात सामान्य से बिल्कुल अलग हैं क्योंकि बारिश का पैटर्न तेज हवा और लगातार बूंदाबांदी से बदलकर अब तेज बौछारों और कई जगहों पर जलभराव का कारण बन सकता है। मौसम विभाग की इस चेतावनी ने प्रशासन और लोगों दोनों को सतर्क कर दिया है। जहां अधिकारी आपदा प्रबंधन पर काम कर रहे हैं, वहीं आम जनता को घर से सावधानी से निकलने की सलाह दी जा रही है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह डिप्रेशन सामान्य मानसूनी दबाव से ज्यादा ताकतवर है और यही वजह है कि इसका असर लंबा और खतरनाक हो सकता है।
गुजरात के कई जिलों में बिगड़ सकता है हालात
गुजरात में इस समय वैसे भी कई इलाकों में मानसून सक्रिय है, लेकिन गहरा डिप्रेशन पूरे हालात को और कठिन बना सकता है। राजकोट, जामनगर, भावनगर और अहमदाबाद जैसे जिलों में अगले दो से तीन दिनों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है। राज्य के कुछ निचले इलाकों में पानी भरने की स्थिति पहले से बन चुकी है और अगर लगातार भारी बारिश हुई तो हालत और खराब हो सकते हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में खड़ी फसलें पहले ही पानी में डूबने लगी हैं जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर अगले 72 घंटे तक स्थिति इसी तरह रही तो राज्य की नदियाँ और तालाब भी तेजी से भर जाएंगे और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इस बार मौसम विभाग ने साफ किया है कि गुजरात में हालात लोगों को सतर्क करने योग्य हैं और प्रशासन को चाहिए कि पहले से ही व्यवस्थाएँ मजबूत की जाएँ।
राजस्थान में भी भारी बारिश की आशंका
गुजरात के बाद इसका असर अब राजस्थान की ओर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बारां और झालावाड़ जैसे जिलों में अगले कुछ दिनों में आसमान से पानी जमकर बरस सकता है। राजस्थान में मानसून का असर आमतौर पर उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश से आने वाली हवाओं से जुड़ा होता है, लेकिन इस बार अरब सागर की ओर से बना डिप्रेशन सीधे पश्चिमी राजस्थान में बारिश का कारण बन सकता है। इसका मतलब है कि रेगिस्तान और सूखे इलाकों में भी जमकर पानी बरस सकता है। हालांकि, भारी बारिश से एक तरफ तो सूखी जमीन को पानी मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ अचानक आई बाढ़ कई गांवों और कस्बों के लिए मुसीबत का कारण बन सकती है। पिछले कुछ सालों में राजस्थान में बाढ़ जैसी स्थिति कई बार बनी है और इस बार भी लोगों को पहले से ही तैयार रहना होगा।
तूफानी हवाओं के साथ आ सकती है दिक्कत
बारिश के साथ-साथ मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि कई जगहों पर तेज हवाएँ चल सकती हैं। यह हवाएँ 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक जा सकती हैं। इतनी तेज हवा कई बार पेड़ गिरा सकती है, बिजली के खंभे हिला सकती है और गाँव-कस्बों की छोटी झोपड़ियों को नुकसान पहुँचा सकती है। गुजरात और राजस्थान दोनों ही राज्यों में ग्रामीण इलाकों में लोग कच्चे घरों में रहते हैं और तेज हवाओं का असर सीधे इन घरों पर पड़ सकता है। किसानों के लिए भी यह चिंता की बात है क्योंकि तेज हवाओं और भारी बारिश से खड़ी फसलें बर्बाद हो सकती हैं। आईएमडी ने मछुआरों को भी साफ चेतावनी दी है कि वे किसी भी कीमत पर अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाएँ क्योंकि लहरें ऊँची होंगी और तूफानी हवाएँ समुद्री इलाके को और ज्यादा खतरनाक बना सकती हैं।
सरकार और प्रशासन की तैयारी
ऐसी स्थिति में सरकार और प्रशासन के ऊपर जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। गुजरात और राजस्थान दोनों जगहों पर राज्य के आपदा प्रबंधन दल को पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने को कहा गया है। निचले इलाकों के लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थलों पर भेजा जा रहा है। स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी दी जा सकती है ताकि बच्चे किसी भी मुसीबत से दूर रहें। शहरों में नगर निगम पहले से ही नालों की सफाई और पानी निकासी की व्यवस्था कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर लोगों को चेतावनी दी जा रही है कि वे घर से जितना कम बाहर निकलें। प्रशासन का कहना है कि बरसात की वजह से बिजली सप्लाई भी प्रभावित हो सकती है और इसलिए लोगों को जरूरी सामान पहले से ही घर में तैयार रखना चाहिए। जनता से अपील की गई है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और मौसम विभाग द्वारा दी गई आधिकारिक जानकारी पर ही भरोसा करें।
लोगों से सावधानी और सतर्कता बरतने की अपील
गहरा डिप्रेशन केवल मौसम का बदलाव नहीं है, बल्कि यह लोगों के लिए मुश्किलें भी ला सकता है। ऐसे में सबसे ज़रूरी है कि लोग खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखें। भारी बारिश के समय घर से निकलना टालें। अगर बहुत जरूरी हो तो साथ में रेनकोट और छाता रखें और कोशिश करें कि पानी से भरी सड़कों से होकर न गुजरें। जिन इलाकों में पानी भरने की संभावना ज्यादा है, वहाँ पहले से ही ऊँचे स्थानों पर शरण लें। जिन घरों में बिजली की वायरिंग नीचे से गुजरती है, वहाँ सावधानी रखें ताकि शॉर्ट सर्किट की समस्या न हो। बच्चे और बुज़ुर्ग बारिश में ज्यादा प्रभावित होते हैं, इसलिए घर के बड़े लोगों को चाहिए कि वे अपने परिवार को ज्यादा सतर्क रखें। यह सच है कि बारिश राहत भी देती है, लेकिन इस बार यह राहत खतरनाक भी साबित हो सकती है अगर हम लोग लापरवाही करेंगे।
आगे का मौसम और उम्मीदें
भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि फिलहाल डिप्रेशन से बनी यह स्थिति अगले पांच दिनों तक रह सकती है। धीरे-धीरे इसका असर कम होगा, लेकिन फिलहाल सावधानी ही सबसे बड़ा समाधान है। गुजरात और राजस्थान में लोगों को यह समझना होगा कि मौसम बदलने से सिर्फ बारिश नहीं आती, बल्कि इसके साथ कई खतरें भी जुड़े होते हैं। अगर सबने सतर्कता दिखाई तो इस स्थिति से आसानी से निपटा जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून सीज़न का यह चरण फसलों के लिए भी मिलाजुला असर लेकर आएगा। कहीं यह फायदेमंद होगा तो कहीं नुकसान भी कर सकता है। लेकिन सबसे जरूरी है लोगों की सुरक्षा और यही कारण है कि प्रशासन लगातार अपील कर रहा है कि आने वाले दिनों में हर कदम सोच-समझकर उठाएँ।