दिल्ली के व्यस्त इलाके पहाड़गंज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां 15 वर्षीय एक छात्र पर स्कूल के बाहर चाकू से हमला किया गया। बताया जा रहा है कि यह हमला पुराने विवाद और पिटाई का बदला लेने के लिए किया गया। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई और लोग दहशत में हैं कि आखिर बच्चों के बीच इतनी हिंसा क्यों बढ़ रही है। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए तीन नाबालिग लड़कों को इस आरोप में हिरासत में लिया है कि उन्होंने हमले की योजना बनाकर इस वारदात को अंजाम दिया। शुरुआती जांच में सामने आया है कि हमलावर छात्र ने पीड़ित को पहले स्कूल से निकलते समय रोका और फिर चाकू से वार कर दिया। आसपास मौजूद लोगों ने घायल छात्र को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि बच्चों के बीच बढ़ता आक्रामक रवैया किस हद तक खतरनाक हो सकता है। पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए गहन जांच की जा रही है।
लड़ाई-झगड़े से शुरू होकर हिंसा तक पहुंचने की वजहें
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि पीड़ित छात्र और आरोपियों के बीच पहले से झगड़ा चल रहा था। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले स्कूल में इन बच्चों का विवाद हुआ था, जिसमें आपस में हाथापाई भी हुई थी। उसी पिटाई का बदला लेने के लिए आरोपियों ने यह हमला किया। मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह याद किया जाए कि हमलावर खुद भी नाबालिग हैं। यानी वे समझदारी की उस उम्र में अभी नहीं पहुंचे जहां सही और गलत में फर्क करना आसान हो। लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि समाज और माहौल का असर बच्चों के व्यवहार पर गहरा पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि टीवी, इंटरनेट और मोबाइल गेम्स में बढ़ती हिंसा की छवियों का असर किशोरों पर सीधा पड़ रहा है। वे छोटी-छोटी बातों पर गुस्से में आकर हिंसक कदम उठाने लगते हैं। यह स्थिति परिवार और समाज दोनों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि किशोर उम्र में लिया गया गलत कदम उनकी पूरी जिंदगी बिगाड़ सकता है।
पुलिस की कार्रवाई और बढ़ती नाबालिग अपराध दर पर चिंता
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन नाबालिग लड़कों को हिरासत में लिया है और उन्हें किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश करने की तैयारी कर रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना के पीछे बदले की भावना साफ झलकती है और अभियुक्तों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। हाल के वर्षों में नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। चोरी, झगड़ा और हिंसा जैसे मसले अब आम हो गए हैं। अपराध पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों की सही परवरिश और मार्गदर्शन में कहीं न कहीं कमी रह जाती है, जिसके चलते वे ऐसे गलत रास्ते चुन लेते हैं। यह घटना केवल एक स्कूल विवाद तक सीमित नहीं है बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली और सामाजिक जागरूकता पर भी सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों आज के बच्चों में सहनशीलता और आपसी सम्मान घटता जा रहा है? पुलिस का कहना है कि वे समाज को संदेश देना चाहते हैं कि किसी भी तरह की हिंसा, चाहे वह नाबालिग से जुड़ी हो या किसी वयस्क से, बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
समाज और परिवार की भूमिका, बच्चों के भविष्य के लिए जरूरी सबक
एक 15 वर्षीय छात्र पर इस तरह हमला होना केवल कानूनी मामला नहीं है, बल्कि यह समाज और परिवार दोनों के लिए चेतावनी का संकेत भी है। जब बच्चे छोटी-सी हार या अपमान को सहन नहीं कर पाते और उसे हिंसक बदले में बदल देते हैं, तो यह सोचने की जरूरत है कि उनकी परवरिश में कहां कमी रह गई। परिवार का सबसे बड़ा दायित्व यही है कि वह बच्चों को नैतिक शिक्षा दे, उनमें सहिष्णुता और धैर्य की भावना पैदा करे। केवल पढ़ाई तक सीमित शिक्षा उनके व्यक्तित्व को पूरा नहीं बना सकती। उन्हें सिखाना होगा कि मतभेद होने पर समाधान बातचीत से भी हो सकता है, हिंसा कोई विकल्प नहीं है। पहाड़गंज** में हुई यह घटना बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए बड़ा सबक है। एक ओर पीड़ित छात्र और उसका परिवार दर्द और सदमे से गुजर रहा है, तो दूसरी ओर आरोपी नाबालिग अपने भविष्य को जेल जैसी परिस्थितियों से बिगाड़ चुके हैं। यह हर परिवार के लिए चेतावनी है कि अगर बच्चों के व्यवहार और संगति पर ध्यान नहीं दिया गया तो नतीजे बेहद गंभीर हो सकते हैं।