Dhanteras 2025: धनतेरस पर कब करें पूजा? जानें सही दिन, मुहूर्त और चार प्रमुख महत्व

Dhanteras 2025 का पर्व इस साल 18 अक्टूबर, शनिवार को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 17 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 18 अक्टूबर की रात 9:58 बजे समाप्त होगी। शाम 6:46 से रात 8:42 तक का समय पूजा और दीपदान के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इस दिन नई वस्तुएं और बर्तन खरीदना शुभ फल देने वाला होता है।

Dhanteras 2025: धनतेरस पर कब करें पूजा? जानें सही दिन, मुहूर्त और चार प्रमुख महत्व

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    धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदयशी तिथि को मनाते हैं. धनतेरस को प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. इस बार धनतेरस की त्रयोदशी ति​थि 18 अक्टूबर और 19 अक्टूबर दो दिन है. ऐसे में धनतेरस कब मनाया जाए? इस पर कन्फ्यूजन है. आइए जानते हैं कि धनतेरस कब मनाना सही है, 18 या 19 अक्टूबर को |

     

    धनतेरस 2025 कब है और किस दिन मनाई जाएगी

    पंचांग के अनुसार, साल 2025 में धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025, शनिवार* के दिन मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी, जो 17 अक्टूबर की रात 11:43 बजे शुरू होकर 18 अक्टूबर 2025 को रात 9:58 बजे समाप्त होगी। ऐसे में शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर को ही बन रहा है, इसलिए उसी दिन धनतेरस मनाई जाएगी।

     

    धनतेरस 2025 के शुभ मुहूर्त और पूजा का सही समय

    धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा शाम के समय की जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस साल धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर 2025, शाम 6:46 से रात 8:42 बजे तक रहेगा। इस समय दीपदान और खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है।

    इस दिन लोग अपने घर में धातु की वस्तुएं, सोना, चांदी, सिक्के, बर्तन और नए सामान की खरीदारी करते हैं ताकि आने वाले साल में समृद्धि और सौभाग्य बना रहे।

     

    लक्ष्मी और कुबेर पूजा की विधि

    धनतेरस की शाम को घर की सफाई अच्छे से करने के बाद मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है। पूजा स्थल पर लक्ष्मी माता और कुबेर देवता की मूर्ति रखकर फूल, चावल, दीपक, धूप और मिठाई से पूजा की जाती है। पूजा के बाद दीपक घर के हर कोने में जलाना शुभ माना जाता है।

    धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि देवता अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस वजह से यह दिन स्वास्थ्य से जुड़ी शुभता का भी प्रतीक है।

     

    धनतेरस पर क्या खरीदना होता है शुभ

    धनतेरस के दिन नई वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह विश्वास है कि इस दिन खरीदी गई चीज़ें पूरे साल घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।

    मुख्य रूप से लोग इस दिन सोना, चांदी, चम्मच-बर्तन, दीये, स्टील के आइटम, सिक्के और नया सामान खरीदते हैं। कई लोग इस दिन घर या वाहन खरीदने का भी शुभ योग मानते हैं। बाजारों में इस पर्व पर जबरदस्त रौनक रहती है।

     

    धनतेरस 2025 के चार प्रमुख महत्व

    धनतेरस का त्योहार केवल खरीदारी या पूजा का दिन नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं।

    पहला महत्व: इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसलिए यह स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना का दिन है।

    दूसरा महत्व: माता लक्ष्मी का स्वागत घरों में करने से पूरे वर्ष धन और सुख की वृद्धि होती है।

    तीसरा महत्व: इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस रात्रि को यमराज को दीप समर्पित करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

    चौथा महत्व: धनतेरस से दीपावली की शुरुआत होती है, जो आने वाले पांच दिनों के आनंद, रोशनी और उल्लास का संकेत माना जाता है।

     

    धनतेरस 2025 पर अपनाएं ये जरूरी सावधानियाँ

    धनतेरस के दिन पूजा से पहले घर की साफ-सफाई जरूर करें। दरवाज़े और पूजा स्थल पर जल का छिड़काव करें। बर्तन खरीदते समय ध्यान रखें कि कोई टूटा या खंडित सामान न लें, क्योंकि टूटी चीज़ें अशुभ मानी जाती हैं। धनतेरस पर नकारात्मक बातों या झगड़े से बचें, इस दिन शांत मन से पूजा करना शुभ फल लाता है।

    इस बार धनतेरस 18 अक्टूबर 2025, शनिवार को पड़ रही है। शुभ मुहूर्त शाम 6:46 से रात 8:42 बजे तक रहेगा। इस दिन लक्ष्मी-कुबेर की पूजा, दीपदान और खरीदारी का विशेष महत्व है। यह दिन स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य को बढ़ाने वाला पर्व है।

    धनतेरस 2025 का पर्व पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। दीपों की रोशनी और भक्ति की भावना के बीच जब घरों में देवी लक्ष्मी का स्वागत होगा, तब चारों ओर सिर्फ समृद्धि, शांति और खुशहाली की शुभ भावनाएँ बिखरेंगी।

    धनतेरस 2025 किस दिन मनाना उचित होगा?

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