Israel yarooshalem: गोलीबारी बस पर हमला, चार की मौत और कई घायल

यरुशलम में रविवार देर रात एक बस पर अंधाधुंध गोलीबारी हुई जिसमें चार लोगों की मौत और कई घायल हुए। हमले के बाद पूरे इलाके में दहशत और सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन।

Israel yarooshalem: गोलीबारी बस पर हमला, चार की मौत और कई घायल

हमले की दर्दनाक शुरुआत और बस में फैली अफरा-तफरी यरुशलम से बीती रात एक दिल दहला देने वाली खबर आई। शहर के पुराने हिस्से में जा रही एक बस अचानक गोलियों की आवाज से गूंज उठी। बस के यात्री अपने सफर में सामान्य बातचीत कर रहे थे कि अचानक दो हथियारबंद हमलावरों ने बस को निशाना बनाया। कुछ ही पलों में गोलियों की बौछार ने पूरे माहौल को खौफनाक बना दिया। चार यात्रियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बस की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं और सीटों पर खून के धब्बे छा गए। यह दृश्य ऐसा था जिसे देख कर वहां मौजूद कोई भी इंसान कांप उठा।

 

पुलिस और सुरक्षाबलों की त्वरित कार्रवाई

हमले की खबर मिलते ही इस्राइली पुलिस और सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया। आसपास की गलियों को सील कर दिया गया और बचाव दल घायलों को तुरंत अस्पताल ले गए। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह हमला अचानक नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर वहां से भागने में सफल रहे। सुरक्षाबलों ने रातभर इलाके में छापेमारी की और कई जगह तलाशी अभियान चलाया। इस घटना ने साफ कर दिया है कि शहर में सुरक्षा इंतजाम और कड़े करने की जरूरत है।

 

घायल यात्रियों की हालत और अस्पतालों का माहौल

घायल यात्रियों को तुरंत पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि कई की हालत बेहद नाजुक है और लगातार इलाज चल रहा है। अस्पतालों के बाहर उनके परिवारजन रोते-बिलखते नजर आए। इस हमले ने हर परिवार को दहला दिया, क्योंकि लोग अब यह सोचने को मजबूर हैं कि कल अगर वे किसी बस में बैठे हों तो उनके साथ भी ऐसा हो सकता है।

 

स्थानीय लोगों की बेचैनी और डर का माहौल

यरुशलम की गलियां अब खामोश हो गई हैं। चश्मदीदों का कहना है कि गोलियों की आवाज इतनी तेज थी कि किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा सहमी हुई हैं। बाजार और सार्वजनिक जगहों पर लोगों की आवाजाही कम हो गई है। लोगों का कहना है कि यह हमला उनके जीवन को असुरक्षित बना रहा है। यह डर सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।

 

हमले के पीछे शक और बढ़ता तनाव

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले के पीछे फलस्तीनी उग्रवादी संगठनों का हाथ हो सकता है, हालांकि किसी ने अभी तक जिम्मेदारी नहीं ली है। पिछले महीनों से यरुशलम और आसपास के क्षेत्रों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। छोटी-सी झड़प भी बड़े संघर्ष का रूप ले लेती है। गाजा पट्टी से आए तनाव और झड़पें इस घटना का पृष्ठभूमि बताई जा रही हैं। जानकार कहते हैं कि ऐसे हमलों का मकसद सिर्फ खौफ फैलाना नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव बनाना भी है।

 

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और शांति की अपील

इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जाहिर की गई। अमेरिका, यूरोपीय देशों और संयुक्त राष्ट्र ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि नागरिकों पर इस तरह के हमले किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हैं। कई देशों ने इस्राइल सरकार और वहां के नागरिकों के साथ एकजुटता जताई है। लेकिन सवाल यह है कि बार-बार की हिंसा शांति वार्ता को कैसे प्रभावित करेगी। दुनिया देख रही है कि मध्यपूर्व की आग अब भी ठंडी नहीं हुई है और शांति की राह बेहद कठिन होती जा रही है।

 

जनता का डर और भविष्य की चुनौतियां

यरुशलम की आम जनता अब हर दिन दहशत में जी रही है। बस, बाजार, ट्रेन—कहीं भी वे खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई और युवाओं की नौकरियां लगातार बाधित हो रही हैं। इस हमले ने यह साफ कर दिया है कि सुरक्षा सिर्फ हथियारों से नहीं बल्कि राजनीतिक समाधान से ही संभव है। लोगों की सबसे बड़ी मांग अब यह है कि उन्हें सामान्य और सुरक्षित जीवन जीने दिया जाए। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि जनता के भरोसे को वापस कैसे बहाल किया जाए।