काबुल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को वीजा देने से किया इनकार, बढ़ा दोनों देशों का तनाव

काबुल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को वीजा देने से इनकार किया है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। काबुल ने पाकिस्तान की हवाई कार्रवाईयों और हवाई क्षेत्र उल्लंघन के खिलाफ यह फैसला लिया। पाकिस्तान-आफगानिस्तान संबंध अब नए संकट में हैं। काबुल ने पाकिस्तान से जवाब मांगना शुरू कर दिया है।

काबुल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को वीजा देने से किया इनकार, बढ़ा दोनों देशों का तनाव

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    काबुल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को वीजा न देकर बढ़ाया दोनों देशों का तनाव

     

    पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को अफगानिस्तान ने नहीं दिया वीजा

    क्या होगा जब आपका देश और पड़ोसी देश आपस में लड़ेंगे? ये सवाल अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ठीक ऐसा हो रहा है। काबुल ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को वीजा ही नहीं दिया। समझिए कि आईएसआई प्रमुख आसिम मलिक और दो अन्य जनरलों को भी तीन दिनों से इंतजार करवाया जा रहा है। पर वीजा नहीं मिला। हां, बात यहीं खत्म नहीं होती। यह सब कुछ काबुल की नाराजगी का नतीजा है जिसने हाल के हवाई हमलों को पाकिस्तान की तरफ से देखा। अब नतीजा? दोनों देशों के रिश्ते और भी बिगड़ गए।

     

    काबुल ने वीजा न देने की वजह क्या बताई?

    अफगानिस्तान की सरकार ने साफ कहा कि ये वीजा देने से इंकार उनका जवाब है पाकिस्तान के हवाई कारवाईयों पर। ये सिर्फ मामूली बात नहीं। ऐसा लगता है काबुल अफगान हवाई क्षेत्र के उल्लंघन से बड़ा परेशान है। अब सोचिए, अगर कोई आपके घर की सीमा में घुस आए तो क्या आप शांत बैठेंगे? पाकिस्तान के कदमों को काबुल ने अपने क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा माना। इसलिए वीजा से मना कर दिया। ये मनजूर नहीं कि पाकिस्तान के अधिकारी बिना अनुमति वहां जाएं।

     

    दो पत्थर एक दूसरे से टकराए

    यह कहानी पुरानी है, लेकिन अभी हाल ही में इसका नया अध्याय लिखा गया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जोड़ने के बजाय दरारें गहरी हो रही हैं। अब जबकि रक्षा और खुफिया प्रमुखों को वीजा नहीं मिला, सवाल उठता है कि दोनों देशों के बीच क्या बचा है? बातचीत? वह भी कठिन होता जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों के बीच भरोसा टूट रहा है। इससे भविष्य में रिश्ते और खराब हो सकते हैं।

     

    पाकिस्तान ने क्या किया?

    पाकिस्तान की तरफ से फिलहाल धिमी-सी प्रतिक्रिया आई है। हालांकि अंदर कुछ बातें तो काबुल की इस आदत से परेशान दिख रही हैं। ऐसा कदम पाकिस्तान के लिए चुभता है, लेकिन मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहीं कोई खुलासा नहीं किया। आमंत्रण और कूटनीति के दरवाजे बंद होना दोनों देशों के लिए परेशानी की बात तो है ही। अब वक्त है बातचीत का शुरुआत करने का, वरना बड़ी मुश्किलें बढ़ेंगी।

     

    दुनिया किस नजर से देख रही है?

    सामने की ये कहानी अफगानिस्तान पाकिस्तान के रिश्तों की नहीं, बल्कि पूरा क्षेत्रीय माहौल की है। भारत, चीन और अमेरिका समेत दुनिया की बड़ी ताकतें भी इस खेल को देख रही हैं। किसी को नहीं चाहिए कि यहाँ के लोग किसी संघर्ष का शिकार बनें। शांति ही सही रास्ता है। लेकिन इस वीजा विवाद ने साफ कर दिया कि शांति के लिए अभी और बहुत कुछ करना बाकी है।

     

    पिछले जख्म फिर उभरने लगे हैं

    दोनों देशों के बीच पुरानी चोटें अभी भी ताजा हैं। सीमा विवाद, आतंकवाद के आरोप और हवाई क्षेत्र उल्लंघन के मुद्दे हमेशा सुलझ न पाने वाले बने हुए हैं। यही कारण है कि इस बार वीजा से इनकार भी नयी लड़ाई का एक हिस्सा बन गया। कुछ लोग कहते हैं, "इतना बड़ा फैसला केवल राजनीतिक नहीं, भावनाओं से भी भरा है।" हर तरफ ये सवाल है कि इस बार क्या निकलेगा?

     

    कैसे निकाले दोनों देशों को संकट से?

    मुश्किल है। बस उम्मीद करनी होगी कि अब दोनों देश जाकर आधिकारिक बातचीत शुरू करें। छोटी-छोटी बातें जो विश्वास बनाएंगी, वे जरूरी हैं। सीमा के बाहर भी दोस्ती होती है, याद रखिए। पाकिस्तान और अफगानिस्तान को समझना होगा कि आपसी मेलजोल के बिना कोई भविष्य सुंदर नहीं होगा। अगर नहीं तो पिछली ही तरह रिश्ते ढहते रहेंगे।

     

    अपनी बात खत्म करते हुए

    तो अंत में ये कहना चाहिए कि अफगानिस्तान का ये कदम पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ समेत अन्य अधिकारियों को वीजा न देना, दोनों देशों के लिए बड़ा झटका है। बातचीत और भरोसे की कमी से क्षेत्रीय विवाद और तनाव गहरा रहा है। बड़ी उम्मीद यही है कि दोनों देश जल्द वापस मेलजोल की राह पर आएं और क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे। तभी सबका भला होगा।

    काबुल का वीजा इनकार क्या दर्शाता है?

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