नेपाल में हुए Gen-Z प्रदर्शन के बाद अब अफ्रीकी देश मेडागास्कर में भी हालात काफी बिगड़ गए हैं। यहाँ हज़ारों युवा सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। राजधानी एंटानानारिवो में पिछले तीन हफ्तों से जारी यह आंदोलन अब तख्तापलट की शक्ल ले चुका है। राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना को अपनी जान के डर से देश छोड़ना पड़ा। बताया जा रहा है कि उन्होंने फ्रांसीसी सैन्य विमान से देश से बाहर का रास्ता पकड़ा।
Gen-Z आंदोलन का आगाज और तेज होते हालात
यह Gen-Z आंदोलन 25 सितंबर को शुरू हुआ था जब युवाओं ने पानी और बिजली की भारी कमी के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। धीरे-धीरे यह मुद्दा सरकारी भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ एक बड़े जनआंदोलन में बदल गया। सैकड़ों युवाओं ने सरकारी इमारतों के बाहर नारे लगाए और बेहतर जीवन व पारदर्शी शासन की मांग की। जैसे-जैसे आंदोलन बढ़ा, सेना के कुछ हिस्सों ने भी प्रदर्शनकारियों का साथ देना शुरू कर दिया।
राष्ट्रपति ने सरकार को बर्खास्त किया, फिर भी नहीं मिली राहत
स्थिति बिगड़ने पर राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना ने शुक्रवार को अपनी पूरी सरकार को बर्खास्त कर दिया, लेकिन इससे प्रदर्शन शांत नहीं हुआ। लोगों ने इसे सिर्फ एक दिखावा बताया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्हें सिर्फ बुनियादी सेवाएँ नहीं मिल रहीं, बल्कि सरकार ने हमेशा युवाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिश की। राजधानी में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं जिनमें अब तक 22 से अधिक लोगों की मौत की खबर है।
सेना ने सत्ता अपने हाथ में ली, राष्ट्रपति लापता
मेडागास्कर में जिस समय प्रदर्शन शुरू हुए, राष्ट्रपति ने दावा किया था कि सेना तख्तापलट की कोशिश कर रही है। और यही सच साबित हुआ। एक विशेष सैन्य इकाई ‘कैपसैट यूनिट’ (CAPSAT) ने रविवार रात घोषणा की कि उन्होंने सभी सशस्त्र बलों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। इस एलिट यूनिट ने 2009 में भी राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना को सत्ता दिलाई थी, लेकिन अब वही उनके खिलाफ खड़ी हो गई। बताया जा रहा है कि सेना और प्रदर्शनकारियों की मांगों को न मानने पर राष्ट्रपति को देश छोड़ना पड़ा।
फ्रांस के सैन्य विमान से भागे राष्ट्रपति, इंटरनेट पर हड़कंप
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना फ्रांसीसी सैन्य विमान में सवार होकर देश से बाहर चले गए हैं। फ्रांस ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति ने पेरिस से मदद मांगी थी। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से सुरक्षा की मांग की थी। सोशल मीडिया पर Gen-Z प्रदर्शन से जुड़े वीडियो हजारों बार शेयर हो रहे हैं और लोगों में गुस्सा और बढ़ रहा है।
नेपाल से मेडागास्कर तक फैल गया Gen-Z का गुस्सा
पिछले कुछ हफ्तों में दक्षिण एशिया से लेकर अफ्रीका तक Gen-Z प्रदर्शन ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। नेपाल में जहां विरोधी प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, वहीं अब मेडागास्कर में राष्ट्रपति भागने को मजबूर हो गए। दोनों ही जगहों पर इन आंदोलनों की कमान नौजवानों ने संभाली है। इनका मकसद सिर्फ सरकार गिराना नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ नई सोच और नया नेतृत्व लाना है।
युवाओं की आवाज़ अब वैश्विक बन रही है
इन घटनाओं से यह साफ हो गया है कि Gen-Z आंदोलन अब किसी एक देश तक सीमित नहीं रहा। डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ी यह नई पीढ़ी अपने अधिकारों और भविष्य को लेकर बेहद सजग है। चाहे नेपाल हो या मेडागास्कर, युवाओं की यही ताकत अब नई राजनीतिक हवा का रुख तय कर रही है। संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ दोनों ने शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन अब यह बवाल थमने की बजाय और बढ़ता जा रहा है।
देश में अनिश्चितता, जनता चिंतित
मेडागास्कर की स्थिति अभी बेहद नाजुक है। सेना और प्रदर्शनकारियों के कब्जे में कई सरकारी इमारतें हैं। राष्ट्रपति के गायब होने के बाद सत्ता का कोई स्पष्ट चेहरा नहीं दिख रहा। बाजार बंद हैं, स्कूलों में ताले लटक रहे हैं और इंटरनेट सेवाएँ कई जगह ठप हैं। राजधानी की गलियों में सन्नाटा है और आम लोग भयभीत माहौल में घरों में दुबके हुए हैं।
क्या यह नया दौर की क्रांति है
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह Gen-Z की क्रांति का नया अध्याय है जो आने वाले वर्षों में कई देशों में देखने को मिल सकता है। यह पीढ़ी पारदर्शिता, समानता और स्वच्छ शासन की मांग कर रही है। मेडागास्कर की घटना साबित करती है कि जब सरकारें युवाओं की आवाज़ को नजरअंदाज करती हैं, तो आंदोलन उग्र रूप ले लेता है। सवाल सिर्फ इतना है कि क्या दुनिया इस नई युवा ताकत की दिशा समझने को तैयार है या नहीं।