Masala Bonds: भारतीय कंपनियों को विदेशी निवेश से जोड़ने वाला नया रास्ता
मसाला बॉन्ड (Masala Bonds) भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाला वित्तीय साधन है। इन बॉन्ड्स की शुरुआत 2014 में अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा की गई थी। खास बात यह है कि ये बॉन्ड भारतीय रुपये में आधारित होते हैं लेकिन इन्हें विदेशी निवेशकों के लिए जारी किया जाता है। इस तरीके से कंपनियां विदेशी निवेश जुटा सकती हैं, बिना मुद्रा विनिमय दर (currency risk) के दबाव में आए।
मसाला बॉन्ड नाम क्यों पड़ा?
‘मसाला’ शब्द भारतीय संस्कृति और व्यंजनों से लिया गया है, जिसका मतलब है मिश्रण या स्वाद। IFC ने इस शब्द का चयन भारत की विशिष्ट पहचान और बहुरंगी संस्कृति को दर्शाने के लिए किया। दरअसल, ये बॉन्ड विदेशी बाज़ारों में जारी होते हैं लेकिन भारतीय रुपये में मूल्यांकित रहते हैं। इससे निवेशक को मुद्रा जोखिम उठाना पड़ता है, जबकि कंपनी सुरक्षित रहती है। यही वजह है कि इन्हें मसाला बॉन्ड कहा जाता है।
मसाला बॉन्ड की मुख्य विशेषताएँ
ये बॉन्ड विदेशी स्टॉक एक्सचेंज जैसे लंदन या सिंगापुर पर लिस्ट होते हैं।
निवेशक को रुपये से जुड़े जोखिम को वहन करना पड़ता है, न कि कंपनी को।
न्यूनतम अवधि (Tenure) आमतौर पर 3 साल होती है अगर बॉन्ड 50 मिलियन डॉलर तक का है। बड़ी राशि के लिए अवधि 5 साल या उससे अधिक हो सकती है।
इन्हें जारी करने का अधिकार भारतीय कंपनियों, NBFCs, सरकारी निकायों और लिस्टेड फर्मों को है।
मसाला बॉन्ड से जुटाई गई राशि कहाँ खर्च होती है?
सरकार ने इसके उपयोग को कुछ खास क्षेत्रों तक सीमित किया है। जुटाई गई रकम का इस्तेमाल किया जा सकता है:
सस्ते आवास प्रोजेक्ट्स
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
कॉर्पोरेट कार्यशील पूंजी
रुपये में लिए गए पुराने कर्ज को चुकाने के लिए
हालाँकि, इस पैसे का उपयोग भूमि खरीद, शेयर बाज़ार या हाई-रिस्क निवेश में नहीं किया जा सकता।
मसाला बॉन्ड के फायदे
कंपनियों के लिए
मुद्रा जोखिम से बचाव: कंपनियों को विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं रहती।
नए निवेश स्रोत: भारतीय कंपनियाँ अब सिर्फ घरेलू फंडिंग पर निर्भर नहीं रहतीं।
रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण: यह भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य को बढ़ावा देता है कि रुपया धीरे-धीरे एक मजबूत वैश्विक मुद्रा बने।
निवेशकों के लिए
आकर्षक रिटर्न: विदेशी निवेशकों को अक्सर उच्च ब्याज दरों का लाभ मिलता है।
भारत की विकास कहानी में हिस्सा: निवेशकों को सीधे भारतीय रुपये और भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ने का अवसर मिलता है।
यदि रुपया मजबूत होता है तो निवेशकों को अतिरिक्त मुनाफा भी मिलता है।
निष्कर्ष
मसाला बॉन्ड भारतीय कंपनियों और वैश्विक निवेशकों के बीच एक सेतु की तरह काम करते हैं। ये न केवल कंपनियों को फंडिंग का नया साधन देते हैं बल्कि विदेशी निवेशकों को भी भारत की आर्थिक यात्रा में शामिल होने का मौका प्रदान करते हैं। इस तरह, मसाला बॉन्ड भारत के विकास, निवेश और रुपया अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में एक अहम कदम साबित हो रहे हैं।