अफगान विदेश मंत्री मुतक्की ने महिला पत्रकारों के 'नो एंट्री' विवाद पर दिया जवाब
दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री मुतक्की ने महिला पत्रकारों के 'नो एंट्री' विवाद को किया खंडन
यह मामला ऐसा था, जिसने सबका ध्यान खींचा। दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को ‘नो एंट्री’ कहा जा रहा था। अब मुतक्की ने साफ किया कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा। “हमने नहीं किया था मना,” ये उनके सीधे शब्द थे। वह यह बताना चाहते थे कि गलतफहमी हुई।
मुतक्की और जयशंकर की बैठक के बाद बढ़ा रहस्य, प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया मनमुटाव नहीं
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस दिल्ली में, विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुतक्की की मुलाकात के कुछ घंटे बाद आयोजित की गई थी। तमाम चर्चाओं के बीच, मुतक्की ने खुद पीछे हट कर साफ किया कि महिला पत्रकारों को रोकना उनका मक्सद नहीं था। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को समझना जरूरी है, लेकिन वहां मीडिया और महिलाओं को मौका दिया जाता है।
गलतफहमी कैसे बनी और मीडिया में क्यों बढ़ा विवाद, एक नजर कहानी पर
यह सब कहानी कुछ असमंजस से शुरू हुई। कुछ रिपोर्टर्स ने बताया कि महिलाओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवेश नहीं मिला। लेकिन मुतक्की के शब्दों में यह बात पूरी तरह गलत थी। ऐसा लगता है कि सांस्कृतिक और भाषा की वजह से संवाद में दिक्कत हुई, जिसके कारण ये खबर फैल गई।
मुतक्की की बातों ने दी थोड़ी राहत, लेकिन सवाल अब भी बाकी हैं
मुलाकात के बाद मुतक्की ने राजनैतिक तापमान थोड़ा कम करने की कोशिश की, लेकिन यह सवाल अभी भी हवा में लटका है कि महिलाओं के साथ सही व्यवहार हुआ या नहीं। अफगान दूतावास की ओर से भी यह कहा गया है कि वे हर पत्रकार को समान अधिकार देते हैं। यह मामला बताता है कि संवाद कितने महत्वपूर्ण होते हैं।
अफगानिस्तान और भारत के बीच रिश्तों में संवाद की भूमिका बढ़ी
इस घटना ने दोनों देशों के बीच बेहतर संवाद की जरूरत को रेखांकित किया। भले ही मतभेद हो, लेकिन बातचीत से ही समाधान निकलता है। मुतक्की की सफाई ने यह दिखाया कि वे भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं। महिलाओं के सम्मान की बात भी उन्होंने दोहराई। अब जरूरी है कि मीडिया और कूटनीति के बीच बेहतर तालमेल बने।
अंतिम सोच: संवाद से ही संभव है भ्रांतियों का समाधान
यह पूरा मामला हमें सिखाता है कि किसी भी विवाद को बढ़ने से पहले समझना और हल करना कितना जरूरी है। संवाद की ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मुतक्की की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने अपनी बात रखी, लेकिन मीडिया और दर्शकों को भी सामंजस्य रखना होगा। इस तरह की बातें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि संवाद ही रिश्तों की नींव है।