नेपाल की राजधानी काठमांडू में हाल ही में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ है, जिसमें विशेष रूप से युवा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरे। इस विरोध का मुख्य कारण सरकार ने देश में प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाया गया प्रतिबंध है। इस प्रतिबंध के चलते लाखों युवा और अन्य नागरिक अपने संवाद और अभिव्यक्ति के माध्यमों से वंचित महसूस कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन इतना तीव्र हुआ कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन तक घुसपैठ कर दी। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फायरिंग की, जिसमें कई लोग घायल हो गए। यह घटनाक्रम देश में सामाजिक और राजनीतिक तनाव की एक गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करता है।
सड़कों पर उतर आए हजारों युवा, विरोध प्रदर्शन का कारण
सोमवार सुबह से काठमांडू के मैतीघर में हजारों की संख्या में युवाओं ने प्रदर्शन शुरू किया। ये युवा जेनरेशन जेड के प्रतिनिधि थे, जो भ्रष्टाचार और सरकार के सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ अपनी आवाज़ उठा रहे थे। सोशल मीडिया पर "नेपो किड" और "नेपो बेबीज" जैसे हैशटैग भी इस आंदोलन को ऑनलाइन ताकत दे रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि सोशल मीडिया आज की युवा पीढ़ी के लिए अभिव्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है, जिसे सरकार की यह कार्रवाई उनके अधिकारों का हनन है। पुलिस ने प्रदर्शन को तोड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और हल्का लाठीचार्ज किया, लेकिन इससे संघर्ष और बढ़ गया।
सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के पीछे क्या है कारण?
नेपाल सरकार ने 28 अगस्त को सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण कराने का एक अंतिम समय दिया था। मेटा, यूट्यूब, ट्विटर सहित प्रमुख नेटवर्क ने पंजीकरण नहीं कराया। सरकार का दावा है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी आईडी बना कर नफरत फैलाने, अफवाहें उड़ाने और साइबर अपराध बढ़ने लगे थे, जिससे सामाजिक शांति भंग हो रही थी। इसलिए सरकार ने तत्काल प्रभाव से इन प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया। हालांकि इस निर्णय ने युवा वर्ग और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधरों में तीव्र रोष उत्पन्न कर दिया।
प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद भवन में घुसने की घटना और पुलिस की प्रतिक्रिया
विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई और कुछ प्रदर्शनकारी संसद भवन के भीतर तक घुसने में सफल रहे। वहां मौजूद सुरक्षा बलों ने तब फायरिंग की, जिससे कई लोग घायल हो गए। पुलिस ने काठमांडू में सख्त सुरक्षा व्यवस्था कर कर्फ्यू भी लगा दिया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए हरसंभव कदम उठाए। इस घटना ने देश की राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सवाल उठा दिए हैं।
युवा वर्ग का संदेश और आगे की संभावनाएं
इस पूरे आंदोलन में युवाओं ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर लगी प्रतिबंध की नीति का विरोध करते हैं। युवा वर्ग अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति और डिजिटल अधिकारों की रक्षा के लिए तैयार हैं। 'हामी नेपाल' जैसे समूहों ने छात्रों को भी इस आंदोलन में भाग लेने का आह्वान किया है ताकि आवाज़ और अधिक मजबूत हो सके। सरकार के सामने अब चुनौती यह है कि वह किस तरह इस समस्या का समाधान करे ताकि युवा वर्ग की मांगें पूरी हों और देश में शांति बनी रहे। आगामी दिनों में इस संघर्ष का परिणाम नेपाल की सामाजिक और राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा।