एशिया कप स्क्वॉड से बाहर होने के बाद श्रेयस अय्यर ने चुप्पी तोड़ी और साफ कहा कि सबसे ज्यादा दर्द तब होता है जब भीतर से लगता है कि टीम और प्लेइंग इलेवन में जगह मिलनी चाहिए थी, फिर भी नाम नहीं आता, लेकिन टीम की जीत सबसे ऊपर है और ऐसे समय में दूसरों का समर्थन करना चाहिए । उन्होंने iQOO इंडिया के पॉडकास्ट में कहा कि यह निराशा तभी चुभती है जब भरोसा हो कि चयन बनता है, पर चयन नहीं होता, फिर भी चयनित खिलाड़ियों की मेहनत और निरंतरता का सम्मान करना जरूरी है । अय्यर ने यह भी जोड़ा कि मौके मिलें या नहीं, ईमानदारी और अनुशासन से काम करते रहना ही असली रास्ता है, क्योंकि असली पहचान वही है जो तब दिखे जब कोई देख भी न रहा हो ।
मेहनत करते रहो: जब कोई न देख रहा हो तब भी काम ईमानदारी से करो, यही श्रेयस अय्यर का संदेश युवाओं के लिए
श्रेयस ने अपने संदेश में बार-बार एक बात दोहराई—“जब मौका न मिले तब भी काम छोड़ना नहीं है”, यानी मेहनत करते रहो और ईमानदारी से करते रहो, क्योंकि खेल हो या जिंदगी, लगातार अभ्यास ही आगे का दरवाजा खोलता है । उन्होंने कहा कि काम केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि नैतिकता के साथ होना चाहिए, ताकि अंदर का भरोसा बना रहे और अगले मौके पर तैयारी पूरी हो । यह सोच हर युवा खिलाड़ी के लिए सीख है कि सिलेक्शन कभी-कभी प्रदर्शन से आगे की भी बात हो सकती है, फिर भी रुकना नहीं है, प्रक्रिया पर टिके रहना है और टीम के लिए सकारात्मक रहना है ।
एशिया कप 2025 की रेस में बाहर होना क्यों चर्चा का विषय बना और किस तरह अय्यर ने अपनी बात सलीके से रखी
एशिया कप स्क्वॉड से बाहर रहने का फैसला इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि अय्यर घरेलू और टी20 लीग में लगातार रन बनाते दिखे और कई विशेषज्ञों ने उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाए । AB डिविलियर्स जैसे दिग्गजों ने भी कहा कि कभी-कभी चयन में केवल आंकड़े नहीं, ड्रेसिंग रूम डायनेमिक्स जैसी चीजें भी देखी जाती हैं, और 50-50 कॉल में टीम-रूम वैल्यू मायने रख सकती है । इस सबके बीच अय्यर ने संयम रखते हुए कहा कि टीम जीतती है तो सब खुश होते हैं, इसलिए निजी निराशा से ऊपर उठकर टीम की सफलता को प्राथमिकता देना ही सही तरीका है ।
आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में शानदार दौर के बावजूद बाहर, फिर भी टीम के लिए समर्थन और सकारात्मकता बनाए रखना
आईपीएल 2025 में अय्यर ने 17 मैचों में 604 रन बनाए, औसत 50.33 और स्ट्राइक-रेट 175.07 रहा, जो बताता है कि फॉर्म मजबूत थी, फिर भी चयन से नाम दूर रहा, जिससे फैंस और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं तेज हुईं । इसी दौरान उन्होंने पंजाब किंग्स को फाइनल तक पहुंचाया और बतौर लीडर भी प्रभाव छोड़ते रहे, इसलिए बहस और तेज हुई कि इतनी स्थिरता के बाद भी जगह क्यों नहीं मिली । इसके बावजूद अय्यर का रुख संतुलित रहा—वे चयनित साथियों का समर्थन करते दिखे और संदेश दिया कि प्रोसेस और अनुशासन छोड़ना नहीं है, यही उनकी पहचान है ।
इंडिया ‘ए’ की कप्तानी और आगे की राह: चयन से परे मंच बदलता है, लक्ष्य वही—लगातार प्रदर्शन और टीम की जीत
टीम इंडिया की 15 में जगह न मिलने के साथ ही अय्यर को ऑस्ट्रेलिया ‘ए’ के खिलाफ इंडिया ‘ए’ का कप्तान बनाया गया, जो बताता है कि प्रणाली में उनका भरोसा बना हुआ है और उन्हें नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गई है । यह कदम उनके लिए फॉर्म, फिटनेस और नेतृत्व—तीनों पहलुओं को मजबूत रखने का मौका है, ताकि अगली बड़ी सीरीज या टूर्नामेंट में दरवाजे फिर खुलें । ऐसी भूमिकाएं खिलाड़ी को मैच सिचुएशंस, युवा साथियों के साथ काम और लंबे प्रारूप में ठहराव जैसी चीजों में और परिपक्व बनाती हैं, जो आगे के चयन में काम आती हैं ।
सेलेक्टर्स की सोच पर बहस जारी, पर श्रेयस अय्यर का धैर्य और संदेश—टीम पहले, ईमानदारी हमेशा
चयन पर चर्चा में मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर के बयानों और विशेषज्ञों की राय से संकेत मिलता है कि इस दौर में प्रतिस्पर्धा बेहद तीखी है और 15 नामों में जगह बनाना कई बार कठिन संतुलन का मामला बन जाता है । दिग्गजों की अलग-अलग राय के बीच, अय्यर का संयम दिखाता है कि वह बहस में पड़ने के बजाय तैयारी पर टिके हैं, ताकि अगले मौके पर कोई कमी न रह जाए । यही वजह है कि उनका संदेश—मेहनत, ईमानदारी, और टीम-फर्स्ट—आज की प्रोफेशनल स्पोर्ट्स संस्कृति में एक परिपक्व, प्रेरक और ठोस उदाहरण बनकर उभरता है ।
फैंस की नाराजगी, परिवार की भावनाएं और खिलाड़ी का हौसला: कैसे संभलते हैं मुश्किल दिन
सोशल मीडिया पर फैंस की तीखी प्रतिक्रियाएं आईं और कई पोस्ट्स में अय्यर की गैरमौजूदगी पर नाराजगी साफ दिखी, जिससे यह मुद्दा ट्रेंडिंग चर्चा बन गया । परिवार की तरफ से भी भावनाएं सामने आईं—पिता संतोष अय्यर ने चयन पर दुख जताया, पर बेटे के धैर्य और शांत स्वभाव की बात कही, कि वह भीतर से आहत होते हुए भी किसी पर दोष नहीं डालते और कहते हैं, “मेरा नसीब है” । ऐसे समय में एक प्रोफेशनल खिलाड़ी का खुद को संतुलित रखना, सार्वजनिक बयानों में सम्हलकर बोलना और मैदान पर जवाब देने की तैयारी करना ही लंबे करियर का सबसे बड़ा मंत्र होता है ।